Traffic Challan: एक समय था जब कारों में क्रैश गार्ड (बंपर) लगाना एक शान होती था। बंपर गार्ड का इस्तेमाल गाड़ियों की सेफ्टी के लिए होता था। ताकि टक्कर के वक्त कार को कोई नुकसान न पहुंचे। लेकिन अब आपने नोटिस किया होगा कि अचानक से कार के सामने लोगों ने बंपर लगवाना बंद कर दिया है। वहीं कई कारों में पीछे की ओर बंपर लगा हुआ दिखाई देता है। दरअसल, मौजूदा यातायात नियमों के मुताबिक, कार के बंपर पर किसी भी तरह के मेटल क्रैश गार्ड या बुल बार लगाने पर रोक लगा दी गई है।
ट्रैफिक पुलिस बंपर गार्ड लगे हुए गाड़ी को देखती ही चालान काट देती है। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ऐसा करने पर कम से कम वाहन मालिक को 1000 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक फाइन देना पड़ता है। मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 19/192 के तहत कोई भी वाहन मालिक बिना आरटीओ के परमिशन के वाहन में किसी भी प्रकार के मॉडिफिकेशन नहीं करवा सकता है।
गाड़ियों में आगे की तरफ लोहे या फिर स्टील के पहले बंपर गार्ड लगाए जाते थे। जो बंपर की हिफाजत के लिए सेफ्टी के तौर पर इस्तेमाल किया जाते थे। इसको लगभग अधिकतर वाहन मालिक अपनी गाड़ियों के बंपर के ठीक आगे और गाड़ी के रियर में लगाते थे। उनका मानना था कि इससे गाड़ी जब भी हादसे का शिकार होती है तो सबसे पहले ये गार्ड उनकी हेल्प करते हैं। हालांकि जब से गाड़ियों में एयरबैग अनिवार्य किया गया था। तब से ये गार्ड सेफ्टी के बजाय उल्टा दुर्घटना के दौरान नुकसान पहुंचाते हैं। बंपर गार्ड की वजह से कार के एयरबैग सेंसर ठीक तरीके से कम नहीं करते हैं। लिहाजा कार में अंदर बैठे पैसेंजर्स के लिए खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बंपर गार्ड लगाने पर पाबंदी लगा दी गई।
पैदल यात्रियों की सुरक्षा को खतरा
गाड़ी बुल गार्ड या क्रैश गार्ड का सबसे बड़ा नुकसान पैदल यात्रियों को होता है। इससे टकराकर व्यक्ति को गंभीर चोटें लग सकती है। यह हार्ड मेटल का बना होता है। जिससे टक्कर होने की स्थिति में पूरा फोर्स पैदल यात्री पर लगता है। जिससे उसे अधिक चोटें लग सकती हैं। लेकिन इसके बिना अगर गाड़ी से किसी व्यक्ति की टक्कर होती है तो उस स्थिति में पैदल यात्री को उतनी गंभीर चोटें नहीं लगती है। इसकी वजह ये है कि गाड़ी का बंपर कुछ शॉक ऑब्जर्व कर लेता है।
मॉडिफिकेशन के लिए RTO की लेनी पड़ती है मंजूरी
जब भी नई गाड़ी खरीदी जाती है तो उसकी रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। रजिस्ट्रेशन के दौरान गाड़ी किस रंग की है, गाड़ी कौन सी है, कितनी सीसी की है। ऐसी तमाम जानकारी दर्ज रहती है। परिवहन विभाग के अनुसार रिजस्ट्रेशन के बाद अगर कोई वाहन मालिक गाड़ी में बदलाव करता है तो उसे RTO से अनुमति लेनी होगी और अपने आरसी में बदलाव करने होंगे।