मंगलवार (11 जून) को विदेश मंत्री का पदभार संभालने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान के साथ मुद्दों पर देश के मजबूत रुख की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि सीमा मुद्दे और सीमा पार आतंकवाद दोनों से भारत निपटेगा। NDA सरकार में कार्यभार संभालने के बाद पहली बार बोलते हुए जयशंकर ने कहा, "किसी भी देश में और खासकर लोकतंत्र में किसी सरकार का लगातार तीन बार चुना जाना बहुत बड़ी बात होती है। इसलिए दुनिया को निश्चित रूप से लगेगा कि आज भारत में बहुत राजनीतिक स्थिरता है।"
उन्होंने पीटीआई से कहा, "जहां तक पाकिस्तान और चीन का सवाल है, उन देशों के साथ संबंध अलग हैं और वहां की समस्याएं भी अलग हैं। चीन के संबंध में हमारा ध्यान सीमा मुद्दों का समाधान खोजने पर होगा और पाकिस्तान के साथ हम वर्षों पुराने सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे का समाधान खोजना चाहेंगे।" 69 वर्षीय जयशंकर राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी और निर्मला सीतारमण सहित वरिष्ठ बीजेपी नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने पिछली सरकार में संभाले गए मंत्रालयों को बरकरार रखा है।
मंगलवार को लगातार दूसरी बार संभाला कार्यभार
राजनयिक से नेता बने एस. जयशंकर ने मंगलवार को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए विदेश मंत्री के रूप में पदभार संभाला। जयशंकर ने X पर कहा, ''विदेश मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। मुझे यह जिम्मेदारी सौंपने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद।'' विदेश मंत्री के रूप में वर्ष 2019 से कार्यभार संभालने वाले जयशंकर ने वैश्विक मंच पर कई जटिल मुद्दों को लेकर भारत के रुख को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की अपनी क्षमता का आत्मविश्वास के साथ प्रदर्शन किया है।
जयशंकर ने यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर रूस से कच्चे तेल की खरीद पर पश्चिमी देशों की आलोचना को निष्प्रभावी करने से लेकर चीन से निपटने के लिए एक दृढ़ नीति- दृष्टिकोण तैयार करने तक प्रधानमंत्री मोदी की पिछली सरकार में अच्छा काम करने वाले अग्रणी मंत्रियों में से एक के रूप में उभरे।
उन्हें विदेश नीति के मामलों को खासकर भारत की G-20 की अध्यक्षता के दौरान घरेलू पटल पर विमर्श के लिए लाने का श्रेय भी दिया जाता है। वर्तमान में जयशंकर गुजरात से राज्यसभा के सदस्य हैं। जयशंकर ने (2015-18) तक भारत के विदेश सचिव, अमेरिका में राजदूत (2013-15), चीन में (2009-2013) और चेक गणराज्य में राजदूत (2000-2004) के रूप में कार्य किया है।
वह सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त (2007-2009) भी रहे। जयशंकर ने मॉस्को, कोलंबो, बुडापेस्ट और तोक्यो के दूतावासों के साथ-साथ विदेश मंत्रालय और राष्ट्रपति सचिवालय में अन्य राजनयिक पदों पर भी काम किया है।