विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 2000 रुपये मूल्यवर्ग के नोटों को संचलन से वापस लेने के फैसले से बैंकिंग सिस्टम में तरलता (लिक्विडिटी) बढ़ने की संभावना है। तरला बढ़ने से अल्पकालिक ऋण पत्रों (short-term debt instruments) की दरों में गिरावट आ सकती है। मनी मार्केट ऑपरेशन के मुताबिक, 21 मई तक बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी करीब 93461.40 करोड़ रुपये के सरप्लस स्तर पर थी।
कोटक महिंद्रा बैंक की अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज का कहना है कि 2000 रुपये को नोटों के वापस लेने से नेट बेसिस पर जमा राशि में 1.5-2 लाख करोड़ रुपये की बढ़त होने की उम्मीद है। जमाकर्ताओं के व्यवहार के आधार पर ड्यूरेबल लिक्विडिटी (टिकाऊ तरलता) में भी लगभग 1 लाख करोड़ रुपये तक बढ़त हो सकती है। उपासना भारद्वाज का मानना है कि इससे बैंकों के क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात (credit-deposit ratio) में कमी होनी चाहिए।
फाइनेंशियल एडवाइजरी फर्म एमके ग्लोबल की लीड इकोनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा ने कहा कि 2000 रुपये के अधिकांश नोटों के शुरू में बैंकों में जमा किए जाने की संभावना है और इससे डिपॉजिट बेस में सुधार होगा। आरबीआई के इस कदम से बैंकिंग सिस्टम की तरलता में 1.4-1.6 लाख करोड़ रुपये तक की बढ़त हो सकती है।
डीलरों का कहना है कि 22 मई को, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि 30 सितंबर तक 2,000 रुपये के अधिकांश नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ जाएंगे। अगर ऐसा होता है तो इससे तरलता में काफी वृद्धि होगी।
डीलरों का कहना है कि बैंकिंग प्रणाली में तरलता बढ़ने से कमर्शियल पेपर्स, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट, ट्रेजरी बिलों और सरकारी प्रतिभूतियों (government securities)जैसे अल्पकालिक ऋण पत्रों (short-term debt instruments)पर लागू दरों या यील्ड में गिरावट देखने के मिलेगी। ट्रेजरी डीलरों को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में इनकी यील्ड 15-20 बेसिस प्वाइंट (0.15-0.20 फीसदी) कम हो जाएगी। बतातें चलें कि एक बेसिस प्वाइंट एक प्रतिशत अंक का सौवां हिस्सा होता है।
आरबीआई की अप्रैल की मौद्रिक नीति बैठक में ब्याज दरों में बढ़त पर विराम लगने को बाद पिछले कुछ हफ्तों के दौरान अल्पकालिक ऋण पत्रों (short-term debt instruments) की यील्ड में गिरावट देखने को मिली है। आरबीआई की अप्रैल की मौद्रिक नीति के बाद से, AA और उससे कम रेटिंग वाले पेपर्स पर परिपक्वता अवधि में 18-34 बीपीएस की गिरावट आई है। इसी तरह, AAA-रेटेड पेपर्स पर यील्ड में 15-25 बेसिस प्वाइंट की कमी आई है।
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