नेफ्रोकेयर हेल्थ सर्विसेज (नेफ्रोप्लस) का आईपीओ 10 दिसंबर को खुल गया है। यह डायलिसिस और इससे संबंधित सर्विसेज ऑफर करने वाली इंडिया की सबसे बड़ी कंपनी है। यह आईपीओ ऐसे वक्त आया है, जब सिंगल-स्पेशियलिटी हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म्स में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ रही है। स्पेशियलिटी मेडिकल सर्विसेज की डिमांड स्ट्रॉन्ग है। बिजनेस के विस्तार के लिए अच्छी संभावनाएं हैं। इस इश्यू में 12 दिसंबर तक निवेश किया जा सकता है।
ओएफएस में कुछ फंड हाउसेज बेचेंगे शेयर
NephroPlus ने आईपीओ में शेयर का प्राइस बैंड 438-460 रुपये रखा है। कंपनी का इश्यू 871 करोड़ रुपये का है। इसमें ऑफर फॉर सेल (OFS) भी शामिल है। प्राइस बैंड के अपर लेवल पर कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 4,615 करोड़ रुपये आता है। ओएफस के जरिए कुछ फंड हाउसेज अपने शेयर बेचेंगे। कंपनी के फाउंडर और चेयरमैन विक्रम वुपल्ला और फैमिली ट्रस्ट्स अपने शेयर नहीं बेच रहे हैं।
2009 में हुई थी कंपनी की शुरुआत
कंपनी की लिस्टिंग के बाद इसमें प्रमोटर्स और प्रमोटर ग्रुप की हिस्सेदारी घटकर 66.7 फीसदी पर आ जाएगी, जो अभी 78.9 फीसदी है। नेफ्रोप्लस की शुरुआत 2009 में हुई थी। यह अपनी 519 क्लिनिक्स के जरिए कम्प्रिहेंसिव डायलिसिस केयर ऑफर करती है। इनमें 51 क्लिनिक्स विदेश में हैं, जिनमें फिलीपींस, उजबेकिस्तान, नेपाल और सऊदी अरब शामिल है। यह इंडिया की सबसे बड़ी डायलिसिस प्रोवाइडर है। इसका मार्केट शेयर 10 फीसदी है।
टियर 2 और टियर 3 शहरों पर ज्यादा फोकस
नेफ्रोप्लस की क्लिनिक का नेटवर्क पूरे देश में है। इसने टियर 2 और टियर 3 शहरों पर ज्यादा फोकस रखा है, जिससे इसकी 77 फीसदी क्लिनिक्स ऐसे शहरों में हैं। यह एशिया में सबसे बड़ी डायलिसिस सर्विस प्रोवाइडर बन गई है, जबकि पूरी दुनिया में यह पांचवें पायदान पर है। पिछले दो सालों में कंपनी के नेटवर्क की ग्रोथ 25 फीसदी सीएजीआर रही है। नेफ्रोप्लस का बिजनेस ऐसा है, जिसमें दूसरे प्लेयर्स की एंट्री आसान नहीं है। कंपनी सर्विसेज के विस्तार के लिए नई क्लिनिक शुरू करने के साथ ही मौजूदा क्लिनिक का विस्तार कर रही है।
बड़ी हॉस्पिटल्स चेंस के साथ पार्टनरशिप
कंपनी एसेट-लाइट बिजनेस मॉडल का इस्तेमाल करती है। इसका मतलब है कि इसकी 519 क्लिनिक्स में सिर्फ 67 स्टैंडएलोन सेंटर हैं, जिनके लिए ज्यादा पूंजी की जरूरत पड़ती है। बाकी क्लिनिक्स के लिए कंपनी ने बड़ी हॉस्पिटल्स चेन के साथ पार्टनरशिप की है। इनमें फोर्टिस और मैक्स जैसी कंपनियां शामिल हैं। कंपनी रेवेन्यू-शेयरिंग मॉडल का इस्तेमाल करती है। सरकारी हॉस्पिटल्स के साथ इसका पीपीपी कॉन्ट्रैक्ट है।
क्या आपको इनवेस्ट करना चाहिए?
नेफ्रोप्लस से तुलना के लिए ऐसी कोई लिस्टेड कंपनी नहीं है। शेयरों के अपर प्राइस बैंड पर शेयर की वैल्यूएशन FY25 के ईवी/एबिड्टा का 28 गुना है। यह बहुत कम नहीं है। लेकिन, एमकैप-टू- टोटल एड्रेसेबल मार्केट के लिहाज से देखने पर वैल्यूएशन सही लगती है। इनवेस्टर्स लंबी अवधि के लिहाज से इस आईपीओ में निवेश कर सकते हैं।