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Loksabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश में मनरेगा वर्कर्स की बढ़ी मांग, राजनीतिक दल चुनाव प्रचार के लिए ऑफर कर रहे ज्यादा पैसे

राजनीतिक दल मनरेगा वर्कर्स को ज्यादा मजदूरी ऑफर कर रहे हैं। रोजाना तीन वक्त का खाना दे रहे हैं। रात में मजदूरों को शराब के भी ऑफर दिए जा रहे हैं। इससे बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए गांवों में मजदूर नहीं मिल रहे हैं

अपडेटेड Apr 16, 2024 पर 1:48 PM
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Loksabha Elections 2024: लखनऊ में डिपार्टमेंट ऑफ रूरल डेवलपमेंट को राज्य के कई हिस्सों से शिकायतें मिली हैं। उसे बताया गया है कि लोकसभा चुनावों की वजह से मनरेगा का काम रुका हुआ है।

Loksabha Elections 2024: इस बार के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में मनरेगा (MGNREGA) वर्कर्स की चांदी हो गई है। उनकी मांग बढ़ गई है। राजनीतिक दल चुनाव प्रचार के लिए बतौर पार्टी वर्कर्स उनका इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे नई बहस शुरू हो ई है। कई लोग राजनीतिक फायदे के लिए मनरेगा वर्कर्स के इस्तेमाल पर सवाल खड़े कर रहे हैं। मनरेगा वर्कर्स को आम तौर पर दिन भर काम करने के बाद करीब 250 रुपये की मजदूरी मिलती है। राजनीतिक पार्टियां उन्हें अपने कार्यक्रम में बुलाने और प्रचार करने के लिए रोजाना 300 रुपये तक दे रही हैं। इसके अलावा उन्हें रोजाना तीन वक्त का खाना और रात में शराब तक ऑफर की जा रही है। इसका नतीजा यह हुआ है कि राज्य में मनरेगा वर्कर्स की कमी हो गई है। उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में गावों में विकास से जुड़े काम करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं।

तीन वक्त का खाना और शराब का ऑफऱ

बांदा में विद्या धाम समिति नाम से एक एनजीओ चलाने वाले राजा भैया ने कहा कि बुंदेलखंड में तो मनरेगा वर्कर्स कम मजदूरी पर भी राजनीतिक दलों के लिए काम करने के लिए तैयार हैं। वह 200-250 रुपये की मजदूरी पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "उन्हें तीन बार खाना और रात में शराब के भी ऑफर दिए जा रहे हैं। इस वजह से वे कम पैसे पर भी काम करने को तैयार हो जा रहे हैं।" बाराबंकी के रहने वाले सुखई राम के पास मनरेगा जॉब कार्ड है। उन्हें तलाब की खुदाई के लिए कारोंदा ग्राम सभा में बुलाया गया। लेकिन, उन्होंने जाने से इनकार कर दिया। राम ने कहा, "मैं चुनाव के बाद तलाब की खुदाई के लिए जाऊंगा।" उन्होंने ज्यादा मजदूरी और 'शाम की दावत' को वजह बताई। शाम की दावत का मतलब संभवत: शराब से था।


सरकार को मिली हैं कई शिकायतें

लखनऊ में डिपार्टमेंट ऑफ रूरल डेवलपमेंट को राज्य के कई हिस्सों से शिकायतें मिली हैं। उसे बताया गया है कि लोकसभा चुनावों की वजह से मनरेगा का काम रुका हुआ है। डिपार्टमेंट के एक सीनियर अफसर ने कहा कि यह स्वाभाविक है और इस पर सरकार का कोई कंट्रोल नहीं है। ये वर्कर्स चुनाव प्रचार में हिस्सा लेते हैं। पार्टी के झंडे उठाते हैं। यहां तक कि रोडशो में बतौर पार्टी कार्यकर्ता भी शामिल होते हैं।

गर्मी की वजह से घरों से बाहर नहीं निकलना चाहते मजदूर

राजनीति के जानकार डॉ राजेश शर्मा ने कहा, "मनरेगा वर्कर्स का चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल गंभीर नैतिक मसला है। पहले से ही उनकी हालत दयनीय है। उन्हें राजनीतिक दल अपने हित के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे एंप्लॉयमेंट गारंटी स्कीम का मकसद पूरा नहीं होता है।" उधर, राजनीतिक दलों का कहना है कि वे मनरेगा वर्कर्स को रोजगार के मौके दे रही हैं। BJP एक नेता ने कहा कि पारा बहुत बढ़ गया है। यह 40 से ऊपर चल रहा है। लोग घरों के अंदर रहना चाहते हैं। हमें जमीन पर काम करने वाले लोग चाहिए। इसलिए हम गांवों से मनरेगा वर्कर्स को बुला रहे हैं।

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