महाराष्ट्र के पूर्व गवर्नर पीसी एलेक्जेंडर ने अपनी किताब 'पेरिल्स ऑफ डेमोक्रेसी' में लिखा था कि राजनीति में गठबंधन ज्यादा समय तक नहीं टिकते। सहयोगी दलों में मतभेद शुरू होता है फिर वे अपनी अलग राह पकड़ लेते हैं। यह बात आज महाराष्ट्र की राजनीति में 100 फीसदी सही दिख रही है। खासकर लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद यह मतभेद सामने आ गया है। यह मतभेद राज्य के दोनों गठबंधन में दिख रहा है। इस साल के आखिर में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राज्य में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं।
लोकसभा चुनावों के नतीजों से गठबंधन में निराशा
राज्य में सरकार चलाने वाली महायुति गठबंधन में शामिल शिवसेना-शिंदे ने 16 सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। वह 7 सीटें जीतने में सफल रही। एनडीए की नई सरकार में इस दल को सिर्फ राज्यमंत्री का एक पद ऑफर किया गया। इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। उधर, एनसीपी-अजीत गुट ने भी राज्यमंत्री का पद लेने से इनकार कर दिया। अजीत पवार को उम्मीद थी कि उनकी पार्टी को कैबिनेट मिनिस्टर का पद दिया जाएगा।
पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी और शिवसेना एक साथ
2019 के महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में BJP और शिवसेना एकसाथ थी। बीजेपी ने 164 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि शिवसेना ने 126 सीटों पर। तब एनसीपी का बंटवारा नहीं हुआ था। उसने 121 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार दल शिवसेना और एनसीपी अपने लिए ज्यादा सीटें चाहते हैं। एनसीपी के महायुति से बाहर जाने की भी आशंका जताई जा रही है। उधर, आरएसएस ने अजीत पवार को सरकार में शामिल करने के लिए BJP की आलोचना की है। उसका मानना है कि इससे पार्टी की छवि को चोट पहुंची है।
राज ठाकरे का अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान
राज ठाकरे ने हाल में ऐलान किया है कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। हालांकि, चुनावों से पहले उसके NDA में शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में राजनीति की किस तरह की तस्वीर उभर कर सामने आती है, अभी उसके बारे में बताना मुश्किल है। लेकिन, यह तय है कि आने वाले महीनों में मौजूदा तस्वीर बदलने जा रही है।
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एमवीए में काग्रेंस के बढ़ते कद पर सहयोगी दल चिंतित
महाविकास अगाड़ी (MVA) राज्य में विपक्ष में है। उसमें भी दरार के संकेत दिख रहे हैं। लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने के बाद कांग्रेस का हौसला बढ़ा है। कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख नाना पटोले के इस बयान ने शिवसेना-उद्धव और एनसीपी-शरद को निराश किया है कि कांग्रेस अब एमवीए में बड़ा भाई है। 2019 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 147 सीटों पर चुनाव लड़ा था। ऐसा लगता है कि MVA में सीटों का बंटवारा आसान नहीं होगा।