Meesho IPO: वैल्यू-फोकस्ड ई-कॉमर्स दिग्गज Meesho भारतीय स्टार्टअप जगत की सबसे बड़ी लिस्टिंग में से एक के लिए कमर कस रहा है। प्रस्तावित IPO में ₹4,250 करोड़ का एक फ्रेश इश्यू और मौजूदा शेयरधारकों द्वारा 17.57 करोड़ शेयरों का OFS शामिल है। इस IPO के लिए कोटक, जे.पी. मॉर्गन, मॉर्गन स्टेनली, एक्सिस कैपिटल और सिटी को लीड मैनेजर है। आइए आपको बताते है इस आईपीओ की पूरी डिटेल्स।
OFS के तहत एलीवेशन कैपिटल सबसे बड़ा हिस्सा लगभग 5.54 करोड़ शेयर बेच रहा है। इसके बाद पीक XV पार्टनर्स 3.05 करोड़ शेयर, वेंचर हाईवे 1.57 करोड़ शेयर, Y कॉम्बिनेटर कंटिन्यूटी 1.26 करोड़ शेयर और गोल्डन समिट लिमिटेड 80 लाख शेयर बेच रहे है। कंपनी एक फाउंडर विदित आत्रे (CEO) और संजीव कुमार (CTO) ने भी OFS में हिस्सा लिया है, जिनमें से प्रत्येक 1.18 करोड़ शेयर बेच रहा है।
IPO के पैसों का क्या होगा?
Meesho नए इश्यू से जुटाए जाने वाले ₹4,250 करोड़ के एक महत्वपूर्ण हिस्से का उपयोग अपनी विकास रणनीति को गति देने के लिए करेगी। ₹1,390 करोड़ क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए, और ₹480 करोड़ शीर्ष इंजीनियरिंग और AI टैलेंट को नियुक्त करने पर खर्च किए जाएंगे। ₹1,020 करोड़ मार्केटिंग और ब्रांड निर्माण प्रयासों के लिए रिजर्व है। 35% तक धनराशि अधिग्रहण और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए रखी गई है।
कैसी है कंपनी की वित्तीय सेहत?
Meesho की टॉप लाइन तेजी से बढ़ रही है, जो मुख्य रूप से इसके कोर मार्केटप्लेस सेगमेंट से प्रेरित है। कंपनी का राजस्व FY25 में ₹9,389.9 करोड़ रहा, जो FY24 से 23% और FY23 से 64% अधिक है। FY25 में कंपनी का शुद्ध घाटा ₹3,941.7 करोड़ रहा। हालांकि, मार्केटप्लेस के लिए इसका EBITDA घाटा तेजी से कम हुआ है। कंट्रीब्यूशन मार्जिन FY23 में ₹5,658 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹14,836 करोड़ हो गया। ऑर्डरों की संख्या में 33% CAGR की वृद्धि हुई। प्रति ऑर्डर लागत FY23 में ₹50.45 से घटकर FY25 में ₹43.08 हो गई। ₹5,700 करोड़ से अधिक की नकदी और निवेश, और शून्य ऋण के साथ, Meesho एक मजबूत बैलेंस शीट के साथ IPO ला रहा है।
कहां फिसल सकती है Meesho की गाड़ी?
तेज विकास के बावजूद, Meesho कई संरचनात्मक चुनौतियों का सामना कर रहा है। 75% से अधिक ऑर्डर कैश-ऑन-डिलीवरी (CoD) पर निर्भर हैं, जिसकी सफलता दर 75.5% है (प्रीपेड ऑर्डर की 98% की तुलना में)। CoD मॉडल वर्किंग कैपिटल को बांधता है, रिटर्न दर बढ़ाता है और नकदी-हैंडलिंग जोखिम पैदा करता है। कंपनी ने नकदी जमा न करने के लिए 35 डिलीवरी वेंडरों के खिलाफ पुलिस शिकायत भी दर्ज की है। लॉजिस्टिक्स एक प्रमुख कमजोरी बनी हुई है।
कंपनी ₹7,100 करोड़ से अधिक के कर और कानूनी विवादों का सामना कर रही है, जिसमें एक ₹5,720 करोड़ का आयकर दावा भी शामिल है। Amazon, Flipkart और नए क्विक-कॉमर्स प्रतिद्वंद्वियों से लगातार प्रतिस्पर्धा मार्जिन पर दबाव डालती रहेगी।