शिवसेना के दोनों गुटों के लिए लोकसभा का यह चुनाव बहुत अहम था। यह पार्टी 2022 में दो हिस्सों में बंट गई थी। उसके बाद यह पहला लोकसभा चुनाव था। दो हिस्सों में बंटने के बाद से दोनों गुट खुद के असली शिवसेना होने का दावा करते रहे हैं। इसलिए लोकसभा चुनाव में दोनों धड़ों के प्रदर्शन पर करीबी नजरें थीं।
महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें
2022 में शिवसेना (Shiv Sena) तब दो हिस्सों में बंट गई थी जब एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की अगुवाई में 50 से ज्यादा विधायकों ने पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे (Udhav Thakre) के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। शिंदे ने इन विधायकों की मदद से बीजेपी (BJP) के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई थी। कानूनी गलियारों से होता हुआ मामला आखिर में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। शिंदे गुट के असली शिवसेना होने पर मुहर लग गई। शिवसेना का गढ़ महाराष्ट्र रहा है, जहां लोकसभा की 48 सीटें हैं। यूपी के बाद यह सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाला दूसरा राज्य है।
बाला साहब ठाकरे ने 1966 में शिव सेना की स्थापना की थी
स्थापना (1966) के करीब 29 साल बाद महाराष्ट्र में शिवसेना की पहली बार सरकार बनी थी। उसके बाद से यह पार्टी लगातार बीजेपी की सहयोगी के रूप में एनडीए की हिस्सा रही। इसकी सबसे बड़ी वजह दोनों दलों की हिंदुत्व को लेकर एक जैसी सोच थी। 2009 के लोकसभा चुनावों में दोनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था। तब बीजेपी को 9 सीटें मिली थी और शिवसेना को 11 सीटें मिली थीं।
2014 के लोकसभा चुनावों में शिवसेना ने 18 सीटें जीती थीं
2014 के चुनाव में भी दोनों दलों ने मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर थी। बीजेपी ने 23 सीटें जीती थीं, जबकि शिवसेना के खाते में 18 सीटें गई थीं। 2019 के लोकसभा चुनावों में भी दोनों दलों के बीच तालमेल रहा। दोनों को 2014 जितनी सीटें मिली।
उद्धव गुट इस बार सिर्फ 9 सीटें जीत सका
अब शिवसेना-उद्धव महाविकास अगाड़ी (MVA) का हिस्सा है। इसमें शिवसेना उद्धव के अलावा कांग्रेस और एनसीपी-शरद गुट शामिल हैं। राज्य की 48 सीटों में से 21 सीटों पर शिवसेना-उद्धव गुट ने चुनाव लड़ा। लेकिन, वह सिर्फ 9 सीटें जीत सकी। इसके मुकाबले एमवीए के सहयोगी दलों का प्रदर्शन अच्छा रहा।
शिंदे गुट ने 7 सीटें जीतीं
इधर, शिवसेना-शिंदे ने कुल 15 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें से वह 7 सीटें जीतने में सफल रही। इस तरह अगर फीसदी में देखा जाए तो शिवसेना के दोनों गुटों में शिंदे गुट का प्रदर्शन बेहतर रहा है। उसने शिवसेना-उद्धव गुट के मुकाबले उसने 6 कम सीटों पर चुनाव लड़ा। लेकिन, वह उद्धव गुट के मुकाबले सिर्फ 2 सीटें कम जीत पाई।