Rectal Cancer: दिखें ये बदलाव तो हो सकते हैं रेक्टल कैंसर के संकेत, फौरन हो जाएं अलर्ट, जानिए कैसे करें इलाज

Rectal Cancer: इन दिनों रेक्टल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। थोड़ी सी सतर्कता बरत कर रेक्टल कैंसर की पहचान आसानी से की जा सकती है। रेक्टल कैंसर होने पर सबसे पहले पेट से संबंधित कई तरह की परेशानी होने लगती है। रेक्टल कैंसर में अनियमित रूप से मल आना, पेट में दर्द होना, मल में खून आना जैसे लक्षण शामिल हैं

अपडेटेड May 08, 2023 पर 12:17 PM
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जिन लोगों इंफ्लामेटरी बावेल सिंड्रोम होता है। उन्हें रेक्टल कैंसर का खतरा ज्यादा होता है

Rectal Cancer: कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षणों की शुरुआत में पहचान न की जाए तो जान भी जा सकती है। कैंसर कई तरह का होता है। किसी भी उम्र में किसी को भी यह बीमारी हो सकती है। खराब डाइट बिगड़ती लाइफ स्टाइल की वजह से कई तरह की बीमारियां फैल रही हैं। रेक्टल कैंसर की चपेट में इन दिनों युवा तेजी से आ रहे हैं। डाइट में फाइबर का कम सेवन से रेक्टल कैंसर का कारण बन सकता है। इंडिया अगेंस्ट कैंसर के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 27 लाख लोग कैंसर का इलाज करा रहे हैं। साल 2020 में कैंसर से संबंधित करीब 8.5 लाख लोगों की मौत हुई है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसीन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 5 से 10 फीसदी कैंसर के मामलों में जीन जिम्मेदार होता है। बाकी सारे कैंसर के कारण लाइफस्टाइल या पर्यावरण से जुड़े हुए हैं। आंकड़ों के मुताबिक कैंसर से होने वाली 25 से 30 फीसीद मौतों के लिए तंबाकू जिम्मेदार होता है। जबकि 30 से 35 फीसदी कैंसर से होने वाली मौतों के लिए खराब डाइट जिम्मेदार है। वहीं 15 से 20 प्रतिशत मौत की वजह इंफेक्शन और बाकी के लिए रेडिएशन, स्ट्रेस, फिजिकल एक्टिविटी है।

क्या है रेक्टल कैंसर?


रेक्टल कैंसर मलाशय की कोशिकाओं में विकसित होता है। रेक्टम और कोलन दोनों ही पाचन सिस्टम का हिस्सा होते हैं। इन दोनों में होने वाले कैंसर को कोलोरेक्टल कैंसर कहते हैं। रेक्टल और कोलोन कैंसर में बहुत कम अंतर होता है। इसलिए दोनों के लक्षण भी लगभग एक जैसे होते हैं। रेक्टल कैंसर रेक्टम की कोशिकाओं में होता है। यह बड़ी आंत का सबसे आखिरी सिरा होता है। आमतौर पर रेक्टल कैंसर को कोलोना कैंसर के साथ जोड़ दिया जाता है। यह कैंसर महिलाओं और पुरुषों दोनों में हो सकता है। रेक्टल कैंसर से बचने के लिए खुद सतर्क होना बहुत जरूरी है। कुछ कैंसर ऐसे होते हैं जिसकी पहचान शुरुआती दौर में की जा सकती है।

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लक्षण

स्टूल में ब्लड

रेक्टल कैंसर होने पर स्टूल के रूप में मरून या चमकदार स्टूल निकलता है। स्टूल बहुत पतला होने लगता है। वहीं जब रेक्टल कैंसर की शुरुआत होती है तो पेट से संबंधित असमान्य परिवर्तन होने लगता है। इसमें डायरिया, कब्ज बहुत जल्दी-जल्दी होने लगता है। इतना ही नहीं पेट में दर्द भी होने लगता है। यह दर्द दवा खाने से ठीक नहीं होता है। अगर दवा खाने से कुछ देर के लिए दर्द ठीक भी हो गया तो फिर से दोबारा होने लगता है।

पेट में भारीपन

ऐसा लगता है कि पेट हमेशा भरा हुआ है। पेट में स्टूल खाली नहीं होने का महसूस होता रहता है। हालांकि अगर कोई अन्य बीमारियों की वजह से ऐसा होता है तो इसमें कुछ दिनों के बाद ऐसा सही भी हो जाता है। लेकिन रेक्टल कैंसर पर बहुत दिनों लगता है कि पेट से मल खाली नहीं हो रहा है और यह दवाई से ठीक नहीं होता है। रेक्टल कैंसर में मरीज को थकान और कमजोरी महसूस होने लगती है।

कैसे होता है इलाज?

रेक्टल कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, सर्जरी या फिर तीनों तरीके से किया जाता है।

Jitendra Singh

Jitendra Singh

First Published: May 08, 2023 12:17 PM

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