सुदीप फार्मा का आईपीओ 21 नवंबर को खुल गया है। यह इश्यू 895 करोड़ रुपये का है। कंपनी इस आईपीओ में 95 करोड़ रुपये के नए शेयर इश्यू करेगी। कंपनी ने प्रति शेयर 563-593 रुपये प्राइस बैंड तय किया है। कंपनी आईपीओ से हासिल पैसे का इस्तेमाल गुजरात के नंदेसारी में नए प्लांट पर निवेश के लिए करेगी।
कंपनी की शुरुआत 1989 में हुई थी
आईपीओ के बाद Sudeep Pharma में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 84 फीसदी से घटकर 76 फीसदी पर आ जाएगी। कंपनी की शुरुआत 1989 में हुई थी। यह फार्मा और फूड न्यूट्रिशन एनग्रीडीएंट कंपनी है। यह गुजरात में वडोदरा से ऑपरेट करती है। कंपनी के दो बिजनेस वर्टिकल्स हैं। कंपनी का दो-तिहाई रेवेन्यू फार्मा, फूड और न्यूट्रिशन सेगमेंट से आता है। बाकी एक-तिहाई स्पेशियलिटी एनग्रीडीएंट्स सेगमेंट से आता है।
इंटरनेशनल मार्केट से 60% रेवेन्यू
कंपनी का करीब 60 फीसदी रेवेन्यू इंटरनेशनल मार्केट्स से आता है। बाकी 40 फीसदी रेवेन्यू घरेलू बाजार से आता है। अमेरिका से 23 फीसदी रेवेन्यू आता है। कई बड़ी कंपनियां सुदीप फार्मा का क्लाइंट्स हैं। इनमें फाइजर, इंटास, मैनकाइंड फार्मा, मर्क ग्रुप, एलेंबिक फार्मा, ओरोबिंदो फार्मा, कैडिला, माइक्रो लैब्स और डैनोन शामिल हैं।
केमिकल बैटरी स्पेस में कंपनी की एंट्री
सुदीप फार्मा ने एक सब्सिडियरी कंपनी बनाई है, जिसका नाम सुदीप एडवान्स्ड मैटेरियल्स प्राइवेट है। इस कंपनी के जरिए सुदीप की एंट्री केमिकल बैटरी के फील्ड में होगी। यह कंपनी लिथियम-आयन बैटरी स्पेस के लिए कैथोड एक्टिव मैटेरियल्स बनाएगी। पिछले तीन फाइनेंशियल ईयर्स में कंपनी के रेवेन्यू की सीएजीआर 8 फीसदी रही है। हालांकि, इस दौरान कंपनी के ग्रॉस मार्जिन प्रोफाइल में बड़ा इम्प्रूवमेंट आया है।
पिछले वित्त वर्ष में कंपनी का EBITDA मार्जिन 38 फीसदी रहा है, जो अच्छा है। यह दूसरी केमिकल, फार्मा और एफएमसीजी कंपनियों के मुकाबले ज्यादा है। कंपनी इस वित्त वर्ष के अंत तक 51,200 टन की अपनी दूसरी फैसिलिटी में उत्पादन शुरू कर देगी। इससे कंपनी को मीडियम टर्म की डिमांड पूरी करने में मदद मिलेगी।
बिजनेस ग्रोथ के लिए अच्छी संभावनाएं
ऑफर डॉक्युमेंट के मुताबिक, इंप्लॉयड वैल्यूएशन ज्यादा लगती है। लोगों में सेहत और फिटनेस को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। सरकार का जोर भी न्यूट्रिएंट्स फोर्टिफिकेशन पर है। इससे स्पेशियलाइज्ड फूड एनग्रीडीएंट्स की मांग को सपोर्ट मिल सकता है। फार्मा और फूड एनग्रीडीएंट्स इंडस्ट्री में भी अच्छे मौके हैं। रेड प्रॉस्पेक्टस के मुताबिक, इंडिया में इस्तेमाल होने वाले 80 फीसदी से ज्यादा Excipients का आयात होता है।