Park Medi World IPO: कैसा है पार्क मेडी वर्ल्ड का आईपीओ, क्या आपको इश्यू में इनवेस्ट करना चाहिए?

Park Medi World (PMWL) की शुरुआत 2011 में हुई थी। इसके 14 मल्टी-सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल्स हैं। इनमें हरियाणा में 8, पंजाब में 3, राजस्थान में 2 और दिल्ली में 1 हॉस्पिटल है। हॉस्पिटल्स बेड की कुल संख्या 3,250 है। यह नॉर्थ इंडिया में दूसरी सबसे बड़ी प्राइवेट हॉस्पिटल कंपनी है

अपडेटेड Dec 10, 2025 पर 9:06 PM
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पार्क मेडी वर्ल्ड की शुरुआत डॉ अजीत गुप्ता ने की थी। उन्होंने अपना पहला हॉस्पिटल दिल्ली में 2005 में शुरू किया था।

पार्क मेडी वर्ल्ड का आईपीओ 10 दिसंबर को खुल गया है। यह एक प्राइवेट हॉस्पिटल चेन कंपनी है, जो मुख्य रूप से नॉर्थ इंडिया में ऑपरेट करती है। कंपनी आईपीओ से 920 करोड़ रुपये जुटा रही है। इसमें वह 750 करोड़ रुपये मूल्य के नए शेयर इश्यू करेगी। इसका इस्तेमाल कंपनी कर्ज चुकाने के लिए करेगी।

2011 में हुई थी कंपनी की शुरुआत

Park Medi World (PMWL) की शुरुआत 2011 में हुई थी। इसके 14 मल्टी-सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल्स हैं। इनमें हरियाणा में 8, पंजाब में 3, राजस्थान में 2 और दिल्ली में 1 हॉस्पिटल है। हॉस्पिटल्स बेड की कुल संख्या 3,250 है। यह नॉर्थ इंडिया में दूसरी सबसे बड़ी प्राइवेट हॉस्पिटल कंपनी है। पार्क मेडी वर्ल्ड की शुरुआत डॉ अजीत गुप्ता ने की थी। उन्होंने अपना पहला हॉस्पिटल दिल्ली में 2005 में शुरू किया था। 2011 में यह हॉस्पिटल कंपनी के तहत आ गया।


ऑपरेटिंग मार्जिन में अच्छा इम्प्रूवमेंट

पिछले सालों में पार्क मेडी वर्ल्ड ने नॉर्थ इंडिया में 8 हॉस्पिटल्स का अधिग्रहण किया है। पिछले कुछ सालों में कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन अच्छा रहा है। FY23 में रेवेन्यू 1,255 करोड़ रुपये था, जो FY25 में बढ़कर 1,394 करोड़ रुपये हो गया। इसमें आउट-पेशेंट वॉल्यूम में तेज उछाल का बड़ा हाथ है। कंपनी के प्रॉफिट कमाने की क्षमता में भी इम्प्रूवमेंट देखने को मिला है। ऑपरेटिंग मार्जिन 23.1 फीसदी से बढ़कर 26.7 फीसदी हो गया है।

कंपनी पर 681 करोड़ रुपये का कर्ज

इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के अंत में कंपनी पर कुल 681 करोड़ रुपये का कर्ज था। आगे कंपनी की बैलेंसशीट बेहतर होने की उम्मीद है। कंपनी ने आईपीओ से हासिल पैसे का इस्तेमाल अपना 50 फीसदी कर्ज चुकाने के लिए करेगी। पार्क मेडी वर्ल्ड टियर 2 और टियर 3 शहरों पर फोकस बढ़ा रही है। इन शहरों में आधुनिक मेडिकल इंफ्रास्टक्चर का अभाव है।

रेवेन्यू में सरकारी स्कीम की ज्यादा हिस्सेदारी

कंपनी के पेशेंट्स में गंभीर रोगियों की हिस्सेदारी ज्यादा है, जिससे हॉस्पिटल में रहने का औसत लेंथ 6.6 दिन है। यह दूसरी लिस्टेड हॉस्पिटल कंपनियों से ज्यादा है। रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा सरकारी स्कीम और पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स से आता है। कुल रेवेन्यू में यह हिस्सेदारी करीब 85-90 फीसदी है। इस वजह से रियलाइजेशन थोड़ा कम है। इस वजह से इसका ARPOB यानी एवरेज रेवेन्यू पर ऑक्युपायड बेड 26,000 है, जो प्राइवेट हॉस्पिटल इंडस्ट्री के एवरेज से काफी कम है।

तीन साल में 5000 बेड का टारगेट

कंपनी ने ग्रोथ के लिए बड़ा प्लान बनाया है। यह अगले तीन साल में बेड की संख्या बढ़ाकर 5000 तक करना चाहती है। इसके लिए यह पंचकूला और रोहतक में नए हॉस्पिटल बना रही है। अंबाला में हॉस्पिटल की क्षमता बढ़ा रही है। कंपनी आईपीओ से हासिल कुछ पैसे का इस्तेमाल कुछ हॉस्पिटल्स के अधिग्रहण के लिए भी करेगी। रेवेन्यू में सरकारी स्कीम की हिस्सेदारी ज्यादा होने से पेमेंट में देर होती है। क्लेम के रिजेक्शंस के भी मामले आते है।

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क्या आपको निवेश करना चाहिए?

शेयर के प्राइस बैंड के ऊपरी लेवल पर कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 7,000 करोड़ रुपये आता है। इसका मतलब है कि वैल्यूएशन FY26 के अनुमानित EV/EBITDA की 16 गुना है। भारत में हेल्थकेयर फैसिलिटी की कमी है। ऐसे में कंपनी की ग्रोथ के लिए काफी संभावनाएं हैं। हालांकि, वैल्यूएशन ज्यादा नहीं है। इनवेस्टर्स लिस्टिंग गेंस के लिए इस आईपीओ में इनवेस्ट कर सकते हैं।

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