जेम एरोमैटिक्स का आईपीओ निवेश के लिए 19 अगस्त को खुल गया है। यह कंपनी एसेंशियल ऑयल्स, एरोमा केमिकल्स जैसे प्रोडक्ट्स बनाती है। इनका इस्तेमाल ओरल केयर, कॉस्मैटिक्स, फार्मास्युटिकल्स और दर्द निवारक उत्पादों में होता है। इस आईपीओ में 21 अगस्त तक निवेश किया जा सकता है। यह आईपीओ 451.25 करोड़ रुपये का है।
एसेंशियल ऑयल्स मार्केट में मजबूत पैठ
Gem Aromatics की शुरुआत 1997 में हुई थी। कंपनी ने एसेंशियल ऑयल्स मार्केट में अपनी मजबूत पैठ बनाई है। एसेंशियल ऑयल्स में पिपरमिंट ऑयल, क्लोव ऑयल, यूकेलिप्टस ऑयल जैसे ऑयल आते हैं। कई तरह की इंडस्ट्री में इनका इस्तेमाल होता है। यह इश्यू 451.25 करोड़ रुपये का है। इसमें कंपनी 175 करोड़ रुपये मूल्य के नए शेयर जारी करेगी। बाकी ऑफर फॉर सेल (OFS) होगा। ओएफएस का मतलब है कि इस इश्यू के जरिए कंपनी के इनवेस्टर्स अपनी हिस्सेदारी बेचेंगे।
इश्यू से मिले पैसे का इस्तेमाल कर्ज चुकाने पर होगा
कंपनी नए शेयर जारी करने से मिले 175 करोड़ रुपये का इस्तेमाल अपने कर्ज को चुकाने के लिए करेगी। आईपीओ के बाद कंपनी में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 75 फीसदी से घटकर 55 फीसदी रह जाएगी। कंपनी ने प्रति शेयर 309-325 रुपये का प्राइस बैंड तय किया है। अगर आप इस इश्यू में निवेश करना चाहते हैं तो कम से कम 46 शेयरों के लिए बोली लगानी होगी। एक लॉट 46 शेयरों का है। आप ज्यादा लॉट के लिए बोली लगा सकते हैं।
यूपी के बदायूं सहित देश में कुल तीन प्लांट्स
कंपनी के प्रोडक्ट्स को चार कैटेगरी में बांटा जा सकता है। इनमें मिंट डेरिवेटिव्स, क्लोव डेरिवेटिव्स, फिनायल और दूसरे दूसरे सिंथेटिक और नेचुरल इनग्रेडिएंट्स शामिल हैं। करीब दो-तिहाई रेवेन्यू मिंट डेरिवेटिव्स से आता है। कंपनी की कुल उत्पादन क्षमता 5,346 टन की है। इसके प्लांट्स उत्तर प्रदेश के बदायूं, सिलवासा और दाहेज में हैं। कंपनी 30 फीसदी उत्पादन का निर्यात करती है। खास बात यह है कि कंपनी एसेंशियल ऑयल्स की पूरी वैल्यू चेन में मौजूद है।
37 फीसदी रॉ मैटेरियल का इंपोर्ट
कंपनी के उत्पादन में मिंट ऑयल का काफी इस्तेमाल होता है। इसकी इंडिया में कोई कमी नहीं है। कंपनी का बदायूं का प्लांट उस इलाके में स्थित है, जहां मिंट का काफी उत्पादन होता है। लेकिन, कुछ दूसरे रॉ मैटेरियल का इंपोर्ट कंपनी को दूसरे देशों से करना पड़ता है। इनमें इंडोनेशिया, रवांडा और मेडागास्कर शामिल हैं। करीब 37 फीसदी रॉ मैटेरियल का कंपनी इंपोर्ट करती है। दाहेज और सिलवासा के प्लांट्स से कंपनी को एक्सपोर्ट करने में आसानी होती है।
पिछले चार फाइनेंशियल ईयर में कंपनी के रेवेन्यू की CAGR 17 फीसदी रही। ग्रॉस मार्जिन 24-25 फीसदी रहा। EBITDA मार्जिन करीब 18 फीसदी है, जिसका मतलब है कि ऑपरेटिंग एक्सपेंसेज सेल्स का 8 फीसदी है। यह प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के मुकाबले काफी कम है। प्रतिद्वंद्वी कंपनियों में यह करीब 21 फीसदी है। यह बात जेम एरोमैटिक्स को अलग खड़ा करती है। FY25 में कंपंनी का कर्ज बढ़कर करीब दोगुना 222 करोड़ रुपये हो गया। इसकी वजह यह है कि कंपनी ने दाहेज के नए प्लांट पर 105 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च किया है।
क्या आपको अप्लाई करना चाहिए?
कंपनी की सेल्स में एक्सपोर्ट्स की 52 फीसदी हिस्सेदारी है। इसमें से 31 फीसदी अमेरिका से आता है। इसका मतलब है कि अमेरिकी टैरिफ का असर कंपनी के एक्सपोर्ट पर पड़ेगा। हालांकि, मैनेजमेंट ने कहा कि टैरिफ के चैलेंज को संभाला जा सकता है, क्योंकि इसके कुछ प्रोडक्ट्स एग्जेम्प्शन लिस्ट में हैं। इसका मतलब है कि प्रोडक्ट्स की उस लिस्ट में हैं, जिन्हें टैरिफ से छूट हासिल है। कंपनी की इंप्लॉयड वैल्यूएशन महंगी लगती है। खासकर प्रतिद्वंद्वी कंपनियों से तुलना करने पर यह ज्यादा लगता है। इन चैलेंजेज को देखते हुए इनवेस्टर्स फिलहाल लिस्टिंग गेंस के लिए इस इश्यू में निवेश कर सकते हैं।