सड़क पर तौलिया बेचने वाले के बेटे ने छोड़ी IIT की सीट, अब कर रहा है इस बड़ी परीक्षा की तैयारी

तौलिया बेचने वाले के बेटे 18 साल के सुजल सिंह ने हाल ही में बीटेक की डिग्री के लिए IIT दिल्ली के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में अपना दाखिला लिया था। लेकिन इसे छोड़ कर उन्होंने दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी (DTU) में कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट में एडमीशन लेने का फैसला किया। उनके पिता बलवंत सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि मैंने कभी भी अपने बच्चों पर करियर के लिए दबाव नहीं डाला, मैं उन्हें जो भी वे चुनते हैं उसमें अच्छा करते हुए देखना चाहता हूं। मेरा बेटा यूपीएससी (UPSC) की तैयारी कर रहा है

अपडेटेड Aug 12, 2023 पर 2:17 PM
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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) में सीट पाना कई सारे स्टुडेंट्स का सपना होता है

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) में सीट पाना कई सारे स्टुडेंट्स का सपना होता है। हालांकि कुछ साहसिक और सपनों के पीछे भागने वाले स्टुडेंट्स कभी कभी यहां की सीट हासिल करने के बाद भी इसे छोड़ने का हिम्मत भरा फैसला करते हैं। लेकिन अब एक ऐसी ही मिसाल कामय की है नोएडा के एक स्टुडेंट ने। नोएडा में एक 47 साल के तौलिया बेचने वाले आदमी बलवंत सिंह के बेटे ने यह अनोखा फैसला किया है। आइये जानते हैं इस पूरी कहानी के बारे में।

स्टुडेंट ने छोड़ी IIT की सीट

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 18 साल के सुजल सिंह ने हाल ही में बीटेक की डिग्री के लिए IIT दिल्ली के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में अपना दाखिला लिया था। लेकिन इसे छोड़ कर उन्होंने दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी (DTU) में कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट में एडमीशन लेने का फैसला किया। उनके पिता बलवंत सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि मैंने कभी भी अपने बच्चों पर करियर के लिए दबाव नहीं डाला, मैं उन्हें जो भी वे चुनते हैं उसमें अच्छा करते हुए देखना चाहता हूं। मेरा बेटा यूपीएससी (UPSC) की तैयारी कर रहा है।


तौलिया बेचते हैं बलवंत सिंह

मूल रूप से अलीगढ़ के रहने वाले सिंह 28 साल से नोएडा में एक स्थानीय विक्रेता के रूप में तौलिए बेच रहे हैं, लेकिन वह हमेशा अपने बच्चों की शिक्षा के बारे में विशेष ध्यान रखते थे। उन्होंने मीडिया को बताया कि आप चाहे कुछ भी करते हों लेकिन आपके लिए यह तय करना जरूरी है कि आपके बच्चे को शिक्षा मिले। एक अच्छी शिक्षा से अहम कुछ भी नहीं हो सकता है। उन्होंने बताया कि सुजल पूरे दिन पढ़ाई करता था। मुझे पता था कि मेरा बच्चा सक्षम है, वह सारा दिन पढ़ता रहता था। वह सुबह जल्दी उठता था और देर रात तक पढ़ाई करता था। जब भी मैं रात को करीब 2-3 बजे पानी लेने के लिए उठता, तब भी वह पढ़ाई कर रहा होता। उसने कभी बाहर दोस्तों के साथ भी ज्यादा समय नहीं बिताया।

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कर्ज लेकर भरी फीस

सिंह ने कहा कि हलांकि डीटीयू में पढ़ाई के लिए सालाना करीब 2.2 लाख रुपये सालाना फीस चुकानी होगी। मैं महीने के हिसाब से सिंह प्रति माह 20,000 रुपये से भी कम कमाता हूं। कॉलेज की फीस भरना एक चुनौती है और मैं बैंक से कर्ज नहीं लेना चाहता। उसे इस कॉलेज में दाखिला दिलाने के लिए मुझे रिश्तेदारों से पैसे लेने पड़े। सुजल के चाचा ने उसकी शिक्षा के लिए 1 लाख रुपये उधार दिए। मैं किसी तरह गुजारा करूंगा, मुझे अपने बच्चों को पढ़ाना है और मैं किसी भी तरह से इसका भुगतान करूंगा।

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