Pre-IPO Market News: स्मॉल और माइक्रो-कैप कंपनियों की धमाकेदार लिस्टिंग के चलते प्री-आईपीओ मार्केट काफी गुलजार हो गया था लेकिन अब बाजार नियामक SEBI ने इसे करारा झटका दे दिया है। इसने मर्चेंट बैंकर्स और हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (HNI) निवेशकों को परेशान कर दिया है। यह झटका कंपनीज एक्ट, 2013 के एक नियम के चलते है जिसे सेबी अब लागू कर रही है। कंपनीज एक्ट, 2013 के सेक्शन 42(2) के तहत कोई भी अनलिस्टेड कंपनी एक वित्त वर्ष में 200 से अधिक निवेशकों को शेयर नहीं ऑफर कर सकती है और अगर ऐसा करना हो तो यह सिर्फ आईपीओ के जरिए ही हो सकता है।
इस हफ्ते की शुरुआत में मनीकंट्रोल ने खुलासा किया था कि सेबी ने मोबीक्विक (Mobikwik) और कुछ अन्य कंपनियों के आईपीओ को मंजूरी देने में इसलिए देरी की क्योंकि इन्होंने एक ही साल में 200 से अधिक निवेशकों को शेयर जारी कर दिए। अगर कोई कंपनी एक ही वित्त वर्ष में 200 से अधिक निवेशकों को शेयर जारी करती है तो या तो उसे भारी जुर्माना देना होगा या कंपनी को शेयर वापस खरीदने होंगे।
अमीर निवेशक SME Stocks के लिए प्री-आईपीओ मार्केट में
पिछले दो वर्षों से एसएमई स्टॉक्स रॉकेट की स्पीड से ऊपर चढ़ रहे हैं जिसके चलते HNI के बीच लिस्टिंग से पहले ही कंपनी का एक हिस्सा यानी शेयरों को खरीदने की होड़ मच गई है। मजबूत मांग के चलते मर्चेंट बैंकर्स को भी प्री-आईपीओ दौर की फंडिंग के लिए पर्याप्त खरीदार ढूंढने में आसानी हो गई है। कई HNI प्री-आईपीओ में निवेश के लिए पैसे उधार ले रहे हैं क्योंकि कुछ महीने पहले तक एसएमई आईपीओ के लिए अप्रूवल प्रोसेस काफी आसान थी। इसके चलते कई एचएनआई ने 6-8 महीनों के भीतर ही अपना पैसा दोगुना कर लिया है।
अब क्यों बदल गया माहौल और आगे क्या होगा?
रेगुलेटर्स अब कंपनीज एक्ट के सेक्शन 42(2) को लेकर सख्त हो गए हैं। इसके चलते मर्चेंट बैंकर्स और HNI परेशान हो गए हैं। कुछ मर्चेंट बैंकर्स एक रास्ता सुझा तो रहे हैं लेकिन वह काम करें, ऐसा नहीं लगता है। कुछ मर्चेंट बैंकर्स का कहना है कि जो कंपनी आईपीओ ला रही है, वह कुछ को ही शेयर अलॉट करे जो प्री-आईपीओ के जरिए निवेश करने को इच्छुक HNI को शेयर बेच सकते हैं। हालांकि ऐसे ही मामले में अप्रैल में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ने क्राउडसोर्सिंग प्लेटफॉर्म प्लेनिफाई (Planify) समेत कुछ कंपनियों पर सेक्शन 42 के उल्लंघन मामले में जुर्माना लगाया। इन कंपनियों ने प्लेनिफाई या इसकी ग्रुप कंपनियों को शेयर अलॉट किए थे जो बाद में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए ओपन मार्केट में बेचे गए थे।
एक HNI ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा कि मर्चेंट बैंकर को अब कंपनी से एक अंडरटेकिंग लेना चाहिए कि उसने एक वित्त वर्ष में 200 से अधिक निवेशकों को शेयर जारी नहीं किया है। एचएनआई का यह भी कहना है कि कंपनियां चाहे तो रास्ता खोज सकती हैं लेकिन यहां यह तय नहीं है कि नियमों की व्याख्या किस तरीके से होगी।
मर्चेंट बैंकर एक और रास्ता सुझा रहे हैं कि कई HNI के पैसों को मिलाकर एक फंड बनाया जाए और उसे कंपनी को लोन दिया जाए और इसमें शर्त यह होगी कि कंपनी को छह महीने के भीतर आईपीओ के लिए अप्रूवल मिल जाएगा। एक बार अप्रूवल मिल जाए तो लोन को इक्विटी में बदला जा सकता है।