पाइन लैब्स के आईपीओ का इंतजार काफी समय से हो रहा है। लेकिन, ऐसा लगता है कि वैल्यूएशन के मसले पर पेच फंस रहा है। यह सबसे बड़े आईपीओ में से एक होगा। सूत्रों का कहना है कि वैल्यूएशन को लेकर कंपनी की उम्मीद और इनवेस्टर्स जो कीमत चुकाने को तैयार हैं, उसमें काफी फर्क हो सकता है। खबरों के मुताबिक, कंपनी 34,000-42,000 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन चाहती है। लेकिन, इनवेस्टर्स जितने पैसे देने को तैयार हैं, उससे कंपनी की वैल्यूएशन 21,250-25,500 करोड़ रुपये के बीच हो सकती है।
अभी की स्थिति के मुताबिक 29,750 करोड़ से ज्यादा वैल्यूएशन
एक बैंकर ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि अभी मार्केट में जो स्थितियां है, उसे देखते हुए वैल्यूएशन ज्यादा से ज्यादा 29,750 करोड़ रुपये हो सकती है। बैंकर्स का यह भी कहना है कि कंपनी जून के अंत तक आईपीओ के लिए डॉक्युमेंटेशन का काम पूरा कर सकती है। लेकिन, सबसे बड़ी दिक्कत वैल्यूएशन को लेकर है।
एक्सिस कैपिटल सहित ये कंपनियां बैकर्स होंगे
एक दूसरे बैंकर ने कहा कि आईपीओ के अप्लिकेशन को मंजूरी मिलने में करीब 3-6 महीने का समय लग सकता है। अब से तब के बीच ऐसे किसी बदलाव की उम्मीद कम है जिससे पाइन लैब्स की वैल्यूएशन 4-5 अरब डॉलर पहुंच जाए। मनीकंट्रोल ने पिछले साल नवंबर में खबर दी थी कि Axis Capital, Citi, Morgan stanley, Jefferies और जेपी मॉर्गन इस आईपीओ के लिए बैंकर्स होंगे। वैल्यूएशन के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए पाइन लैब्स को भेजे ईमेल का जवाब नहीं आया।
बैंकर्स भी सही वैल्यूएशन रखने की दे रहे सलाह
बताया जाता है कि बैंकर्स कंपनी को वैल्यूएशन सही रखने की सलाह दे रहे हैं। उनका मानना है कि पाइन लैब्स को आईपीओ में निवेश करने वाले इनवेस्टर्स के लिए मुनाफा बनाने की कुछ गुंजाइश छोड़नी चाहिए। उन्होंने पेटीएम के आईपीओ का भी उदाहरण दिया है। इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि मार्केट अभी डिजिटल पेमेंट्स और फिनटेक कंपनी को लेकर नब्ज टटोलने की कोशिश कर रहा है। अच्छा यह होगा कि फेयर-प्राइस्ड आईपीओ प्रोसेस के जरिए बेहतर वैल्यूएशन तक पहुंचा जाए।
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फिनटेक कंपनियों की वैल्यूएशन पर लगी है चोट
पाइन लैब्स ऐसे वक्त अपने शेयर लिस्ट कराने जा रही है, जब ग्लोबल मार्केट्स में फिनेटक कंपनियों की वैल्यूएशंस को चोट लगी है। बैंकर्स का कहना है कि दुनियाभर में पेमेंट्स कंपनियों की EBITDA मल्टीपल्स करीब 12-30 गुना है। हालांकि, इंडिया एक ग्रोथ मार्केट है, जिससे मल्टीपल ग्लोबल बेंचमार्क से दोगुना हो सकता है। लेकिन, वैल्यूएशन 3.5 से 4 अरब डॉलर से ज्यादा रहने की उम्मीद कम है।