अरविंद केजरीवाल को बहुत बड़ी राहत सुप्रीम कोर्ट से मिल गई है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को शराब नीति घोटाला में जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कथित उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक अंतरिम जमानत दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक अंतरिम जमानत दी और 2 जून को सरेंडर करने को कहा है। ये आम आदमी पार्टी प्रमुख के लिए बड़ी राहत है, क्योंकि लोकसभा चुनाव चल रहे हैं।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के उस अनुरोध को खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें 4 जून को लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के नतीजे घोषित होने तक अंतरिम जमानत देने की मांग की गई थी।
केजरीवाल के चुनाव प्रचार पर कोई रोक नहीं
फैसला आने के बाद अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के वकील शादान फरासत ने मीडिया को बताया "आदेश 2 जून तक लागू है। उनके चुनाव प्रचार में वो क्या कह सकते हैं या क्या नहीं कह सकते हैं, इस पर भी कोई प्रतिबंध नहीं है।"
वकील ने ये भी बताया कि उनके चुनाव प्रचार पर भी कोई रोक नहीं लगाई गई है। हम आज ही उनकी रिहाई की कोशिश करेंगे।
अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वो न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं। यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की अब रद्द हो चुकी शराब नीति को बनाने और उसे लागू करने में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है।
21 दिनों की राहत से कुछ नहीं बदलेगा: सुप्रीम कोर्ट
अदालत ने कहा कि केजरीवाल को मार्च में गिरफ्तार किया गया था और 21 दिनों की राहत से कुछ नहीं बदलेगा।
जांच एजेंसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने लोकसभा चुनाव के कारण केजरीवाल के प्रति किसी भी तरह की नरमी दिखाने का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि AAP के राष्ट्रीय संयोजक को अंतरिम जमानत देना राजनेताओं के लिए एक अलग वर्ग बनाने जैसा होगा।
7 मई को दिल्ली की एक अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक बढ़ा दी थी।
ED ने जमानत का किया था विरोध
दिल्ली हाई कोर्ट ने 9 अप्रैल को केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए कहा था कि इसमें कोई अवैधता नहीं थी और बार-बार समन जारी करने और जांच में शामिल होने से इनकार करने के बाद ED के पास कोई रास्ता नहीं बचा था।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने लोकसभा चुनावों के बीच आम आदमी पार्टी (AAP) प्रमुख अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि चुनाव प्रचार करना "मौलिक, संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं है।"2
AAP ने ED के हलफनामे का किया विरोध
ED के इस हलफनामे पर आम आदमी पार्टी ने आपत्ति जताई। AAP की लीगल टीम ने एक प्रेस रिलीज जारी कर जानकारी दी कि इस संबंध में एक औपचारिक शिकायत सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में दर्ज कराई गई है।
ED के हलफनामे को कानूनी प्रक्रियाओं की घोर अवहेलना बताते हुए रिलीज में कहा गया है कि हलफनामा सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना दाखिल किया गया और ऐसे समय में जारी किया गया जब मामले की फाइनल सुनवाई शुक्रवार को शीर्ष अदालत में होनी है।