टाटा ग्रुप ला रही ₹15000 करोड़ का IPO, गुपचुप तरीके से आवेदन की तैयारी,10 इनवेस्टमेंट बैंकों को किया हायर

Tata Capital IPO: टाटा ग्रुप की एक और कंपनी जल्द ही शेयर बाजार में आने जा रही है। यह कंपनी है टाटा कैपिटल। टाटा कैपिटल ने अपना इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) लॉन्च करने के लिए 10 इनवेस्टमेंट बैंकों को नियुक्त किया है। बताया जा रहा है कि टाटा कैपिटल के IPO का साइज 15,000 करोड़ रुपये हो सकता है। यह टाटा ग्रुप के अब तब के सबसे बड़े आईपीओ में से हो सकता है

अपडेटेड Mar 21, 2025 पर 5:12 PM
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IPO से पहले, टाटा कैपिटल 1,504 करोड़ रुपये का राइट्स इश्यू भी लाएगी

Tata Capital IPO: टाटा ग्रुप की एक और कंपनी जल्द ही शेयर बाजार में आने जा रही है। यह कंपनी है टाटा कैपिटल। टाटा कैपिटल ने अपना इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) लॉन्च करने के लिए 10 इनवेस्टमेंट बैंकों को नियुक्त किया है। बताया जा रहा है कि टाटा कैपिटल के IPO का साइज 15,000 करोड़ रुपये हो सकता है। यह टाटा ग्रुप के अब तब के सबसे बड़े आईपीओ में से हो सकता है। मनीकंट्रोल को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कंपनी ने कोटक महिंद्रा कैपिटल, सिटीग्रुप, JP मॉर्गन, एक्सिस कैपिटल, ICICI सिक्योरिटीज, HSBC सिक्योरिटीज, IIFL कैपिटल, BNP परिबास, SBI कैपिटल और HDFC बैंक को इस सौदे के लिए चुना गया है।

सूत्रों का कहना है कि टाटा कैपिटल मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में गोपनीय तरीके से मार्केट रेगुलेटर SEBI के पास अपने आईपीओ के लिए आवेदन जमा करा सकती है। इस आईपीओ में नए शेयरों के अलावा ऑफर-फॉर-सेल (OFS) का भी एक हिस्सा होगा, जिससे जरिए कंपनी की प्रमोटर टाटा संस और निवेशक IFC अपनी हिस्सेदारी घटा सकते हैं।

टाटा कैपिटल के IPO की योजना

मनीकंट्रोल ने 23 दिसंबर को इस बारे में सबसे पहले खबर दी थी कि टाटा कैपिटल अपने IPO पर काम कर रही है। 25 फरवरी 2024 को टाटा कैपिटल के बोर्ड ने IPO को मंजूरी दी। बोर्ड ने बताया कि आईपीओ में 23 करोड़ शयेरों का फ्रेश इश्यू और मौजूदा शेयरधारकों की ओर से ऑफर फॉर सेल (OFS) शामिल होगा।


IPO से पहले, टाटा कैपिटल 1,504 करोड़ रुपये का राइट्स इश्यू भी लाएगी, जिसे पूरी तरह से टाटा संस की ओर से सब्सक्राइब किया जाएगा। मार्च 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक, टाटा कैपिटल की 92.83% हिस्सेदारी टाटा संस के पास थी। वहीं बाकी हिस्सेदारी टाटा ग्रुप की दूसरी कंपनियों और IFC के पास थी। फिच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा संस की हिस्सेदारी लिस्टिंग के बाद भी 75% से कम होने की संभावना नहीं है।

गोपनीय फाइलिंग का विकल्प क्यों चुना जा सकता है?

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने नवंबर 2022 में कंपनियों के लिए एक गोपनीय फाइलिंग का विकल्प शुरू किया था। इस प्रक्रिया के तहत, कंपनियां अपने बिजनेस से जुड़े संवेदनशील डेटा या वित्तीय जानकारी को सार्वजनिक किए बिना IPO की योजना बना सकती हैं।

यह कंपनियों को अंतिम फैसला होने तक अपनी गोपनीयता को बनाए रखने का अवसर देता है। अगर बाजार की स्थितियां अनुकूल न हों, तो वे बिना किसी खुलासे के IPO को वापस भी ले सकती हैं। टाटा कैपिटल इस विकल्प को अपनाने वाली भारत की आठवीं बड़ी कंपनी होगी।

टाटा कैपिटल की लिस्टिंग के पीछे की वजह

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, "अपर लेयर" की सूची में शामिल NBFCs कंपनियों को को तीन साल के भीतर शेयर बाजार में खुद को लिस्ट कराना अनिवार्य है। जनवरी 2024 में टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज का टाटा कैपिटल में विलय हुआ, जिससे यह RBI की "अपर लेयर" सूची में आ गई। नियमों के मुताकिब, टाटा कैपिट के पास खुद को शेयर बाजार में लिस्ट कराने के लिए सितंबर 2025 तक का समय है।

टाटा कैपिटल का यह IPO हाल के सालों में टाटा ग्रुप की ओर से आए सबसे बड़े आईपीओ में से एक होगा। मार्च 2024 तक, कंपनी का AUM (एसेट अंडर मैनेजमेंट) 1,58,479 करोड़ रुपये रहा था, जो मार्च 2023 में 1,19,950 करोड़ रुपये और मार्च 2022 में 94,349 करोड़ रुपये था। पिछले पांच सालों में, टाटा संस ने टाटा कैपिटल में 6,097 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

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