उत्तर प्रदेश के वृंदावन में, एक मंदिर में हाथी के आकार वाले एक स्ट्रक्चर के नीचे भक्तों का जमावड़ा लग गया और सभी लोग उसमें से टपकने वाले पानी को 'चरण अमृत' या भगवान कृष्ण की चरणों का पवित्र जल समझकर पीने लगे। भक्तों के इस पानी पीने का एक वीडियो तब से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और लोगों से इस पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। अब वायरल हो रहे वीडियो में भक्तों को श्री बांके बिहारी मंदिर की दीवार पर हाथी के आकार की टोंटी से टपकता पानी पीते हुए दिखाया गया है।
कुछ लोग पानी को कपों में इकट्ठा करते हुए दिखाई दिए, तो कुछ इसे पवित्र जल समझकर अपने हाथों से पीते दिखे। कुछ भक्तों ने श्रद्धा के प्रतीक के रूप में जल को अपने सिर पर भी झिड़का। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर की वास्तुकला में हाथी के आकार के आउटलेट से बहने वाला यह पानी चरण अमृत नहीं था, बल्कि AC से निकलने वाला पानी था।
इसी पूरी घटना को मंदिर में आने वाले एक शख्स ने अपने फोन पर रिकॉर्ड किया। वीडियो में उसे भक्तों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि ये भगवान कृष्ण के चरणों का पानी नहीं बल्कि AC का पानी है।
वह वीडियो में दिख रही एक महिला से कहता है, “दीदी ये AC का पानी है, चरणों का पानी नहीं है ये ठाकुर जी के। यहां के मंदिर के पुजारियों ने इस चीज की पुष्टि की है।"
लोगों ने दिए अलग-अलग रिएक्शन
यह जानने के बावजूद, भक्त मुस्कुराए और चले गए। मंदिर के बाहर कतार में खड़े दूसरे लोगों का वीडियो बना रहे भक्त ने पानी पीने के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि क्योंकि यह AC का पानी है, इसलिए असुरक्षित हो सकता है और बीमारी का कारण बन सकता है।
वीडियो पर एक शख्स ने कहा, "कौन जानता था कि एक छोटा सा AC एक दिव्य अनुभव में बदल सकता है? बस तब तक इंतजार करें, जब तक वे इसे स्वर्गीय जलयोजन कहना शुरू न कर दें!"
दूसरे ने कहा, "ऐसा केवल भारत में ही हो सकता है।"
एक तीसरे ने कॉमेंट किया, "कम से कम मंदिर ट्रस्ट लोगों को सावधान करने के लिए वहां एक नोटिस लगा सकता था।" चौथे शख्स ने लिखा, “उन्हें विश्वास है। उन्हें ऐसा करने दीजिए।"
2012 में मुंबई में भी ऐसी ही एक घटना घटी थी, जब ईसा मसीह की मूर्ति के पैरों से पानी टपकने लगा था। भक्तों ने पहले तो इसे चमत्कार ही माना। हालांकि, भारतीय तर्कवादी सनल एडमारुकु ने जांच की और दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने बताया कि असल में ये पानी बंद पड़े जल निकासी पाइव से रिस रहा था, न कि ये कोई पवित्र जल था।