कर्नाटक के बाद, पश्चिम बंगाल विधानसभा ने भी राज्य में NEET को खत्म करने का प्रस्ताव पास कर दिया। साथ ही जो छात्र मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते हैं, उनके लिए इसकी जगह एक नई प्रवेश परीक्षा ली जाएगी। ये प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री सोवनदेब चट्टोपाध्याय ने मंगलवार को विधानसभा में पेश किया था। प्रस्ताव में, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) के स्वतंत्र व निष्पक्ष परीक्षा कराए जाने में कथित असफलता की निंदा की गई है और राज्य सरकार से जनहित के मद्देनजर राज्य में ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम कराने का आग्रह किया गया है।
चट्टोपाध्याय ने मंगलवार को कहा, "आज प्रस्ताव पेश किया गया। इस पर कल चर्चा होगी। हमें उम्मीद है कि इस बात पर अच्छी चर्चा होगी कि क्या इस एग्जाम सिस्टम में सुधार किया जा सकता है, ताकि यह एरर फ्री हो सके।’’
कर्नाटक में भी NEET के खिलाफ प्रस्ताव
इससे पहले सोमवार रात तो कर्नाटक कैबिनेट ने NEET को रद्द करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। पिछले हफ्ते, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने केंद्र सरकार से NEET को खत्म करने और राज्यों को अपनी-अपनी प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की अनुमति देने का आग्रह किया था।
शिवकुमार ने कहा, “NEET परीक्षा में खामियां गंभीर हैं। ये लाखों छात्रों के भविष्य का सवाल है। केंद्र को NEET को खत्म करना चाहिए और राज्यों को अपनी प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की अनुमति देनी चाहिए। देश भर के छात्र राज्यों की परीक्षाओं में भाग ले सकते हैं।”
दोबारा NEET कराने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
शीर्ष अदालत का ये अंतरिम फैसला है और बाद में विस्तृत फैसला सुनाया जाएगा। इस अंतरिम फैसले से केंद्र सरकार और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को बड़ी राहत मिली है। पांच मई को हुई इस परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक समेत बड़े पैमाने पर कथित गड़बड़ी को लेकर सड़कों से लेकर संसद तक विरोध हुआ और सरकार और एजेंसी कड़ी आलोचना का सामना कर रही थीं।
चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने केंद्र और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकीलों नरेंद्र हुड्डा, संजय हेगड़े और मैथ्यूज नेदुमपरा समेत अलग-अलग वकीलों की दलीलें करीब चार दिनों तक सुनीं।