इनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स का आईपीओ निवेश के लिए 22 नवंबर को खुल गया है। कंपनी इस इश्यू से 650 करोड़ रुपये जुटा रही है। कंपनी वाटर एंड वेस्टवाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स (डब्ल्यूडब्ल्यूटीपी) बनाती है और उसका मेंटेनेंस करती है। कंपनी राज्य सरकारों और अर्बन लोकल बॉडीज के वाटर और वेस्टवाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स प्रोजेक्ट्स के लिए बोली लगाती है। डब्ल्यूडब्ल्यूटीपी का दायरा काफी व्यापक है। इसके तहत कई तरह के प्लांट्स आते हैं। इनमें सिवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, सेवरेज स्कीम और कॉमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स शामिल हैं। ट्रीटेड पानी का इस्तेमाल बागवानी, धुलाई, रेफ्रिजरेशन और प्रोसेस इंडस्ट्रीज में होता है।
कंपनी के पास 21 WWTPs और WSSPs के आर्डर्स
Enviro Infra Engineers अब तक देशभर में 28 डब्ल्यूडब्ल्यूटीपी और डब्ल्यूएसएसपी प्लांट्स विकसित कर चुकी है। उसने पिछले सात साल में ये प्लांट्स बनाए हैं। इनमें 22 प्रोजेक्ट्स 10 मिलियन लीटर प्रति दिन क्षमता के हैं। कंपनी के पास 21 WWTPs और WSSPs के आर्डर्स हैं। इनकी कुल वैल्यू 1,908.28 करोड़ रुपये है। कंपनी आईपीओ में 572 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी करेगी। इसमें से 181 करोड़ रुपये का इस्तेमाल वर्किंग कैपिटल की जरूरत पूरी करने के लिए होगा। कंपनी भविष्य में ज्यादा क्षमता के प्रोजेक्ट्स के ऑर्डर लेगी।
आईपीओ के पैसे का इस्तेमाल कर्ज चुकाने के लिए
कंपनी आईपीओ से हासिल फंड में से 120 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कर्ज का बोझ घटाने के लिए करेगी। इससे इंटरेस्ट पर कंपनी का खर्च घटेगा। कंपनी की बैलेंसशीट करीब 812 करोड़ रुपेय की है। इसमें से सिर्फ 51 करोड़ फिक्स्ड एसेट्स में लगा है। शेयरों की लिस्टिंग के बाद मार्केट कैपिटलाइजेशन में फिक्स्ड एसेट्स की हिस्सेदारी करीब 1.96 फीसदी होगी। कंपनी इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (EPC) के अलावा हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (HAM) प्रोजेक्ट्स भी करती है।
अभी 195 करोड़ के 60 MLD STP पर चल रहा काम
अभी एनवायरो इंफ्रा 195 करोड़ रुपये के 60 MLD STP प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इसका संबंध मथुरा की सिवरेज स्कीम से है। आईपीओ के बाद कंपनी इस एचएएम में इक्विटी कंट्रिब्यूशन के रूप में करीब 30 करोड़ रुपये इनवेस्ट करेगी। कंपनी भविष्य में इस तरह के प्रोजेक्ट्स में ज्यादा निवेश करने वाली है। वह ईपीसी के साथ एचएएम की भी भूमिका निभाना चाहती है। इससे कंपनी को कंसॉलिडेशन लेवल पर अच्छा रिटर्न और मार्जिन हासिल होगा।
कंपनी ऑर्डर्स के लिए राज्य और केंद्र सरकार पर निर्भर
आईपीओ में 148 रुपये के अपर प्राइस बैंड पर शेयर की वैल्यूएशन FY24 की अर्निंग्स का 24 गुना है। यह वैल्यूएशन प्रतिद्वंद्वी कंपनियों की औसत वैल्यूएशन से कम है। पिछले तीन साल में कंपनी का प्रॉफिट चार गुना हो गया है। कंपनी ने ज्यादातर प्रोजेक्ट्स पूरे करने के लिए कर्ज लिए हैं। कंपनी को अपनी डिजाइन और टेक्नोलॉजी से जुड़ी क्षमता पर भरोसा है। लेकिन, 15 फीसदी प्रॉफिट बनाए रखने में कंपनी को मुश्किल आ सकती है। इसकी वजह यह है कि ज्यादातर पुरानी कंपनियों का भी मार्जिन इतना नहीं है। यह भी ध्यान में रखने की जरूरत है कि कंपनी को बिजनेस और प्रोजेक्ट्स केंद्र सरकार, राज्य सरकार और अर्द्धसरकारी संस्थाओं की तरफ से मिलते हैं।
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फंड के इस्तेमाल पर निर्भर करेगा प्रदर्शन
कंपनी शेयर की कीमत पर काफी प्रीमियम डिमांड कर रही है। इसकी वजह बैलेंसशीट की साइज हो सकती है। कंपनी का नेटवर्थ 323 करोड़ रुपये है। 23.6 इक्विटी डायल्यूशन से कंपनी नए शेयर जारी कर 572 करोड़ रुपये जुटा रही है। कंपनी करीब 140 करोड़ रुपये का इस्तेमाल सामान्य कारोबारी जरूरतों के लिए करेगी। कंपनी के पास अच्छा कैपिटल उपलब्ध होगोा। कंपनी का प्रदर्शन इस बात पर निर्भर करेगा कि वह इस कैपिटल का कितना बेहतर इस्तेमाल करती है।