How To Increase IPO Allotment Chances: आईपीओ मार्केट में काफी बहार छाई हुई है। कंपनियां धड़ाधड़ अपना आईपीओ लेकर आ रही हैं और इसमें छोटी-मंझली यानी SME कंपनियां भी शामिल हैं। निवेशक भी धड़ाधड़ आईपीओ में पैसे लगा रहे हैं। हालांकि सवाल यही उठता है कि जब निवेशक बड़ी संख्या में आईपीओ में पैसे लगा रहे हैं तो शेयर सबको मिलना है नहीं, ऐसे में शेयर मिल जाएं, इसका जुगाड़ कैसे किया जाए। जैसे कि DOMS के आईपीओ की बात करें तो खुदरा निवेशकों के मामले में 52 एप्लीकेशन पर 1 एप्लीकेशन पर शेयर अलॉट हुए। अब यहां इसी पर फोकस करना है कि यह एक एप्लीकेशन आपका ही हो, इसे लेकर मार्केट एक्सपर्ट्स ने कुछ खास टिप्स दिए हैं।
कई कैटेगरी में लगाएं पैसे
आईपीओ में निवेश के लिए कई कैटेगरी होती है जैसे कि क्वालिफाईड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB), नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII) और रिटेल निवेशकों की। इनके लिए अलग-अलग हिस्सा आरक्षित होता है। Khambatta Securities के ग्रुप सीईओ और डायरेक्टर सुनील शाह के मुताबिक जिस कैटेगरी के लिए अधिक शेयर आरक्षित होंगे, उसमें शेयर मिलने के चांसेज बढ़ते हैं। ऐसे में आम निवेशकों को आईपीओ में पैसे लगाते समय रिटेल और नॉन-इंस्टीट्यूशनल कैटेगरी को ध्यान से देखना चाहिए।
रिटेल कैटेगरी में 2 लाख रुपये तक का ही निवेश हो सकता है जबकि नॉन-इंस्टीट्यूशनल कैटेगरी में 2 लाख रुपये से अधिक। इसमें भी दो कैटेगरी है-स्मॉल NII में 2-10 लाख रुपये और बिग NII में 10 लाख रुपये से अधिक का निवेश होता है। वहीं QIB में म्यूचुअल फंड्स, पेंशन फंड्स, FIIs और प्रोविडेंट फंड इत्यादि आते हैं। मार्केट के एक जानकार के मुताबिक आम निवेशकों के लिए बिग NII कैटेगरी में एप्लाई करने पर शेयर मिलने के चांसेज अधिक होते हैं। इस कैटेगरी में ओवरसब्सक्रिप्शन की स्थिति में कम से कम 2 लाख रुपये तक के शेयर मिलने के चांसेज रहते हैं।
पैसों को कई हिस्सों में बांटकर लगाएं
सुनील शाह के मुताबिक पूरे पैसे को सिर्फ अपने ही डीमैट खाते और पैन के जरिए आईपीओ में न लगाएं। जब आब एक ही डीमैट और पैन नंबर से 10 लॉट के लिए अप्लाई करते हैं तो इसे एक ही एप्लीकेशन माना जाता है। हालांकि अगर इसी 10 लॉट को परिवार के सदस्यों के डीमैट और पैन नंबर्स से लगाए जाएं तो यह 10 एप्लीकेशन माना जाएगा। इससे अलॉटमेंट में शेयर मिलने के चांसेज बढ़ जाते हैं।
इस आधार पर न लगाएं IPO में पैसे
GMP के हिसाब से न लगाएं पैसे
कुछ निवेशक ग्रे मार्केट में प्रीमियम यानी GMP के हिसाब से आईपीओ में पैसे लगाते हैं। हालांकि सुनील शाह का मानना है कि निवेशकों को इस पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि कभी-कभी इसमें उछाल मनमानी हो सकती है ताकि निवेशक आईपीओ को लेकर आकर्षित हो सकें। यह मार्केट सेंटिमेंट पर आधारित होता है और बदलता रहता है।
बुलिश मार्केट सेंटिमेंट में रहें सावधान
मार्केट में तेजी का रुझान बना हुआ है तो किसी भी आईपीओ में पैसे लगा दें, मुनाफा मिल ही जाएगा, ऐसा सोचना गलत है। सुनील के मुताबिक ओवरऑल मार्केट सेंटिमेंट बुलिश है तो भी किसी आईपीओ में बिना जांचे-परखें पैसे न लगा दें। उन्होंने कहा कि निवेश से पहले कंपनी के फंडामेंटल्स का ध्यान से अध्ययन कर लें और फिर पैसे लगाएं। कोई कंपनी फंडामेंटल तौर पर बेहतर है तो अलॉटमेंट में शेयर नहीं मिलते हैं तो लिस्टिंग के बाद भी निवेश का मौका होता है क्योंकि अधिकतर शेयर लिस्ट होने के बाद थोड़ा नरम पड़ते हैं।
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