प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर देश की अखंडता और हितों को कमजोर करने का आरोप लगाया है। मोदी ने कांग्रेस पार्टी को विवादास्पद कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंपने का दोषी ठहराया है। प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी आरटीआई के उस जवाब के बाद आई है, जिसमें बताया गया है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1974 में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था। यह आरटीआई (RTI) ऐप्लिकेशन तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने दायर की थी।
एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, दस्तावेजों से पता चलता है कि यह द्वीप भारतीय तट से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसका आकार 1.9 वर्ग किलोमीटर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत की आजादी के बाद से श्रीलंका, जो उस समय सीलोन था, लगातार इस द्वीप पर अपना दावा ठोक रहा था। हालांकि, दिल्ली की सरकार ने दशकों तक इसका विरोध किया। इसके बावजूद आजादी के बाद भारतीय नौसेना (तब रॉयल इंडियन नेवी) सीलोन की अनुमति के बिना द्वीप पर अभ्यास नहीं कर सकती थी। वहीं, अक्टूबर 1955 में सीलोन की वायुसेना ने इस द्वीप पर अपना अभ्यास किया था।
प्रधानमंत्री की शुरुआती प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर लिखा, 'आंखे खोलने वाला और आश्चर्यजनक! नए तथ्यों से पता चलता है कि किस तरह से कांग्रेस ने निर्ममता के साथ कच्चातिवु द्वीप सौंप दिया। इससे हर भारतीय को नाराजगी है और लोगों के दिमाग में यह बात बैठ गई है कि वे कभी भी कांग्रेस पर भरोसा नहीं कर सकते। भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना पिछले 75 साल से कांग्रेस का काम करने का तरीका रहा है।'
बीजेपी के सुधांशु त्रिवेदी ने क्या कहा
आरटीआई (RTI) के जवाब पर बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, 'कच्चातिवु के मसले पर मैं हर भारतीय को याद दिलाना चाहूंगा कि यह 1975 तक भारत का था। यह तमिलनाडु के भारतीय तट से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है। इंदिरा गांधी के शासन के दौरान यहां भारतीय मछुआरे जाते थे। इसके बाद इसे भारत सरकार ने श्रीलंका को सौंप दिया। इसके तहत हुए समझौते में यह भी कहा गया कि कोई भी भारतीय मछुआरा वहां नहीं जा सकता। इस वजह से कई मछुआरे पकड़े गए और जेल पहुंच गए। न तो डीएमके और न ही कांग्रेस ने इस मामले को उठाया।'
प्रधानमंत्री पहले भी उठा चुके हैं यह मुद्दा
अगस्त 2023 में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था इंदिरा गांधी की सरकार ने 1974 में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था। अपने इस भाषण में उन्होंने बंटवारे के लिए भी देश के बंटवारे के लिए भी कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था।
तमिलनाडु की राजनीति में क्यों अहम है कच्चातिवु
तमिलनाडु के राजनीतिक विमर्श में कच्चातिवु काफी अहम है। खास तौर पर चुनावी सीजन में यह मामला काफी गरमा जाता है। चूंकि लोकसभा चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लिहाजा यह मामला एक बार फिर तमिलनाडु के राजनीतिक विमर्श में जोर पकड़ रहा है। राजनीतिक पार्टियां वोटरों की गोलबंदी और समर्थन जुटाने के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल करती हैं।