Tariff War: अमेरिका में एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बनने के बाद टैरिफ वार का साया पूरी दुनिया पर छा गया है और इसकी जद में भारत भी है। अब भारत कुछ चीजो पर आयात शुल्क घटाने की तैयारी कर रहा है जिनका आयात कम संख्या में होता है। यह प्रस्तावित द्विपक्षीय कारोबारी समझौते के तहत होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसे लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है जैसे कि ऑटोमोबाइल्स और ऑटो कंपोनेंट्स सेक्टर्स के स्टेकहोल्डर्स से जहां अमेरिकी आयात से घरेलू कंपनियों को अधिक झटका नहीं लगेगा। कॉमर्स डिपार्टमेंट का भी कहना है कि घरेलू इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचाए बिना किन-किन चीजों पर ड्यूटी में राहत दी जा सकती है, इसकी पहचान के लिए मंत्रालयों से बातचीत शुरू हो चुकी है और फोकस कृषि क्षेत्र को बचाने पर है।
अमेरिकी फैसले के असर का हो रहा कैलकुलेशन
अमेरिका ने अपने कारोबारी साझीदारों पर रेसिप्रोकल यानी जैसे-को-तैसा टैक्स लगाने का प्रस्ताव पेश किया है। इस फैसले का कितना असर होगा, भारत सरकार इसका कैलकुलेशन कर रही है। सरकार का लक्ष्य है कि एक्सपोर्ट कॉम्पटीटर्स का विश्लेषण किया जाए ताकि दोनों देशों के बीच के कीमतों के फर्क का मूल्यांकन किया जा सके और उसके हिसाब से रणनीति बनाई जा सके। इसे लेकर मंत्रालयों के साथ कॉमर्स डिपार्टमेंट ने बातचीत शुरू भी कर दी है।
भारत से अभी करीब 1500 करोड़ डॉलर (करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये) के ऑटो कंपोनेंट्स अमेरिका को जीरो ड्यूटी पर भेजे जाते हैं। वहीं इनके आयात पर 5-15 फीसदी का टैरिफ लगाया जाता है। दोनों देशों के मंत्रियों की बैठक में टैरिफ के इसी फर्क को लेकर हाल ही में चर्चा हुई थी। भारत और अमेरिका का लक्ष्य आपसी कारोबार को वर्ष 2030 तक दोगुना से अधिक कर 50 हजार करोड़ डॉलर तक ले जाने का है और कई सेक्टर के कारोबारी सौदे का पहले चरण को अगले कुछ महीने में ही अंतिम रूप देने का है। भारत पहले ही अमेरिका की कुछ चीजों पर ड्यूटी घटा चुका है जैसे कि बॉर्बन व्हिस्की पर ड्यूटी 150 फीसदी से घटाकर 100 फीसदी कर दी गई है। इसके अलावा मछलियों के चारे, स्क्रैप मैटेरियल्स, सैटेलाइट ग्राउंड इंस्टॉलेशंस, ईथरनेट स्विचेज और मोटरसाइकिल पर भी अमेरिकी निर्यातकों को राहत दी गई है।