IPO News: घरेलू मार्केट में बिकवाली का काफी दबाव बना हुआ है। फिर भी इस माहौल में आईपीओ मार्केट में कितनी बहार है, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि इसमें जो हलचल है, इसने करीब 17 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस महीने दिसंबर में 15 कंपनियों ने 24,950 करोड़ रुपये के आईपीओ का ऐलान किया है। इससे पहले सबसे अधिक फरवरी 2007 में 18 कंपनियों के आईपीओ आए थे। इसके अलावा 24,950 करोड़ का फंडरेज भी इस साल का तीसरा सबसे अधिक है। इससे पहले अक्टूबर 2024 में 6 कंपनियों के 38,689 करोड़ रुपये और नवंबर 2024 में 31,145 करोड़ रुपये के 8 आईपीओ आए थे। अभी दिसंबर का आंकड़ा और बढ़ सकता है क्योंकि अवांसे फाइनेंशियल सर्विसेज और इंडो फार्म इक्विपमेंट भी आईपीओ ला सकती हैं।
दिसंबर में 6 आईपीओ आए ₹1000-₹1000 करोड़ से अधिक के
इस महीने दिसंबर में ₹1000-₹1000 करोड़ से अधिक के 6 बड़े आईपीओ भी आए। वहीं बाकी आईपीओ ₹180 करोड़ से ₹570 करोड़ के रहे। सबसे बड़ा आईपीओ तो विशाल मेगा मार्ट का रहा जिसका साइज ₹8000 करोड़ का रहा। इसके बाद इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट इंडिया का आईपीओ ₹4225 करोड़ और साई लाइफ साइंस का ₹3042 करोड़ का रहा। इंवेंचरस नॉलेज सॉल्यूशंस का आईपीओ ₹2498 करोड़, वेंटिव हॉस्पिटैलिटी का ₹1600 करोड़ और करारो इंडिया का ₹1250 करोड़ का रहा।
इस बहार पर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?
वैश्विक स्तर पर भारी उथल-पुथल के बीच आईपीओ के लिए यह साल अब तक का सबसे शानदार रहा है। मजबूत लिक्विडिटी और घरेलू मार्केट की तेजी के बीच इसे साल 92 कंपनियों के रिकॉर्ड 1.6 लाख करोड़ रुपये से अधिक के आईपीओ आए। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद के-शेप में रिकवरी के चलते कंपनियों की ग्रोथ रफ्तार जोरदार दिखी। इसे मांग की मजबूती से सपोर्ट मिला। अब प्राइवेट कैपिटल एक्सपेंडिचर की मांग बढ़ी तो कैपिटल मार्केट को लेकर पॉजिटिव माहौल के बीच कंपनियां आईपीओ का रास्ता अपनाने लगीं। फिज्डम के रिसर्च हेड नीरव करकेरा का कहना है कि खुदरा निवेशकों की बढ़ती हिस्सेदारी और शेयर मार्केट को लेकर मजबूत रुझान ने कई कंपनियों की सफल लिस्टिंग में योगदान किया। इसके चलते और भी कंपनियों को लिस्टिंग के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है।
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