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Constitution Pocket: लोकसभा चुनाव के बाद बढ़ी संविधान के पॉकेट एडिशन की मांग, आखिर क्या है इसमें खास

Constitution Pocket Edition: लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी संविधान का एक लाल कवर वाला पॉकेट एडिशन दिखाते थे। अब उसकी अचानक मांग बढ़ गई है। लाल कवर वाला संविधान का यह पॉकेट एडिशन लखनऊ स्थित ईस्टर्न बुक कंपनी (ईबीसी) ने प्रकाशित किया है

अपडेटेड Jun 16, 2024 पर 11:42 AM
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Constitution Pocket Edition: चुनाव के दौरान 5000 से ज्यादा कॉपियां बिक चुकी हैं और अब यह एडिशन छपना बंद हो गया है।

लोकसभा चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक दलों ने एक दूसरे के ऊपर जमकर कटाक्ष किए थे। इस दौरान कांग्रेस सांसद राहुल के गांधी के लाल रंग की एक किताब देखी जा रही थी। यह पॉकेट डायरी की तरह एक किताब थी। हर जगह उत्सुकता बढ़ गई कि आखिर इस किताब में क्या है। सोशल मीडिया में कहा गया था कि राहुल गांधी चीन का संविधान लेकर घूम रहे हैं। हालांकि इस किताब की हकीकत सामने आ चुकी है। लोकसभा चुनाव भी हो गए हैं। ये किताब छपना भी बंद हो गई है। लेकिन इस किताब की डिमांड इतनी ज्यादा बढ़ गई है, कि लोग पढ़ने के लिए तरस रहे हैं। आखिर यह किताब क्या है, आइये विस्तार से जानते हैं।

लाल कवर वाली इस किताब में संविधा के बारे में जिक्र किया गया है। इसे पॉकेट डायरी के तौर पर बनाया गया है। संविधान का यह पॉकेट एडिशन लखनऊ स्थित ईस्टर्न बुक कंपनी (Eastern Book Company -EBC) ने प्रकाशित किया है। चुनाव के दौरान इसकी 5,000 से ज्यादा कॉपियां बिक चुकी हैं। अब यह एडिशन छपना बंद हो गया है। ईबीसी देश में संविधान के पॉकेट एडिशन का एकमात्र प्रकाशक है।

संविधान के इस पॉकेट एडिशन की क्या है खासियत


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय संविधान के पॉकेट एडिशन का विचार सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन (Gopal Sankaranarayanan) का था। उन्होंने सुझाव दिया था कि हमें ऐसा एडिशन प्रकाशित करना चाहिए। जिसका इस्तेमाल करना आसान हो और वकील इसे अदालत में पेश कर सके। साल 2009 में करीब 700 से 800 कॉपी बिकी। पिछले कुछ सालों औसत बिक्री करीब 5,000-6,000 कॉपी रही। लेकिन जब मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी जैसे कांग्रेस नेताओं ने चुनावी रैलियों और प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस एडिशन को प्रमुखता से दिखाया गया, तो पॉकेट एडिशन की मांग में अचानक इजाफा देखने को मिला। शंकरनारायणन का कहना है कि यह किताब बेहद अहम है। हर किसी के जेब में यह होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि मुझे खुशी है कि इस बार के चुनाव में इसे प्रमुखता से दिखाया गया है।

वकीलों और लॉ कॉलेजों में पॉकेट एडिशन की बढ़ी मांग

EBC के डायरेक्टर सुमित मलिक (Sumeet Malik) का कहना है कि इस साल इस किताब का यह 16वां एडिशन है। फरवरी से मई के बीच 5,000 से ज़्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं। पहले, छपाई कम होती थी और किताब की सालाना 3,000 से 4,000 प्रतियां बिकती थीं। मौजूदा समय में ज्यादातर वकीलों और लॉ कॉलेजों के बीच इस किताब की डिमांड बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि साल साल 2024 में कांग्रेस कार्यालय ने भी थोक में ऑर्डर दिया है।

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