महिलाओं पर चुपके से हमला करती हैं ये बीमारियां, लक्षण दिखते ही फौरन हो जाएं अलर्ट

Women Health: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी, बदलते खानपान से न जाने कितनी बीमारियां पैदा हो गई हैं। महिलाओं को कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो साइलेंट किलर होती है। यानी ये बीमारियां चुपके से शरीर पर हमला करती हैं। ये बीमारियां शरीर पर बढ़ती चली जाती है। इनके लक्षण जल्दी नजर नहीं आते हैं। इनमें एनीमिया, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) मोनोपॉज जैसी कई समस्याएं हैं

अपडेटेड Mar 11, 2023 पर 10:53 AM
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महिलाओं को साइलेंट किलर बीमारियों के प्रति हमेशा सतर्क रहने की जरूरत है

Women Health: आज की महिलाएं भले हर क्षेत्र में नाम कमा रही है। स्वभाव से बेहद केयरिंग और भावुक होने से उन्हें खुद से ज्यादा अपनों का ख्याल रखना अच्छा लगता है। इसके चलते वे कई बार अपनी सेहत को नजरअंदाज कर बैठती है। ऐसे में उन्हें सेहत से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन दूसरों के साथ खुद की सेहत पर भी खास तौर से ध्यान देने की जरूरत है। महिलाओं के शरीर पर भी कई ऐसी बीमारियां हैं, जो चुपके से हमला करती हैं। जब तक पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है।

ये बीमारियां शरीर में बढ़ती चली जाती हैं। लेकिन इनके लक्षण जल्दी दिखाई नहीं देते। अगर दिखते भी हैं तो इन्हें आमतौर पर नॉर्मल समस्याएं समस्याएं समझकर इग्नोर कर दिया जाता है। ऐसे ही एनीमिया, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), मेनोपॉज जैसी कई समस्याएं है। जिनसे निपटना बेहद जरूरी है।

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)


महिलाओं के प्रजनन अंगों की संरचना बेहद जटिल होती है। इसमें थोड़ी सी भी असावधानी या गड़बड़ियां सीधे मां बनने की क्षमता पर असर पड़ता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम भी इसी तरह की एक समस्या है। इसे पीसीओएस (PCOS) कहा जाता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम हार्मोन में गड़बड़ी के कारण होता है। इससे महिलाओं में पीरियड्स अनियमित होने लगते हैं। चेहरे पर कील-मुंहासे भी आने लगते हैं। PCOS गंभीर होने पर महिलाओं के चेहरे पर बाल भी आने लगते हैं। PCOS में पुरुष हार्मोन यानी एंड्रोजन का स्तर बहुत बढ़ जाता है। लेकिन दूसरी तरफ महिला हार्मोन प्रोजेस्ट्रॉन की भारी कमी आ जाती है। लिहाजा लंबे समय तक पीरियड्स नहीं होते हैं।

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एनीमिया

महिलाओं में एनीमिया एक आम समस्या है। कम उम्र की लड़कियों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है फूड आइटम्स का ज्यादा सेवन करना। जिससे शरीर को ठीक से पोषण नहीं मिल पाता है। एनीमिया से बचने के लिए आयरन, विटामिन C और फोलेट से भरपूर भोजन का सेवन किया जाना चाहिए। आयरन से भरपूर आहार में बीन्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, पोल्ट्री, सूखे मेवे शामिल हैं।

मोनोपॉज

मेनोपॉज औसतन 45 से 50 साल की उम्र में शुरू होता है। इसका मतलब है हर महीने होने वाले मेंस्ट्रुअल साइकिल का पूरी तरह से बंद होना। अगर किसी महिला को लगातार 12 महीने पीरियड्स ना हों। तब उसे मेनोपॉज तक पहुंचना कहा जाता है। लेकिन कई बार यह 40 साल की उम्र में भी हो सकती है। जिसे प्रीमैच्योर मेनोपॉज कहा जाता है। किसी महिला को किस उम्र में मेनोपॉज होगा। यह ज्यादातर जीन से तय होता है। यह भी एक महत्वपूर्ण हार्मोनल चेंज है, जो सभी महिलाओं में होता है। इसमें फीमेल हार्मोन यानी एस्ट्रोजन कम हो जाता है।

बोन हेल्थ

महिलाओं में हड्डियों की सेहत बोन हेल्थ 30 के दशक में बिगड़ना शुरू हो जाता है। हड्डियों की मजबूती बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम के सेवन के साथ-साथ एक्सरसाइज करना भी बेहद जरूरी है। डेयरी प्रोडक्ट कैल्शियम का सबसे अच्छा सोर्स माने जाते हैं, जैसे दूध, दही या पनीर आदि।

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