Primary Market in FY23: IPO के लिहाज से नया साल पिछले साल से भी रह सकता है बेहतर

अब तक 56 कंपनियों को सेबी से आईपीओ की मंजूरी मिल चुकी है वहीं 41 और कंपनियों ने सेबी में अपने आईपीओ की अर्जी लगा रखी है। यह 41 कंपनियां आईपीओ मार्केट से 81,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है

अपडेटेड Apr 06, 2022 पर 2:20 PM
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Motilal Oswal Financial Services की स्नेहा पोद्दार का कहना है कि चौथी तिमाही के सुस्ती के बावजूद हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2023 में भी प्राइमरी मार्केट में जोरदार तेजी देखने को मिलेगी

31 मार्च 2022 को समाप्त वित्त वर्ष में भारतीय प्राथमिक बाजार(आईपीओ मार्केट) में भारी गहमागहमी देखने को मिली। इस साल 53 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए प्राथमिक बाजार (प्राइमरी बाजार) से 1.18 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। बाजार जानकारों का कहना है कि वित्त वर्ष 2023 में भी यह क्रम जारी रहेगा। वित्त वर्ष 2022 में कंपनियों ने वित्त वर्ष 2021 की तुलना में प्राइमरी बाजार से 3.7 गुना ज्यादा पैसे जुटाए है।

बता दें कि वित्त वर्ष 2020-21 में 30 कंपनियों ने अपने आईपीओ के जरिए 31,268 करोड़ रुपये जुटाए थे। प्राइमरी मार्केट के आंकड़ों से पता चलता है कि इसके पहले वित्त वर्ष 2018 आईपीओ के नजरिए से सबसे बेहतर साल साबित हुआ था जबकि तमाम कंपनियों ने आईपीओ बाजार से 81,500 करोड़ रुपये जुटाए थे।

वित्त वर्ष 2021-22 में नए युग की इंटरनेट आधारित कई डिजिटल कंपनियों ने बाजार की तमाम बनी बनाई मान्यताओं को ध्वस्त कर दिया। इस साल Paytm, Nykaa, Policy Bazaar और Zomato के आईपीओ बाजार में आए। ये आईपीओ वैल्यूएशन के परंपरागत मानकों को नकारते हुए निवेशकों के आर्कषण का केंद्र बिंदु बने। खासकर नए रिटेल इन्वेस्टरों ने इनके महंगे वैल्यूएशन के बावजूद इनमें बढ़-चढ़कर खरीदारी की।


इनमें से Paytm को छोड़कर लगभग सभी न्यू एज टेक कंपनियां बाजार में भारी प्रीमियम पर लिस्ट हुईं। साल 2021 में इनमें अच्छी तेजी देखने को मिली लेकिन 2022 के शुरु होते ही सेकेंडरी मार्केट काफी वोलैटाइल हो गया और यूएस में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना को बीच इन स्टॉक को भारी झटका लगा और इन शेयरों में काफी गिरावट देखने को मिली।

Motilal Oswal Financial Services की स्नेहा पोद्दार का कहना है कि चौथी तिमाही के सुस्ती के बावजूद हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2023 में भी प्राइमरी मार्केट में जोरदार तेजी देखने को मिलेगी। इकोनॉमी में अच्छी रिकवरी, रूस और यूक्रेन के बीच घटते तनाव और बाजार में एक बार फिर से एफआईआई की खरीदारी लौटने से निवेशकों के सेटिमेंट में सुधार आया है। स्नेहा पोद्दार ने आगे कहा कि वित्त वर्ष 2022 में तमाम आईपीओ की अच्छी लिस्टिंग ने निवेशकों के कॉन्फिडेंस को मजबूत किया है।

बतातें चलें कि बाजार रेगुलेटर सेबी ने अब तक 56 कंपनियों को उनके आईपीओ के लिए मंजूरी दे दी है । ये कंपनियां अपने आईपीओ के जरिए वित्त वर्ष 2023 में 1.4 लाख करोड़ रुपये जुटाना चाहती हैं। वित्त वर्ष 2023 में ही भारतीय प्राइमरी मार्केट के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ आ सकता है। यह आईपीओ एलआईसी का आईपीओ होगा जिसकी साइज करीब 65,000-70,000 करोड़ रुपये हो सकती है। इस आईपीओ के जरिए सरकार कंपनी में अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी। यह आईपीओ बाजार में मई में आ सकता है जिसके तहत कंपनी के 31.60 करोड़ शेयरों की बिक्री की जाएगी।

जहां अब तक 56 कंपनियों को सेबी से आईपीओ की मंजूरी मिल चुकी है वहीं 41 और कंपनियों ने सेबी में अपने आईपीओ की अर्जी लगा रखी है। यह 41 कंपनियां आईपीओ मार्केट से 81,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है।

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स्नेहा पोद्दार का कहना है कि एलआईसी के अलावा और कई न्यू एज कंपनियां आने वाले महीनों में आईपीओ मार्केट का दरवाजा खटखटा सकती हैं, जिनमें Oyo,Ola,Pharmeasy,Delhivery, Byjus, MobiKwik, Snapdeal, FLipkart, Swiggy और Ixigo के नाम शामिल हैं। जिसके चलते वित्त वर्ष 2023 में आईपीओ बाजार से जुटाई जाने वाली धनराशि वित्त वर्ष 2022 की तुलना में ज्यादा हो सकती है।

MoneyControl News

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First Published: Apr 06, 2022 2:20 PM

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