आईपीओ के लिहाज से यह हफ्ता खास है। इस हफ्ते टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे आईपीओ में निवेश का मौका है। टाटा कैपिटल का 15,512 करोड़ रुपये का आईपीओ किसी एनबीएफसी का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ है। इस इश्यू में 8 अक्टूबर तक निवेश किया जा सकता है। एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स का आईपीओ भी 11,607 करोड़ रुपये का है। इसमें 9 अक्टूबर तक बोली लगाई जा सकती है। रूबीकॉर्न रिसर्च का इश्यू 9 अक्टूबर को खुलेगा। 9 अक्टूबर को ही केनरा रोबेको एसेट मैनेजमेंट का आईपीओ खुलेगा। 10 अक्टूबर को केनरा एचएसबीसी लाइफ इंश्योरेंस का आईपीओ ओपन होगा।
आप शेयरों के लिए ज्यादा पैसे तो नहीं चुका रहे?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बड़ी कंपनियों के IPO की चर्चा ज्यादा होती है। लेकिन, बड़ी कंपनी के आईपीओ में भी लिस्टिंग गेंस या शेयरों के रिटर्न की गारंटी नहीं होती। कई बार छोटी कंपनियों के आईपीओ के निवेशकों को ज्यादा फायदा होता है। इसलिए आईपीओ में निवेश करने से पहले आपको लिस्टिंग गेंस की संभावना की जगह यह देखने की जरूरत है कि जिस कंपनी में आप निवेश करने जा रहे हैं तो वह कितनी अच्छी है। उसका बिजनेस मॉडल, इंडस्ट्री की ग्रोथ और मैनेजमेंट कैसा है। कंपनी पर कितना कर्ज है। ये जानकारियां आपको इंटरनेट पर मिल जाएंगी। आईपीओ में निवेश से पहले प्रतिद्वंद्वी कंपनियों की वैल्यूएशंस को देखने से यह अदाजा लग जाता है कि आप आईपीओ में शेयर खरीदने के लिए जो पैसा चुका रहे हैं वह कम है, ज्यादा है या बराबर है।"
क्या पी/ई रेशियो, रिटर्न ऑन इक्विटी ठीक है?
आईपीओ पेश करने वाली कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ के बारे में जानने के लिए पी/ई रेशियो, रिटर्न ऑन इक्विटी और रिटर्न ऑन कैपिटल एंप्लॉयड के बारे में पता किया जा सकता है। कंपनी की रेवेन्यू ग्रोथ और प्रॉफिट ग्रोथ से भी उसके प्रदर्शन का अंदाजा लग जाता है। कंपनी के बारे में जानने के लिए आप उसके ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस का इस्तेमाल कर सकते हैं। सेबी के नियम के मुताबिक, आईपीओ पेश करने वाली कंपनी के लिए प्रॉस्पेक्टस में अपने बिजनेस के बारे में छोटी-बड़ी हर जानकारी देना जरूरी है।
सिर्फ ग्रे मार्केट में प्रीमियम देख कर रहे निवेश?
कई इनवेस्टर्स यह देखकर आईपीओ में निवेश का फैसला करते हैं कि वह कितना गुना सब्सक्राइब हो रहा है। ऐसे इनवेस्टर्स इश्यू के आखिरी दिन इनवेस्ट करना पसंद करते हैं। कुछ इनवेस्टर्स ग्रे मार्केट में शेयर पर चल रहे प्रीमियम को देख निवेश का फैसला लेते हैं। अगर शेयर पर प्रीमियम चल रहा है तो उनकी दिलचस्पी उस आईपीओ में बढ़ जाती है। लेकिन, किसी शेयर पर ग्रे मार्केट मे ज्यादा प्रीमियम का होना उस कंपनी के बेहतर प्रदर्शन की गांरटी नहीं है। ऐसा कई बार हो चुका है कि भले ही लिस्टिंग प्रीमियम के साथ हुई हो, लेकिन उसके बाद शेयर में गिरावट शुरू हो जाती है। ऐसे में निवेशकों का पैसा फंसने का रिस्क बढ़ जाता है।
क्या इनवेस्ट करने के लिए कर्ज ले रहे?
आईपीओ में निवेश करने के लिए कर्ज लेने से परहेज करें। कई इनवेस्टर्स दूसरों को देखकर ऐसा करते हैं। लेकिन, यह बहुत रिस्की है। इसकी वजह यह है कि कर्ज के पैसे पर आपको इंटरेस्ट चुकाना पड़ता है। ऐसे में आईपीओ में निवेश के लिए आपको अतिरिक्त कॉस्ट चुकाना पड़ता है। अगर शेयरों की लिस्टिंग अच्छी नहीं रही या लिस्टिंग के बाद शेयरों में गिरावट शुरू हो गई तो आपको काफी नुकसान हो सकता है। ऐसी कई बड़ी कंपनियों के शेयरों में आज इश्यू प्राइस से काफी कम प्राइस पर ट्रेडिंग हो रही है।