Loksabha Chunav: बाराबंकी से बेटे को राजनीति में लॉन्च कर पाएंगे पीएल पुनिया, BJP को नुकसान पहुंचाएगी गुटबाजी? क्या कहता है यहां का वोटर
UP Lok Sabha Chunav 2024: पारिजात वृक्ष को देव वृक्ष के नाम से जाना जाता है। यह मान्यता है कि यह भी महाभारत कालीन है। अपने में तमाम ऐतिहासिकता समेटे इस सीट पर फिलहाल तीखी और रोचक चुनावी जंग हो रही है। यहां पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच शह मात का खेल जारी है
Loksabha Chunav: बाराबंकी से बेटे को राजनीति में लॉन्च कर पाएंगे पीएल पुनिया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व IAS अधिकारी पीएल पुनिया अपने बेटे तनुज पुनिया को राजनीति में स्थापित कर देना चाहते हैं। वैसे वो ये कोशिश कई बार कर चुके हैं। तनुज पुनिया विधानसभा चुनाव भी कई बार लड़े और हारे भी। इस बार पीएल पुनिया ने खुद लोकसभा चुनाव न लड़ कर तनुज पर ही दांव लगाया है। क्या होगा चुनाव में? क्या पीएल पुनिया की मंशा पूरी हो जाएगी या भाजपा उनके राह में रोड़ा बन जाएगी? चुनाव कठिन है, यह बात पी एल पुनिया भी जानते हैं और यहां के मतदाता भी।
मायावती और मुलायम दोनों के करीबी रहे पुनिया
साल 2009 में पी एल पुनिया बाराबंकी से लोकसभा चुनाव लड़े थे और चुनाव जीते थे। इसके बाद से उनका कांग्रेस में दबदबा हो गया। कभी पी एल पुनिया उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ प्रशासनिक अफसर थे। पुनिया पहले मायावती के बहुत करीबी थे और मायावती उनके घर जाकर उनके राखी बांधती थी, लेकिन मायावती और मुलायम के बीच तमाम गहरे मतभेदों के बावजूद पुनिया दोनों के प्रिय बने रहे।
वो मुलायम सिंह के भी बहुत नजदीकी रहे और उनके भी प्रमुख सचिव रहे और मायावती के भी। लेकिन जब राजनीति में आए और पार्टी चुनने का अवसर आया, तो उन्होंने कांग्रेस को चुना। इस सीट पर भाजपा में भी खूब खेल हुए।
उपेंद्र रावत का क्यों कटा टिकट?
वर्तमान सांसद उपेंद्र रावत को भाजपा नेतृत्व ने फिर से टिकट दे दिया था। उपेंद्र रावत टिकट मिलने का उत्सव मना ही रहे थे कि इसी बीच उनका एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ कि उपेंद्र रावत को मैदान छोड़ना पड़ा। किसी विदेशी महिला के साथ आपत्तिजनक अवस्था में वो देखे गए।
चर्चा ये चली कि यह वीडियो टिकट मिलने के बाद ही वायरल क्यों हुआ? यह आरोप भारतीय जनता पार्टी के ही कुछ नेताओं पर लगे कि उपेंद्र रावत का टिकट कटवाने के लिए उन्ही की साजिश से वीडियो वायरल हुआ।
इस सब से 2014 में जीती प्रियंका रावत जिनका टिकट 2019 में काट दिया गया था, एक बार फिर उत्साहित हुई कि अब उन्हें टिकट मिल जाएगा । लेकिन भाजपा नेतृत्व ने राजरानी रावत को टिकट दे दिया, जो बाराबंकी की एक सीट से विधायक रहीं। इस तरह प्रियंका रावत की आशाओं पर फिर से पानी फिर गया और वो घर बैठी हुई हैं।
BSP के उम्मीदवार एक ठंडे
बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर शिवकुमार दोहरे को टिकट दिया है। शिवकुमार इटावा के रहने वाले हैं और लखनऊ के मंडल प्रभारी थे। बाराबंकी में कभी सक्रिय नहीं रहे, लेकिन चुनाव वो बाराबंकी से लड़ रहे हैं। वैसे शिवकुमार बहुत बहुत सक्रिय नहीं हैं।
बसपा के ही एक समर्थक सियाराम कहते हैं की शिवकुमार दोहरे चुनाव लड़ने आ गए। यह किसी को नहीं पता और ताज्जुब की बात यह है कि वो बहुत सक्रिय भी नहीं हैं, लेकिन चुनाव लड़ रहे हैं। बस जनसंपर्क कर लेते हैं। बाकी उनका ज्यादा जनाधार भी नहीं है। जो कुछ जनाधार है पार्टी का है और उन्हें इस पर ही भरोसा है।
लेकिन बसपा प्रत्याशी की राह में तनुज पुनिया भी रोडा है। तनुज पुनिया और बसपा प्रत्याशी शिवकुमार दोहरे दोनों जाटव समाज से हैं और दोनों के बीच वोटों का बंटवारा दिख रहा है।
बाराबंकी में पारिजात वृक्ष
लोधेश्वर महादेव मंदिर यही पर है। यह मंदिर महादेवा के नाम से प्रसिद्ध है। कहते हैं यह मंदिर महाभारत कालीन है और यहां पर लाखों श्रद्धालु आते हैं। देवा शरीफ में वारिस अली शाह की दरगाह है और हर साल यंहा भव्य आयोजन किया जाता है। बाराबंकी में पारिजात वृक्ष है।
पारिजात वृक्ष को देव वृक्ष के नाम से जाना जाता है। यह मान्यता है कि यह भी महाभारत कालीन है। अपने में तमाम ऐतिहासिकता समेटे इस सीट पर फिलहाल तीखी और रोचक चुनावी जंग हो रही है। यहां पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच शह मात का खेल जारी है।
पुनिया पिता-पुत्र के लिए चुनौती
पी एल पुनिया की कोशिश है कि किसी तरह वह अपने बेटे को राजनीति में स्थापित कर दें, क्योंकि वो अब काफी बुजुर्ग हो चुके हैं। ये चुनाव उनके लिए निर्णायक है। अगर तनुज पुनिया इस चुनाव में नहीं जीते, तो उनके लिए आगे का रास्ता बहुत कठिन हो जायेगा।
तनुज पुनिया के साथ मुस्लिम यादव और कुछ दलित मतदाता हैं लेकिन यह संख्या उनको जीत के नजदीक तक नहीं पहुंचा सकती। इसलिए उनकी कोशिश है कि किसी तरह पिछड़े और अति पिछड़े वोट भी उनको मिले।
बाराबंकी के रामनगर के देवेश कहते हैं कि कुर्मी वोट भाजपा के नजदीक ज्यादा है और यह तनुज पनिया के लिए काफी कठिनाई पैदा कर रहा है। यही नहीं कुर्मी मतदाता भाजपा के साथ है। इसके साथ अति पिछड़े मतदाता पर भाजपा की पकड़ कहीं ज्यादा है।
रामनगर के ही अनुज अवस्थी कहते हैं कि सवर्ण मतदाताओं में ज्यादातर वोट भारतीय जनता पार्टी को जा रहा है और इसका कारण वो राम मंदिर मुद्दा बताते हैं।
BSP के लिए परेशानी ज्यादा
बहुजन समाज पार्टी यहां पर कुछ ज्यादा ही परेशानी में है। वास्तव में उसके कैडर वोट में भी कटौती हो रही है। जाटव मतदाताओं का एक हिस्सा तनुज पुनिया के पक्ष में जा रहा है। बाराबंकी के रामचरण कहते हैं की ज्यादातर जाटव मतदाता तनुज पुनिया के साथ है। वैसे तो जाटव मतदाताओं का एक हिस्सा बहुजन समाज पार्टी को भी मिल रहा है, लेकिन कांग्रेस और बसपा के जाटव प्रत्याशी होने के कारण इसका पूरा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिल रहा है।
इस लोकसभा सीट पर पासी मतदाता बहुत हैं और वो ज्यादातर भाजपा के साथ जा रहा है। राजरानी रावत को इसका भरपूर फायदा मिल रहा है। फिलहाल भाजपा के लिए यह लड़ाई कठिन जरूर है, लेकिन इसके बावजूद पार्टी इस बात से निश्चित है की उसका प्रत्याशी चुनाव जीत जाएगा।
BJP उम्मीदवार का जनाधार अच्छा
कुर्सी रोड के मतदाता सुनील रावत कहते हैं कि रावत भाजपा के साथ हैं, इसलिए राजरानी रावत के जीतने पर कोई शंका नहीं है। राजरानी रावत की सबसे बड़ी विशेषता भी यही है कि वो सबसे मिलती हैं और गांव से जुड़ी हुई है। सुनील बताते हैं कि बहुत दिन नहीं हुए जब राजरानी अपने पति के साथ मोटरसाइकिल पर ही आती जाती रहती थीं। इसलिए लोग उनसे जुड़ाव महसूस करते हैं।
हालांकि, उनके साथ खड़े कुछ मतदाता इस बात को लेकर बहस करते हैं कि BJP में गुटबाजी चल रही है। गुटबाजी के चलते ही उपेंद्र रावत का टिकट कटा और उनका वीडियो वायरल हो गया। इससे BJP कमजोर हुई है। फिलहाल यहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की संघर्ष है, लेकिन बसपा कुछ ज्यादा अच्छा नहीं कर पा रही है।