Lok Sabha Election Result: ग्रामीण और सेमी अर्बन सीटों पर BJP को हुआ नुकसान, लेकिन क्यों?
भारत में लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें ग्रामीण इलाकों की हैं। इसके बाद अर्धशहरी सीटे हैं। लोकसभा की 543 में से कुल 339 ग्रामीण, तो 147 सीट अर्धशहरी इलाकों की ही। कुल मिला कर ये 486 सीट हुईं। मौजूदा लोकसभा 2024 के चुनाव में, NDA को 2019 की तुलना में 44 ग्रामीण सीटों का नुकसान हुआ, जबकि INDIA ब्लॉक को 77 का फायदा हुआ। हिंदी पट्टी में, जिसमें उसका पूर्व गढ़ उत्तर प्रदेश भी शामिल है, उसे 53 सीटों का नुकसान हुआ
Lok Sabha Election Result: ग्रामीण और सेमी अर्बन सीटों पर BJP को हुआ नुकसान, लेकिन क्यों?
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन तीसरे कार्यकाल के लिए वापसी कर चुका है, लेकिन विपक्ष पर बहुत कम बढ़त के साथ। आंकड़ों से पता चलता है कि इस हार का कारण ग्रामीण भारत, हिंदी पट्टी, अर्ध-शहरी सीटें थीं, जिन पर पिछले दो कार्यकाल में NDA का मजबूत गढ़ था। मौजूदा लोकसभा 2024 के चुनाव में, NDA को 2019 की तुलना में 44 ग्रामीण सीटों का नुकसान हुआ, जबकि INDIA ब्लॉक को 77 का फायदा हुआ। हिंदी पट्टी में, जिसमें उसका पूर्व गढ़ उत्तर प्रदेश भी शामिल है, उसे 53 सीटों का नुकसान हुआ, जबकि INDIA ब्लॉक को 61 सीटों का फायदा हुआ।
इसी तरह, अर्ध-शहरी (Semi Urban) सीटों पर, NDA को 10 का नुकसान हुआ, जबकि पिछले लोकसभा चुनावों की तुलना में INDIA को 23 सीटों का फायदा हुआ, जो दिखाता है कि बीजेपी और एनडीए ने बड़े पैमाने पर शहरी वोट शेयर हासिल किया, जबकि ग्रामीण भारत ने मौजूदा सरकार के खिलाफ वोट करने का फैसला किया।
भारत में लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें ग्रामीण इलाकों की हैं। इसके बाद अर्ध शहरी सीटे हैं। लोकसभा की 543 में से कुल 339 ग्रामीण, तो 147 सीट अर्धशहरी इलाकों की ही। कुल मिला कर ये 486 सीट हुईं।
बीजेपी को क्यों हुआ नुकसान?
लेकिन किस कारण से ग्रामीण भारत, जहां भारत का ज्यादा हिस्सा रहता है, उन्होंने बीजेपी के खिलाफ मतदान किया?
पिछले कुछ सालों में, ग्रामीण भारत नोटबंदी और Covid-19 प्रतिबंधों के बाद बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, कम फसल उपज और आय असमानता से जूझ रहा है। उपभोग के आंकड़ों में ग्रामीण संकट दिखाई दे रहा है और प्रमुख FMCG कंपनियों ने भी इसके बारे में बात की है, जो ग्रामीण बिक्री में गिरावट देख रही थीं।
NielsenIQ के आंकड़ों के अनुसार, बढ़ती कीमतों के कारण 2021 के बाद से ग्रामीण खपत में कम से कम छह तिमाहियों से गिरावट आ रही थी, इससे पहले कि यह 2023 की पहली तिमाही में सकारात्मक हो गई।
कैसे थे 2009 के नतीजे?
2009 के लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखें, तो इन 486 सीटों में से कांग्रेस ने 183 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था और इन सीटों पर उसे 29.80 वोट पड़ा था। इसके बाद दूसरे नंबर पर बीजेपी रही, जिसे 98 सीट और 18.03 फीसदी वोट मिला।
इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी रही। सपा के खाते में इनमें से 23 सीट गईं और उसका वोट प्रतिशत 3.79% रहा। इसके बाद है मायावती की बहुजन समाज पार्टी, जिसका वोट प्रतिशत सपा से ज्यादा- 6.45% रहा और 21 सीट मिलीं।
मोदी लहर में 50% से ज्यादा सीटें जीतीं
2014 में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने इन 486 सीटों में से 50 फीसदी से ज्यादा सीट पर शानदार जीत हासिल की। उसके खाते में 30% वोट के साथ 245 सीट गईं।
जाहिर है कांग्रेस लुढ़क कर 42 सीटों पर आ गई। इस बार उसे इन सीटों पर सिर्फ19.35% वोट मिला। इसके अलावा एक बड़ा बदलाव ये हुआ कि इस बार लिस्ट में से तीसरे और चौथे नंबर पर SP और BSP की जगह AIADMK और TMC ने ले ली।
ग्रामीण और अर्धशहरी सीटों में से AIADMK को खाते में 31 सीट गईं, तो वहीं ममता बनर्जी की TMC 29 सीटें ले निकली।
2019 में BJP और कांग्रेस दोनों का बढ़ा ग्राफ
अब आते हैं, 2019 के चुनाव नतीजों पर ये वही चुनाव था, जिसमें बीजेपी ने रिकॉर्ड जीत हासिल की थी। इन 486 सीटों में 268 सीटें जीतीं। बीजेपी का 36.82% वोट प्रतिशत रहा।
हालांकि, इस बार कांग्रेस को सीटों में थोड़ा फायदा हुआ। पिछले चुनाव के मुकाबले वो 49 सीटें अपने पाले में करने में कामयाब रही। उसका वोट शेयर भी मामूली रूप से बढ़ कर 19.49% रहा।
कांग्रेस को कहां-कहां फायदा?
इस चुनाव में एक अहम बात ये थी कि 2014 के मुकाबले 2019 में कांग्रेस को दो ग्रामीण सीटों की बढ़त मिली। 2014 में कांग्रेस के पास 27 सीटें गईं, जो 2019 में बढ़ कर 29 हो गईं। इसी तरह 2014 में कांग्रेस को 15 अर्धशहरी लोकसभी सीटें मिली थीं और 2019 में ये बढ़ कर 20 हो गई थीं।
इस बार भी तीसरे और चौथे नंबर की पार्टियां लुढ़ कर नीचे आ गईं। YSRCP ने 21 सीटों के साथ AIDMK की जगह ले ली, तो TMC को नीचे धकेल कर 20 सीटों के साथ DMK चौथे नंबर आ गई।