Tata Sons IPO: नालंदा से लोकसभा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने आरोप लगाया है कि टाटा संस के आईपीओ को जानबूझकर टाला जा रहा है। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। बता दें कि टाटा संस भारत के सबसे बड़े ग्रुप में से एक टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है। चार बार लोकसभा सांसद रह चुके कुमार ने कहा कि टाटा संस के पब्लिक ऑफरिंग से बहुत अधिक निवेश आ सकता है और इससे डोमेस्टिक स्टॉक मार्केट को बढ़ावा मिल सकता है।
ये आरोप ऐसे समय में सामने आए हैं जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) टाटा संस की ओर से आईपीओ से छूट के लिए किए गए आवेदन की जांच कर रहा है। RBI के नियमों के अनुसार किसी अपर-लेयर नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) को आईपीओ घोषित किए जाने के तीन साल के भीतर शेयर बाजारों में लिस्ट होना होता है। टाटा संस की बात करें तो इसे पहली बार सितंबर 2022 में NBFC-अपर-लेयर एंटिटी के रूप में क्लासिफाइड किया गया था, जिसका मतलब है कि इसे पब्लिक होने के लिए सितंबर 2025 तक का समय है।
लोकसभा सांसद ने लगाए ये आरोप
कुमार ने टाटा संस की बोर्ड मेंबरशिप में संभावित हितों के टकराव का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा, "मैं आपका ध्यान एक अहम चिंता के विषय की ओर आकर्षित करने के लिए लिख रहा हूं, जिसे हाल ही में न्यूज रिपोर्ट्स में बार-बार उठाया गया है और जो प्रमुख संस्थानों के बारे में पब्लिक परसेप्शन को प्रभावित करने लगा है। टीवीएस मोटर कंपनी के मानद चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन वर्तमान में टाटा संस और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) दोनों के बोर्ड में कार्यरत हैं। इस दोहरी भूमिका ने एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जिससे हितों का टकराव हो सकता है और इन संस्थानों की विश्वसनीयता पर इसके संभावित प्रभाव के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं।"
"गलत तरीके से Tata Sons को पहुंचाया जा सकता है लाभ"
सांसद ने संकेत दिया कि टाटा संस आरबीआई में श्रीनिवासन के पोजिशन का लाभ उठाकर रेगुलेटरी बाधाओं से बच सकता है, खासकर लिस्टिंग रिक्वायरमेंट्स के संबंध में। उन्होंने कहा कि आरोपों से पता चलता है कि आरबीआई तक उनकी सीधी पहुंच का उपयोग टाटा संस को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा सकता है, जो वित्तीय निगरानी की इंटेग्रिटी को कमजोर करता है। इस तरह की प्रैक्टिसेज आरबीआई और बदले में भारत सरकार की प्रतिष्ठा को गंभीर रूप से धूमिल कर सकती हैं।
कुमार ने यह भी सुझाव दिया कि इससे आरबीआई की स्वतंत्रता को खतरा हो सकता है और निवेशकों के भरोसे और ब्रॉडर फाइनेंशियल इकोसिस्टम पर इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा, "इसी तरह, प्रभावशाली कॉर्पोरेट हस्तियों के कार्यों से सरकारी संस्थानों की पारदर्शिता और जवाबदेही पर संदेह नहीं होना चाहिए।" इसके मद्देनजर, कुमार ने वित्त मंत्रालय से श्रीनिवासन की भूमिकाओं और टाटा संस तथा आरबीआई दोनों के लिए निहितार्थों की समीक्षा करके मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन संस्थानों में जनता का विश्वास कम न हो।
कुमार ने वित्त मंत्रालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। उन्होंने सुझाव दिया कि वेनु श्रीनिवासन की भूमिकाओं और उनके टाटा संस और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर पड़ने वाले प्रभावों की समीक्षा की जाए। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि इन संस्थानों में जनता का भरोसा कमजोर न हो और उनकी साख बनी रहे।