प्रधानमंत्री मोदी के 10 साल के शासन में तेज आर्थिक विकास के दावों की क्या है सच्चाई?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इंडिया अभी अमृतकाल में है। उन्होंने 2047 तक इंडिया को विकसित देश बनाने का टारगेट तय किया है। इसकी बुनियाद मोदी सरकार के 10 साल के शासन में तैयार हुई है। इकोनॉमी के हर सेक्टर के लिए पिछले 10 साल काफी अहम रहे हैं
स्टॉक मार्केट्स में निवेश करने वाले लोगों की संख्या 2023 में करीब 1.56 करोड़ बढ़ गई। इनमें सबसे ज्यादा 23 लोग उत्तर प्रदेश के हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा है कि इंडिया अभी अमृतकाल में है और 2047 तक यह विकसित देश बन जाने के रास्ते पर है। 2047 में भारत की आजादी के 100 साल पूरे होंगे। मोदी सरकार का यह भी दावा है कि यूपीए शासन के दौरान देश बदहाली का शिकार था। आज इंडिया की इकोनॉमी दुनिया की टॉप 5 इकोनॉमी में शामिल है। बड़ा सवाल यह है कि 2014 से अब तक इंडियन इकोनॉमी का प्रदर्शन कैसा रहा है? इस सवाल का जवाब मनीकंट्रोल आपको कुछ चार्ट्स के जरिए समझाने की कोशिश कर रहा है।
लोग 10 साल पहले के मुकाबले जल्द घर खरीद रहे हैं। होम लोन के डेटा में यह दिखता है
परिवार एसेट्स खरीदने पर कितना खर्च करता है, यह लोगों की इनकम पर निर्भर करता है। घर खरीदने का किसी परिवार का फैसला उसकी मौजूदा इनकम के मुकाबले भविष्य को लेकर इनकम के परिवार के अनुमान पर ज्यादा निर्भर करता है।
ज्यादातर घर खासकर शहरी इलाकों में लोन लेकर खरीदे जाते हैं। घर खरीदने के परिवार के फैसले का मतलब है कि उसे अगले 10-15 साल में अपनी इनकम और लोन चुकाने की क्षमता पर भरोसा है। होम लोन के आंकड़ों से इसे आसानी से समझा जा सकता है। 2014 से 2023 के बीच होम लोन की ग्रोथ 241 फीसदी रही है। यह 5.4 लाख करोड़ से बढ़कर 18.4 लाख करोड़ रुपये हो गया। इससे यह पता चलता है कि लोग भविष्य में अपनी इनकम को लेकर आश्वस्त हैं।
एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हुई, हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ी
हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ी है। मेट्रो और राज्यों की राजधानियों के मुकाबले टियर 2 शहरों के ज्यादा लोग हवाई यात्रा कर रहे हैं। इंडिया में 2014 में कमर्शियल फ्लीट स्ट्रेंथ 395 था, जो 2023 में बढ़कर 714 हो गया। यह 81 फीसदी का उछाल है। 2014 में देश में 74 एयरपोर्ट्स थे। 2023 में यह संख्या बढ़कर 148 हो गई। इसका मतलब है कि देशभर में हवाई यात्रा करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है।
सेविंग्स में फाइनेंशियल एसेट्स की हिस्सेदारी बढ़ी, छोटे शहरों के लोग भी शेयरों में कर रहे बड़ा निवेश
स्टॉक मार्केट्स में निवेश करने वाले लोगों की संख्या 2023 में करीब 1.56 करोड़ बढ़ गई। इनमें सबसे ज्यादा 23 लोग उत्तर प्रदेश के हैं। यह महाराष्ट्र के मुकाबले ज्यादा है। हालांकि, सबसे ज्यादा निवेशक अब भी महाराष्ट्र में हैं। यह संख्या करीब 1.49 करोड़ है। यूपी में 89 लाख और गुजरात में 77 लाख निवेशक हैं। इसका मतलब है महाराष्ट्र और गुजरात के अलावा दूसरे राज्यों में भी फाइनेंशियल एसेट्स में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है।
BSE का मार्केट 4 लाख करोड़ डॉलर के पार, दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा
पिछले 10 साल में शेयर बाजार का आकार कई गुना हो गया है। BSE का मार्केट कैपिटलाइजेशन 4 लाख करोड़ डॉलर के पार पहुंच गया है। यह 2014 में 1.1 लाख करोड़ डॉलर था। बीएसई सेंसेक्स 2014 में 24,000 प्वाइंट्स पर था। अब यह 73,000 प्वाइंट्स को पार कर चुका है। म्यूचुअल फंडों का एसेट अंडर मैनेजमेंट 2014 में 8.25 लाख करोड़ रुपये था। अब यह 50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है। यह 500 फीसदी ग्रोथ है।
2013 में जीडीपी फ्रेजाइल फाइव में शामिल थी, अब दुनिया में पांचवें पायदान पर
मॉर्गन स्टेनली ने 2013 में इंडिया को फ्रेजाइल फाइव का हिस्सा बताया था। ये ऐसी उभरती अर्थव्यवस्थाएं थीं, जो ग्रोथ की अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए विदेशी निवेश पर बहुत ज्यादा निर्भर थीं। इनमें तुर्की, ब्राजील, इंडिया, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया शामिल थे। अब इंडिया दुनियी की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गई है। करेंट प्राइस पर इंडिया की जीडीपी 2014 में 1,12,36,635 करोड़ थी जो 2023-24 में 2,72,40,712 करोड़ रुपये हो गई।
हाईवेज का नेटवर्क बढ़ा
पिछले कुछ सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार का फोकस बढ़ा है। इसमें सरकार के कैपिटल एक्सपेंडिचर का बड़ा हाथ है। पूंजीगत खर्च बढ़ने का असर इकोनॉमी के दूसरे सेक्टर पर भी दिखा है। इससे नौकिरयों के मौके बढ़े हैं। साथ ही सीमेंट और स्टील जैसी इंडस्ट्रीज को फायदा हुआ है। 2014 में हाईवेज की लंबाई 91,287 किलोमीटर थी, जो 2023 में बढ़कर 1,46,145 किलोमीटर हो गई।
विदेशी मुद्रा भंडार 619 अरब डॉलर पहुंचा
2014 में इंडिया का विदेशी मुद्रा भंडार 292 अरब डॉलर था। यह मार्च 2024 में बढ़कर 623 अरब डॉलर पहुंच गया। यह 112 फीसदी का उछाल है। इंडिया अपने 86 फीसदी इंपोर्ट का पेमेंट डॉलर में करता है। इंडिया के इंपोर्ट में अमेरिकी की सिर्फ 5 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि चीन की 16 फीसदी है। इनका पेमेंट डॉलर में होता है।
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