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Loksabha Elections 2024: पश्चिम यूपी की 8 सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान, जानिए BJP-SP के लिए क्यों अहम हैं यह इलाका

2014 के लोकसभा चुनावों में पश्चिमी यूपी की 8 सीटों पर बीजेपी की जीत हुई थी। तब यूपी में बीजेपी की कुल सीटों की संख्या 71 पहुंच गई थी। लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा इनमें से सिर्फ 3 सीटों पर जीत हासिल कर सकी। SP-BSP और RLD के गठबंधन ने इस इलाके की ज्यादातर सीटें जीती थीं

अपडेटेड Apr 18, 2024 पर 12:55 PM
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Loksabha Elections 2024: इस बार BJP-RLD के गठबंधन को इम्तहान से गुजरना पड़ेगा। राजनीति के मैदान पर जयंत चौधरी की साख दांव पर लगी हुई है।

Loksabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश के एक बड़े अधिकारी ने कहा था, "पश्चिम तय करता है कि पूरब क्या करेगा।" यह बात इस बार लोकसभा चुनावों के मामले में सटीक बैठती है। इस पर उत्तर प्रदेश में किसी राजनीतिक दल का भविष्य तय करने में पश्चिम की बड़ी भूमिका रहेगी। पिछले लोकसभा चुनावों के नतीजे बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में BJP के शानदार प्रदर्शन में पश्चिमी यूपी में उसकी सफलता का बड़ा हाथ था। राजनीति के जानकार मनेज भादरा ने कहा कि पहले चरण के चुनावों में BJP की मजबूत स्थिति का फायदा पार्टी को बाद के चरणों में मिलता रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार भी इस ट्रेंड के जारी रहने की उम्मीद है।

2014 में सभी 8 सीटों पर BJP की जीत हुई थी

2014 के लोकसभा चुनावों में मतदान के पहले चरण की सभी 8 सीटों पर जीत हासिल की थी। इससे यूपी में बीजेपी की सीटों की संख्या बढ़कर 71 पहुंच गई थी। अपना दल से गठबंधन के बाद यह बढ़कर 73 हो गई थी। 2019 के लोकसभा चुनावों में स्थिति बदल गई। SP-RLD और BSP के महागठबंधन की वजह से बीजेपी को थोड़ा नुकसान हुआ। इन 8 सीटों में से बीजेपी सिर्फ 3 सीटों पर जीत हासिल कर सकी। इसका असर यूपी में बीजेपी की कुल सीटों पर पड़ा। पार्टी राज्य में सिर्फ 62 सीटें जीत सकी।


 RLD इस बार BJP के साथ मिलकर लड़ रहा चुनाव 

इस बार लोकसभा चुनावों के पहले चरण (19 अप्रैल) में यूपी के पश्चिमी इलाकों में मतदान होगा। लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनावों और 2022 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले इस बार स्थिति काफी बदली हुई दिख रही है। इस बार BJP-RLD के गठबंधन को इम्तहान से गुजरना पड़ेगा। राजनीति के मैदान पर जयंत चौधरी की साख दांव पर लगी हुई है। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान की तीसरी बार संभावित जीत पर भी नजरें लगी हुई हैं।

जयंत चौधरी की राजनीतिक साख दांव पर

पश्चिमी हिस्से पर कई दशकों से किसान और जाट नेता अजीत सिंह का असर रहा। 2021 में उनके निधन का इस इलाके के राजनीतिक समीकरण पर असर पड़ा। उनके नेतृत्व के अभाव ने उनके साथ रही पार्टियों के लिए मौके और चुनौतियां दोनों पेश किए हैं। भादरा ने कहा, "चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न प्रदान करने का बीजेपी का फैसला रणनीतिक साबित हुआ है। इसने जयंत को भाजपा के साथ जाने को प्रेरित किया है। लेकिन, जयंत का यह कदम कितना सही था, इसका पता चुनावी नतीजों से मिलेगा।"

पिछले लोकसभा चुनावों में SP, BSP और RLD  एक साथ थे

पिछले लोकसभा चुनावों में SP, BSP और RLD ने मिलकर चुनाव लड़ा था। 2019 के चुनावों के पहले चरण की 8 सीटों में से एसपी ने चार पर चुनाव लड़ा था। बीएसपी ने 3 पर चुनाव लड़ा था। RLD ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था। बीएसपी को इनमें से सभी सीटों पर जीत हुई थी। एसपी दो सीटें जीतने में कामयाब रही थी। आरएलडी को कोई सीट नहीं मिली थी।

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