LIC का आईपीओ अगले हफ्ते आ रहा है। इस इश्यू के बारे में हर बात साफ हो चुकी है। लेकिन, अब भी इनवेस्टर्स के मन में कुछ सवाल हैं। यह सवाल यह है कि क्या कोई व्यक्ति एक से ज्यादा कोटे के तहत अप्लाई कर सकता है? यह सवाल स्वाभाविक है, क्योंकि एक व्यक्ति रिटेल इनवेस्टर्स होने के साथ एलआईसी का पॉलिसीहोल्डर भी हो सकता है। कुछ लोग तो ऐसे होंगे, जो पॉलिसीहोल्डर होने के साथ ही एलआईसी के एंप्लॉयी भी हो सकते हैं।
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोई व्यक्ति रिटेल और पॉलिसीहोल्डर्स दोनों ही कैटेगरी में अप्लाई कर सकता है। हर कैटेगरी में वह दो-दो लाख रुपये की लिमिट तक अप्लाई कर सकता है। इस तरह वह कुल चार लाख रुपये इनवेस्टमेंट के लिए इस आईपीओ में बोली लगा सकता है। पेटीएम मनी के सीईओ वरुण श्रीधर ने कहा कि एलआईसी के आईपीओ में इनवेस्टर्स के पास एक से ज्यादा कैटेगरी में अप्लाई करने का ऑप्शन है।
उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति एलआईसी का पॉलिसीहोल्डर है तो वह रिटेल के साथ पॉलिसीहोल्डर कोटे के तहत भी आईपीओ में बोली लगा सकता है। इससे शेयर एलॉट होने के उसके चांसेज बढ़ जाएंगे। यही नहीं, अगर कोई व्यक्ति एलआईसी का एंप्लॉयीज है तो वह एंप्लॉयीज कैटेगरी में भी अप्लाई कर सकता है। इस तरह वह और 2 लाख रुपये के शेयरों के लिए बोली लगा सकता है।
ऐसी स्थिति में जब कोई व्यक्ति रिटेल इनवेस्टर होने के सात ही पॉलिसीहोल्डर और एंप्लॉयी हो तो उसका मैक्सिमम बिड अमाउंट 6 लाख रुपये हो जाएगा। तीनों कैटेगरी में से हर कैटेगरी में 2-2 लाख रुपये के लिए बोली लगा सकता है।
डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) के सेक्रेटरी तुहिन कांत पांडेय ने शुक्रवार को कहा, "अभी हम एलआईसी में अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेच रहे हैं। अगर हर साल 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की जरूरत पड़ी तो इसका मतलब है कि हर साल मार्केट में एक मेगा आईपीओ आएगा। एलआईसी का मामला अलग है, इसलिए हम सेबी से इस नियम में छूट चाहते हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि रिटेल इनवेस्टर्स, एंप्लॉयीज और पॉलिसी होल्डर्स अपनी-अपनी कैटेगरी में 2-2 लाख रुपये का इनवेस्टमेंट एलआईसी के आईपीओ में कर सकेंगे। इसका मतलब है कि अगर कोई रिटेल इनवेस्टर एलआईसी का एंप्लॉयी भी है और पॉलिसीहोल्डर भी है तो वह इस आईपीओ में 6 लाख रुपये तक का निवेश कर सकता है।
अगर कोई इनवेस्टर एलआईसी के आईपीओ में 2 लाख रुपये से ज्यादा इनवेस्ट करना चाहता है तो वह नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII) कैटेगरी में भी इनवेस्ट कर सकता है। लेकिन, तब वह रिटेल कैटेगरी के तहत अप्लाई नहीं कर सकेगा। अगर वह ऐसा करता है तो उसके दोनों अप्लिकेशन रिजेक्ट हो जाएंगे। इस आईपीओ में पॉलिसीहोल्डर्स के लिए 10 फीसदी कोटा तय है। रिटेल इनवेस्टर्स के लिए 35 फीसदी कोटा तय है।