Republic Day 2024: गणतंत्र दिवस की परेड से जुड़े दिलचस्प फैक्ट्स, जानिए इस दिन के बारे में सबकुछ

Republic Day 2024: गणतंत्र दिवस की परेड काफी रोमांच से भरी है। कई रेजिमेंट्स की टुकड़ियां, सेनाएं और पुलिस फोर्स अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए दिखाई देती हैं। भारत की आन-बान-शान को दिखाती ये परेड लोगों को देशभक्ति से भरती है। आइए जानते हैं इससे जुड़े 13 दिलचस्प फैक्ट्स-

अपडेटेड Jan 25, 2024 पर 11:33 PM
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गणतंत्र दिवस की परेड की शुरुआत राष्ट्रपति के आगमन से होती है। राष्ट्रपति के बॉडीगार्डस, घुड़सवार, राष्ट्रगान के साथ राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देने के बाद कार्यक्रम की शुरुआत होती है।

2024 गणतंत्र दिवस परेड की थीम "भारत - लोकतंत्र की जननी" और "विकसित भारत" (विकसित भारत) है। जो देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और आगे बढ़ते रहने की इच्छा को दर्शाती है। 2024 गणतंत्र दिवस परेड की थीम "भारत - लोकतंत्र की जननी" और "विकसित भारत" (विकसित भारत) है। जो देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और आगे बढ़ते रहने की इच्छा को दर्शाती है।

इस साल होने वाली परेड में रक्षा बलों की दो पूरी महिला टुकड़ियां शामिल होंगी, जिनमें 144 कर्मी शामिल होंगे। इसमें सेना से 60 बाकि वायु सेना और नौसेना से महिला कर्मी शामिल रहेंगी। इस साल होने वाली परेड में रक्षा बलों की दो पूरी महिला टुकड़ियां शामिल होंगी, जिनमें 144 कर्मी शामिल होंगे। इसमें सेना से 60 बाकि वायु सेना और नौसेना से महिला कर्मी शामिल रहेंगी।

भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में इस साल फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित हैं। पिछले साल मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी मुख्य अतिथि थे। भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में इस साल फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित हैं। पिछले साल मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी मुख्य अतिथि थे।


गणतंत्र दिवस परेड के लिए विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लगभग 15 झांकियां चुनी जाती हैं। गणतंत्र दिवस परेड के लिए विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लगभग 15 झांकियां चुनी जाती हैं।

भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय ध्वज फहराया और आधिकारिक तौर पर देश को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया था। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया था और आधिकारिक तौर पर देश को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया था।

 पहला गणतंत्र दिवस जुलूस 1950 में मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में हुआ था, जिसमें 100 से अधिक विमान और 3,000 भारतीय सैन्यकर्मी शामिल थे। पहला गणतंत्र दिवस 1950 में मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में हुआ था, जिसमें 100 से अधिक विमान और 3,000 भारतीय सैन्यकर्मी शामिल थे।

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के गणतंत्र दिवस परेड के पहले मुख्य अतिथि थे। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के गणतंत्र दिवस परेड के पहले मुख्य अतिथि थे।

राजपथ के अब कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाता है। 1955 में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड इस पथ पर हुई जिसमें पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मुहम्मद मुख्य अतिथि थे। राजपथ के अब कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाता है। 1955 में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड इस पथ पर हुई जिसमें पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मुहम्मद मुख्य अतिथि थे।

गणतंत्र दिवस परेड के लिए परेड प्रतिभागी एक साल पहले जुलाई से ही तैयारी शुरू कर देते हैं। रेजिमेंट सेंटर्स पर घंटों प्रैक्टिस करने के बाद दिसंबर में सभी कर्तव्य पथ पर इकट्ठा होते हैं। गणतंत्र दिवस परेड के लिए परेड प्रतिभागी एक साल पहले जुलाई से ही तैयारी शुरू कर देते हैं। रेजिमेंट सेंटर्स पर घंटों प्रैक्टिस करने के बाद दिसंबर में सभी कर्तव्य पथ पर इकट्ठा होते हैं।

इंडिया गेट के पास एक विशेष शिविर में भारत की सैन्य ताकत का प्रदर्शन करने वाले टैंक, बख्तरबंद वाहन और आधुनिक सैन्य गियर प्रदर्शित किए जाते हैं। इंडिया गेट के पास एक विशेष शिविर में भारत की सैन्य ताकत का प्रदर्शन करने वाले टैंक, बख्तरबंद वाहन और आधुनिक सैन्य गियर प्रदर्शित किए जाते हैं।

मुख्य कार्यक्रम से पहले परेड समूह रिहर्सल के दौरान 12 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। गणतंत्र दिवस पर दूरी 9 किलोमीटर तक कम हो जाती है। "सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग समूह" को चुनने के लिए 200 मापदंडों के आधार पर प्रत्येक टुकड़ी का मूल्यांकन किया जाता है। मुख्य कार्यक्रम से पहले परेड समूह रिहर्सल के दौरान 12 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। गणतंत्र दिवस पर दूरी 9 किलोमीटर तक कम हो जाती है। "सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग समूह" को चुनने के लिए 200 मापदंडों के आधार पर प्रत्येक टुकड़ी का मूल्यांकन किया जाता है।

परेड प्रतिभागियों को चार-स्तरीय जांच से गुजरना पड़ता है। उनके हथियारों की जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनमें किसी भी तरह की गोलियां मौजूद नहीं हैं। परेड प्रतिभागियों को चार-स्तरीय जांच से गुजरना पड़ता है। उनके हथियारों की जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनमें किसी भी तरह की गोलियां मौजूद नहीं हैं।

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First Published: Jan 25, 2024 4:14 PM

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