Lenskart IPO: लेंसकार्ट के आईपीओ में लगाएं पैसे या रहें दूर? जानें सभी जोखिम और एक्सपर्ट्स की राय
Lenskart IPO: लेंसकार्ट (Lenskart) का 7,278 करोड़ रुपये का इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) आज 31 अक्टूबर से बोली के लिए खुल गया है। चश्मे और कॉन्टैक्ट लेंस बेचने वाली इस कंपनी के आईपीओ को लेकर काफी हलचल देखी जा रही है। जहां एक ओर कंपनी के मजबूत ब्रांड और ग्रोथ पोटेंशियल की सराहना हो रही है। वहीं दूसरी ओर इसके ऊंचे वैल्यूएशन को लेकर चिंता भी बनी हुई है
Lenskart IPO: चॉइस ब्रोकिंग ने इस IPO को “लंबी अवधि के लिए सब्सक्राइब करने” की सलाह दी है
Lenskart IPO: लेंसकार्ट (Lenskart) का 7,278 करोड़ रुपये का इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) आज 31 अक्टूबर से बोली के लिए खुल गया है। चश्मे और कॉन्टैक्ट लेंस बेचने वाली इस कंपनी के आईपीओ को लेकर काफी हलचल देखी जा रही है। जहां एक ओर कंपनी के मजबूत ब्रांड और ग्रोथ पोटेंशियल की सराहना हो रही है। वहीं दूसरी ओर इसके ऊंचे वैल्यूएशन को लेकर चिंता भी बनी हुई है। ऐसे में अब हर किसी के मन में एक ही सवाल है कि “क्या इस IPO में निवेश करना सही रहेगा?”
आइए लेंसकार्ट के IPO से जुड़े सभी बिंदुओं, इसके ग्रे मार्केट प्रीमियम, इससे जुडी चिंताएं और एक्सपर्ट्स की राय, सब कुछ विस्तार से जानते हैं।
Lenskart IPO: सभी जरूरी जानकारी
सबसे पहले बात करते हैं लेंसकार्ट के IPO के बारे में। लेंसकार्ट के इस IPO का इसा 7,278 करोड़ रुपये है। इसमें से ₹2,150 करोड़ का फ्रेश इश्यू और 12.75 करोड़ शेयरों का ऑफर-फॉर-सेल (OFS) शामिल है। कंपनी ने अपने शेयरों के लिए 382 रुपये से 402 रुपये का प्राइस बैंड तय किया है। इसका IPO 31 अक्टूबर से 2 नवंबर तक खुला रहेगा।
निवेशक न्यूनतम 37 शेयरों के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिसके लिए करीब 14,874 रुपये का निवेश जरूरी है। लेंसकार्ट के शेयरों का आवंटन 5 नवंबर को और लिस्टिंग 10 नवंबर को होने की संभावना है।
Lenskart IPO: ग्रे मार्केट प्रीमियम
अब बात करते हैं ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) की। इनवेस्टगेन के आंकड़ों के मुताबिक, लेंसकार्ट के अनलिस्टेड शेयर शुक्रवार 31 अक्टूबर को अपने IPO प्राइस से करीब 18.41% के प्रीमियम पर ट्रेड हो रहे हैं। यह आंकड़ा 30 अक्टूबर को देखे गए 17.41% के ग्रे मार्केट प्रीमियम से थोड़ा ज्यादा है। वहीं IPO Watch के मुताबिक, इसका ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) लगभग 11.45% के आसपास है। इससे संकेत मिलता है कि मार्केट में लेंसकार्ट की लिस्टिंग पॉजिटिव रह सकती है।
Lenskart IPO: एक्सपर्ट्स की राय
लेंसकार्ट के आईपीओ को लेकर एक्सपर्ट्स की राय मिली-जुली है। प्राइमस पार्टनर्स के श्रवण शेट्टी का कहना है कि “लेंसकार्ट के पास मजबूत ब्रांड, ओमनी-चैनल पहुंच और इंटरनेशनल एक्सपेंशन की ताकत है। मार्केट इसे सिर्फ आईवियर कंपनी नहीं, बल्कि एक टेक्नोलॉजी ड्रिवन ब्रांड के रूप में देख रहा है। इसी के चलते ऊंचे वैल्यूएशन के बाद इसका GMP अच्छा दिख रहा है।" उन्होंने बताया कि अरबपति निवेशक राधाकिशन दमानी ने प्री-IPO फंडिंग राउंड में ₹90 करोड़ का निवेश किया है।
विभवंगल अनुकुलकर के फाउंडर और एमडी सिद्धार्थ मौर्य कहते हैं, “करीब ₹70,000 करोड़ के संभावित वैल्यूएशन के साथ, कंपनी की ओमनी-चैनल उपस्थिति और अंतरराष्ट्रीय विस्तार इसे अलग बनाते हैं। लेकिन असली सवाल है सस्टेनेबिलिटी का। क्या इसकी यूनिट इकॉनॉमिक्स और मार्जिन बढ़ते ऑपरेशनल कॉस्ट और इंटरनेशनल कॉम्पिटिशन को झेल पाएंगे?”
स्वास्तिका इनवेस्टमार्ट ने लेंसकार्ट के IPO को ‘न्यूट्रल’ रेटिंग दी है। उन्होंने कहा कि “कंपनी के फंडामेंटल्स अच्छे हैं, लेकिन वैल्यूएशन थोड़ा खिंचा हुआ है।”
ब्रोकरेज फर्मों की क्या है राय?
चॉइस ब्रोकिंग (Choice Broking) ने इस IPO को “लंबी अवधि के लिए सब्सक्राइब करने” की सलाह दी है। ब्रोकरेज हाउस का कहना है कि यह IPO लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स और हाई रिस्क उठाने की क्षमता रखने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त है। रिपोर्ट में कहा गया है कि “ऊपरी प्राइस बैंड पर लेंसकार्ट का EV-टू-सेल्स रेशियो 9.9x है, जो काफी ऊंचा है। कंपनी ने टॉपलाइन ग्रोथ दिखाई है, लेकिन मुनाफे (PAT) पर अभी दबाव है। कंपनी का मार्केट शेयर 4-6% है और करीब 40% रेवेन्यू इंटरनेशनल मार्केट्स से आता है।”
वहीं HDFC सिक्योरिटीज का कहना है कि “लेंसकार्ट ने अपने आईवियर प्रोडक्ट्स को फंक्शनल और फैशनेबल दोनों के रूप में पेश किया है। कंपनी खास तौर से Gen-Z और यंग कंज्यूमर्स को टारगेट करने के लिए डिजिटल मार्केटिंग, इंफ्लुएंसर कैम्पेन और सोशल मीडिया पर जोर दे रही है।”
Lenskart IPO: मुख्य जोखिम
अब बात करते हैं जोखिमों की, क्योंकि हर IPO में कुछ रिस्क तो होते ही हैं। HDFC सिक्योरिटीज ने निवेशकों को कुछ महत्वपूर्ण जोखिमों के प्रति आगाह किया है-
- भारत और साउथ-ईस्ट एशिया में करीब 70% से 77% आईवियर मार्केट अनऑर्गेनाइज्ड है।
- कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और सप्लाई क्वालिटी पर असर।
- कंपनी की इसके गुरुग्राम मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर पर भारी निर्भरता।
- और इंटरनेशनल एक्सपेंशन के साथ बढ़ता ऑपरेशनल खर्च।
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