Loksabha Election: IAS परमपाल कौर चुनाव लड़ पाएंगी या नहीं? BJP ने बठिंडा से दिया टिकट, AAP सरकार ने फंसाया 'नोटिस पीरियड' का पेच

Punjab Lok Sabha Election 2024: परमपाल कौर सिद्धू 2011 बैच की IAS अधिकारी हैं। वो BJP के टिकट पर बठिंडा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। उन्होंने पिछले महीने VSR का अनुरोध करते हुए इस्तीफा दे दिया था और तीन महीने के नोटिस पीरियड को माफ करने का अनुरोध किया था। बाद में, वो दिल्ली में एक कार्यक्रम में BJP में शामिल हो गईं

अपडेटेड May 09, 2024 पर 2:56 PM
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Lok Sabha Election 2024: IAS परमपाल कौर चुनाव लड़ पाएंगी या नहीं? BJP ने बठिंडा से दिया टिकट, AAP सरकार ने फंसाया 'नोटिस पीरियड' का पेच

पंजाब में बीजेपी की बठिंडा से उम्मीदवार और IAS अधिकारी परमपाल कौर सिद्धू और राज्य के आम आदमी पार्टी सरकार के बीच खींचतान बढ़ गई है। पंजाब सरकार ने परमपाल कौर का इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार कर दिया है और उन्हें तुरंत ड्यूटी पर लौटने का आदेश दिया है। हालांकि, केंद्र के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने पहले ही उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए उन्हें कार्यमुक्त कर दिया है। इस सब के बावजूद परमपाल कौर ने बुधवार को पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) नीत सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि वो उनके खिलाफ कोई भी कदम उठा सकती है, लेकिन वो लोकसभा चुनाव जरूर लड़ेंगी।

दरअसल ये सब तब शुरू हुआ, जब परमपाल कौर सिद्धू ने पिछले महीने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) का अनुरोध करते हुए इस्तीफा दे दिया था और तीन महीने के नोटिस पीरियड की शर्त को माफ करने का अनुरोध किया था। इसके बाद वो दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में बीजेपी में शामिल हो गईं।

केंद्र ने इस्तीफा स्वीकार किया, राज्य ने नहीं


परमपाल कौर सिद्धू, शिरोमणी अकाली दल के नेता सिकंदर सिंह मलूका की बहू हैं। केंद्र सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया और पंजाब सरकार को भी इसकी सूचना दे दी। केंद्र राज्य को बताया कि अखिल भारतीय सेवा नियमों की धारा 3 का पालन करते हुए IAS अधिकारी परमपाल कौर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। हालांकि, राज्य सरकार ने मंगलवार को परमपाल को एक नोटिस जारी किया, जिसमें उन्हें फिर ड्यूटी पर लौटने निर्देश दिया गया और ऐसा न करने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई।

पंजाब कैडर की IAS अधिकारी परमपाल कौर अप्रैल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुई थीं। बीजेपी में शामिल होने से ठीक पहले उन्होंने मुख्य सचिव अनुराग वर्मा को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। हालांकि, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया।

इसके बावजूद, वो बीजेपी में शामिल हो गईं और बाद में उन्हें बठिंडा लोकसभा सीट से बीजेपी ने चुनाव का टिकट दे दिया, जिसकी सीएम मान ने आलोचना की।

राज्य सरकार ने नहीं माफ किया नोटिस पीरियड

मान ने सार्वजनिक रूप से उनके फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। तब केंद्र ने एक पत्र के साथ हस्तक्षेप किया, जिसमें कहा गया कि भर्ती प्राधिकारी के रूप में भारत सरकार ने वास्तव में उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।

राज्य सरकार की तरफ से जारी नोटिस में साफ किया गया है कि नियम 16(2) के तहत जरूरी तीन महीने का नोटिस पीरियड माफ नहीं किया गया है, न ही VRS के लिए उनके अनुरोध पर कोई निर्णय लिया गया है।

'गलत' आधार पर दिया इस्तीफा!

राज्य सरकार ने इस्तीफा के लिए दिए गए आधार को ‘गलत’ करार देते हुए VRS के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और उन्हें तुरंत अपनी ड्यूटी पर लौटने को कहा। साथ ही, ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी।

पत्र में उनकी मां के स्वास्थ्य और पारिवारिक स्थिति समेत उनकी व्यक्तिगत परिस्थितियों के बारे में भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव के साथ परमपाल कौर के सीधे संवाद का भी हवाला दिया गया, जिसके कारण केंद्र को नियम 3 के तहत उनके इस्तीफे को स्वीकार करने पर जोर देना पड़ा।

इसके अलावा, नोटिस में इस बात पर जोर डाला गया कि परमपाल कौर ने तीन महीने के नोटिस पीरियड की छूट का अनुरोध किया था, जिसे केवल राज्य सरकार की ओर से ही दिया जा सकता है, बशर्ते कि कुछ शर्तें पूरी हों और कारण लिखित में दर्ज किए गए हों।

मेरा समय बर्बाद करना चाहती है सरकार

राज्य सरकार के पत्र पर सिद्धू ने बुधवार को कहा कि उन्हें केंद्र ने पहले ही कार्यमुक्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि वो पंजाब में एक जून को होने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के बाद राज्य सरकार को अपना जवाब सौंपेंगी।

सिद्धू ने बठिंडा में मीडिया से बातचीत में कहा, "वे (आप सरकार) केवल मेरा समय बर्बाद करना चाहते हैं।"

उन्होंने कहा, "मैं अपने रिटायरमेंट के बाद जो करना चाहती हूं, वो कर सकती हूं। मैं अब लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में आई हूं और मेरा एकमात्र लक्ष्य बठिंडा के विकास के लिए काम करना है।"

अब ऐसे में स्थिति ये बनती दिख रही है कि उन्होंने अब तक नामांकन भी नहीं भरा है और मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए बठिंडा संसदीय क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिस की तरफ से उनका नामांकन पत्र खारिज भी किया जा सकता है।

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