केरल, जिसे भगवान का अपना देश भी कहा जाता है, इन दिनों सबसे भीषण प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन ने अब तक 300 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। इस घटना ने न केवल नाजुक इकोलॉजी की तस्वीर के सामने रखी, बल्कि एक अजीब सा ट्रेंड भी सबके ध्यान में लेकर आई। बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे बचाव अभियान के बीच, वायनाड में 'डार्क' टूरिस्ट की संख्या में लगातार इजाफा देखा जा रहा है।
इन पर्यटकों की आमद इतनी है कि स्थानीय पुलिस को चेतावनी जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा। 'X' पर एक सोशल मीडिया पोस्ट में, राज्य पुलिस ने सभी से भूस्खलन प्रभावित इलाकों में न आने का अनुरोध किया, क्योंकि इससे बचाव कार्य में रूकावट आ सकती है।
लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर ये 'डार्क टूरिस्ट' या 'डार्क टूरिज्म' शब्दों का मतलब क्या है? तो इसे ऐसे समझिए कि ये एक अजीब सा ट्रेंड है, जो दूसरे विश्व युद्ध के बाद से शुरू हुआ। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो खासतौर से किसी तरह की त्रासदी से जुड़े इलाकों में ही घूमने जाते हैं।
हत्या वाली जगहों से लेकर नरसंहार वाले घटना स्थलों तक, डार्क टूरिस्ट ने ऑशविट्ज़, द रेजीडेंसी, लखनऊ और ऐसी कई जगहों का दौरा किया है।
हालांकि, ऐसी जगहों के ऐतिहासिक महत्व को कम नहीं आंका जा सकता है, लेकिन मानवीय त्रासदी से जुड़ाव उन्हें इतना डरावना बना देता है कि आम जनता उन्हें नजरअंदाज कर देती है।
आसान शब्दों में कहें, तो डार्क टूरिज्म वो है, जब किसी घटना या हादसे वाली जगह पर लोग सिर्फ घूमने या उस जगह को देखने के लिए जाते हैं, वो भी तब जब हाल ही में वो घटना घटी हो।
वायनाड भूस्खलन में 49 बच्चे या तो लापता या हो गई मौत
इस बीच केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने शुक्रवार को कहा कि तीन दिन पहले वायनाड (Wayanad Landslide) जिले में विनाशकारी भूस्खलन की घटनाओं में कम से कम 49 बच्चे या तो लापता हैं या मर चुके हैं।
मीडिया से शिवनकुट्टी ने कहा कि वेल्लारीमाला में सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय प्राकृतिक आपदा से पूरी तरह नष्ट हो गया है, जबकि आसपास के चार और स्कूलों को भी नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा, "रिपोर्ट के अनुसार, 49 बच्चे या तो मर चुके हैं या लापता हैं। वेल्लारीमाला का स्कूल पूरी तरह से नष्ट हो गया है। मुंदक्कई का प्राथमिक स्कूल आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है। तीन अन्य स्कूलों को भी मामूली नुकसार हुआ है।"