18वीं लोकसभा के लिए सांसदों का चयन हो चुका है। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी तीसरी बार काम शुरू कर चुके हैं। इस बार की लोकसभा बेहद दिलचस्प होने जा रही हैं। इस बार संसद में मतबूत विपक्ष होगा। 4 जून को आए नतीजों में भाजपा के 240, कांग्रेस के 99, सपा के 37, टीएमसी के 29, डीएमके के 22, टीडीपी के 16, जेडीयू के समेत कुल 542 सांसद संसद पहुंचे हैं। इस बीच लोगों की जिज्ञासा बढ़ गई है कि इन जीते हुए सांसदों को अगले पांच साल क्या-क्या लाभ मिलेंगे और बतौर सांसद इन नेताओं की कितनी सैलरी होगी?
सरकार की ओर से सांसदों को 5 साल तक कई सुविधाएं मिलती हैं। कार्यकाल पूरा होने के बाद भी उन्हें पेंशन और कई अन्य सुविधाएं मिलती हैं। सांसद सदस्य को वेतन के तौर पर हर महीने एक लाख रुपये मिलते हैं। दिल्ली में आवास, 3 फोन, सरकार की खर्च पर फ्लाइट, ट्रेन और सड़क के जरिए यात्रा करने की सुविधाएं मिलती हैं। संसद सदस्य के रहते हुए कई तरह की सुविधाओं का अधिकार है. इसके अलावा भूतपूर्व सदस्य के रूप सें कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं।
सांसदों को मिलते हैं ये भत्ते
सांसदों को संसद सत्र में भाग लेने के लिए दैनिक भत्ता के रूप में 2,000 रुपये भी मिलते हैं। अगर सांसद सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं तो वे 16 रुपये प्रति किमी की दर से यात्रा भत्ता के भी हकदार हैं। उन्हें हर महीने 45,000 रुपये का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता भी मिलता है। उन्हें ऑफिस कैंपस के रूप में हर महीने 45,000 रुपये भी मिलते हैं, जिसमें स्टेशनरी और डाक खर्च के लिए 15,000 रुपये शामिल हैं। भत्ते का उपयोग सचिव सहायकों के वेतन का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है। जाती है। सांसद किसी भी सरकारी या रेफर कराने के बाद किसी प्राइवेट अस्पताल में अगर इलाज, ऑपरेशन कराते है, तो उस इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाती है। इसके अलावा सांसद को सरकारी खर्च पर सुरक्षाकर्मी और केयर-टेकर भी मिलते हैं।
सांसद कितना टैक्स देते हैं?
नियमों के मुताबिक, लोकसभा-राज्यसभा के सांसद, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति सिर्फ सैलरी पर ही टैक्स भरते हैं। बाकी जो अलग से भत्ते मिलते हैं उन पर कोई टैक्स नहीं लगता है। मतलब, सांसदों की हर महीने की सैलरी एक लाख रुपये है। इस हिसाब से सालाना सैलरी 12 लाख रुपये हुई। इस पर ही उन्हें टैक्स देना होता है। सांसदों, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की सैलरी पर 'अन्य स्रोतों से प्राप्त आय' के अंतर्गत टैक्स लगाया जाता है।
सासदों की गिरफ्तारी के नियम
सांसदों की गिरफ्तारी के लिए नियम भी बनाए गए हैं। आपराधिक मामले में अगर किसी सांसद की गिरफ्तारी हो रही है तो पुलिस या एजेंसी को राज्यसभा के चेयरमैन या लोकसभा अध्यक्ष को जानकारी देनी होती है। जिसमें पूरा कारण बताना पड़ता कि आखिर क्यों गिरफ्तार किया गया।
वरिष्ठ सांसदों को हर महीने ज्यादा मिलती है पेंशन
संसद के सदस्यों चाहे वह लोकसभा का सदस्य हो या फिर राज्यसभा का, संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम-1954 के तहत पेंशन मिलती है। यह राशि फिलहाल हर महीने 25,000 रुपये बताई जाती है। इसके अलावा अगर कोई सांसद पांच साल से अधिक समय तक सांसद रहता है। कहने का मतलब ये हुआ कि जैसे-जैसे कार्यकाल बढ़ता है। उसकी वरिष्ठता का सम्मान करते हुए हर साल 1500 रुपये हर महीने अलग से दिए जाते हैं।
न्यूनतम कार्यकाल की कोई सीमा तय नहीं
सबसे खास बात यह है कि सांसदों की पेंशन के लिए किसी न्यूनतम कार्यकाल की कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। यानी कोई एक दिन के लिए सांसद बने या फिर 80 साल की उम्र तक सांसद रहे। उसे सिर्फ एक बार संसद का सदस्य बनने पर आजीवन पेंशन मिलती है। सांसदों के परिवार के लिए भी पेंशन की सुविधा मुहैया कराई गई है। यानी पति, पत्नी या सांसद के आश्रित को पेंशन दी जाती है। किसी सांसद या पूर्व सांसद की मौत होने पर उसके पति, पत्नी या आश्रय में रहने वाले को पूरी उम्र आधी पेंशन मिलती है।