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UP Loksabha Chunav: फिरोजाबाद में चुनावी हार का बदला ले पाएगा यादव परिवार? BJP, BSP को लेकर क्या कहते हैं मतदाता

UP Lok Sabha Election 2024: सवाल बड़ा है कि इस लोकसभा चुनाव में क्या होगा और इसका जवाब भी उतना ही मुश्किल है। क्या अक्षय यादव 2019 की हार का बदला ले लेंगे? क्या यादव परिवार द्वारा यहां किए जा रहे प्रयास सफल होंगे या बीजेपी के हाथ बाजी लगेगी? क्या चौधरी वशीर के दावे सही होंगे?

अपडेटेड May 07, 2024 पर 4:42 PM
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UP Loksabha Chunav: फिरोजाबाद में चुनावी हार का बदला ले पाएगा यादव परिवार? BJP, BSP को लेकर क्या कहते हैं मतदाता

सैफई का यादव परिवार इस बार फिरोजाबाद लोकसभा क्षेत्र में 2019 की चुनावी हार का बदला ले लेना चाहता है। इसके लिए पूरा परिवार एकजुट है। तब चुनाव में राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव भारतीय जनता पार्टी के हाथों चुनाव हार गए थे। हैरानी के बात ये है कि उनकी हार का कारण बने थे, उनके ही चाचा शिवपाल सिंह यादव अब अक्षय यादव अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव से आशीर्वाद ले आए हैं। अक्षय यादव बताते हैं कि उनके चाचा ने उन्हें आशीर्वाद दे दिया है और कहा है कि सबका सम्मान करो। इसलिए वो चाचा के बताए रास्ते पर चल रहे हैं। इस बार उनकी जीत पक्की है।

भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर अपना प्रत्याशी बदल दिया है। पूर्व सांसद के बेटे 73 साल के विश्वदीप सिंह को भाजपा ने टिकट दिया है। विश्वदीप सिंह का दावा है कि वो सपा के संस्थापक सदस्यों में रहे हैं, लेकिन राम गोपाल यादव के व्यवहार के चलते उन्होंने समाजवादी पार्टी से दूरी बना ली।

कैसा था पिछले चुनाव का नतीजा?


पिछले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में बीजेपी के टिकट पर चंद्र सेन सिंह जादौन चुनाव जीते थे। चंद्र सेन लगभग 30 हजार वोटों से ही अक्षय यादव से जीत सके थे। जबकि अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव मैदान में कूद पड़े शिवपाल सिंह यादव को लगभग 91 हजार वोट मिले थे।

विश्वदीप सिंह कहते हैं कि लोग मोदी और योगी के साथ हैं और विकास की धारा को रुकने नहीं देना चाहते हैं। इसलिए जीतेंगे वहीं। लेकिन इन सब के बीच बहुजन समाज पार्टी के चौधरी बशीर भी चुनाव मैदान में हैं। उनका दावा है की समाजवादी पार्टी के अक्षय यादव और भारतीय जनता पार्टी के विश्वदीप सिंह दोनों ही उनके हाथों चुनाव हार जाएंगे। बस समय का इंतजार कीजिए। जब वो यह बातें कर रहे थे, तो पास ही एक दुकान में एक मुस्लिम मतदाता कह रहा था कि बशीर साहब नहीं जीत सकते।

कैसा है फिरोजाबाद का इसबार माहौल?

सवाल बड़ा है कि इस लोकसभा चुनाव में क्या होगा और इसका जवाब भी उतना ही मुश्किल है। क्या अक्षय यादव 2019 की हार का बदला ले लेंगे? क्या यादव परिवार द्वारा यहां किए जा रहे प्रयास सफल होंगे या बीजेपी के हाथ बाजी लगेगी? क्या चौधरी वशीर के दावे सही होंगे?

फिरोजाबाद वो सीट है, जिसमें इस जिले की सिर्फ दो विधानसभा सीट हैं। वो हैं फिरोजाबाद और शिकोहाबाद, जबकि तीन विधानसभा सीट आगरा की हैं। वो हैं फतेहाबाद और खैरागढ़। 2009 में इस सीट पर अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव राज बब्बर के हाथों पराजित हो गई थीं। यादव परिवार के लिए वो हार भी बहुत बड़ा झटका था।

कैसे पड़ा फिरोजाबाद नाम?

कांच के समान और चूड़ियों के लिए मशहूर फिरोजाबाद छोटा सा जिला है। यहां पर प्रसिद्ध जैन मंदिर भी है। कहते हैं कि बादशाह अकबर के नवरत्नों में एक टोडरमल तीर्थ यात्रा पर जा रहे थे और इसी शहर के पास उन्हें लूट लिया गया। तब टोडरमल की सहायता के लिए अकबर ने मंसबदार फिरोजशाह को भेजा था और उन्होंने मौके का फायदा उठाकर इस शहर का नाम फिरोजाबाद कर दिया।

2019 में अक्षय यादव फिरोजाबाद से जब हारे थे, जब सपा बसपा और रालोद का गठबंधन था और दलित वोट समाजवादी पार्टी के साथ गया था। सपा के एक नेता कहते हैं कि शिवपाल सिंह यादव के मैदान में उतरने और उनके 91,000 वोट पा जाने से अक्षय यादव की हार हो गई।

लेकिन शिकोहाबाद के राम अवतार कहते हैं कि शिवपाल के 91000 वोट तो सपा के लोग अपने खाते में जोड़ रहे हैं, लेकिन जो दलित वोट साइकिल पर गया था और वो वोट अब BSP में जा रहा है। इसलिए सपा का ही नुकसान हो रहा है, लेकिन सभी राजनीतिक दल अपने-अपने ढंग से चुनावी गणित बैठा रहे हैं और बड़े-बड़े दावे भी कर रहे हैं।

फिरोजाबाद में इस बार कांटे की टक्कर

फिरोजाबाद के ही जगत नारायण कहते हैं कि इस बार लड़ाई बहुत कांटे की है। बहुजन समाज पार्टी ने मुस्लिम वोट की चाहत में ही चौधरी बशीर को मैदान में उतारा है, लेकिन ये मुसलमान के ज्यादा वोट ले पाएंगे ऐसा लगता नहीं है।

इसलिए बसपा मजबूत लड़ाई लड़ पाएगी इस पर तमाम सवालिया निशान हैं। यह अलग बात है कि बहुजन समाज पार्टी को दलित वोटों का एक बड़ा हिस्सा मिल रहा है। फिरोजाबाद के पास ही एक मतदाता राम आसरे मिल गए। वो बसपा के कट्टर समर्थक हैं और उनका कहना था की इस बार दलित वोटों की तरफ कोई दूसरा उम्मीदवार देख भी नहीं सकता। वोट बहन जी के कारण हाथी को जा रहा है। अब बशीर मियां मुसलमान के वोट भी अगर ले लें, तो वो जीत जाएंगे।

BSP की लड़ाई हो सकती है कमजोर

कमोवेश दलित बहुल गांव में चौधरी बशीर का जोर दिखता है, लेकिन फिरोजाबाद के मोहम्मद निसार कहते हैं की मुस्लिम वोट साइकिल पर जा रहा है। अब चौधरी बशीर कितना वोट काट ले जाते हैं, यह अभी तय नहीं है। यह निश्चित है कि उन्हें ज्यादा वोट नहीं मिलेगा। अगर बसपा को मुस्लिम वोट नहीं मिला, तो उसकी लड़ाई कमजोर हो जाएगी।

जबकि अक्षय यादव को यादव वोट के साथ मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन मिल रहा है। फिरोजाबाद वैसे भी मुस्लिम बहुल शहर है। पिछले लोकसभा चुनाव में अक्षय यादव के साथ ज्यादातर मुस्लिम और यादव मतदाता गया था। इसके बावजूद वो हार गए थे।

सवर्ण मतदाताओं में बीजेपी की पकड़ मजबूत

जबकि इस बार दलित मतदाता उनसे कट रहा है इसकी भरपाई वो कैसे करेंगे। समाजवादी पार्टी के एक समर्थक कुलदीप सिंह कहते हैं कि सपा को दूसरे वर्गों का भी वोट मिल रहा है। जबकि भारतीय जनता पार्टी के विश्वदीप सिंह बताते हैं की उन्हें सवर्णों का ही नहीं अन्य पिछड़े वर्ग (OBC) का भी वोट मिल रहा है। अति पिछड़ों का वोट बीजेपी को ही मिल रहा है और अति दलितों का वोट भी मिल रहा है। इसलिए जो लोग अक्षय यादव में जीत की रट लगाए हुए हैं, वो गलत साबित हो जाएंगे।

फिरोजाबाद के जितेंद्र तिवारी बताते हैं कि सवर्ण मतदाताओं में बीजेपी की पकड़ मजबूत है। अब पिछड़ा वोट कितना मिलता है, उस पर सभी की निगाहें हैं। भाजपा समर्थक कितना ही मजबूत दावा करें लेकिन यहां लड़ाई बहुत मुश्किल हो रही है। लेकिन समाजवादी पार्टी यह लड़ाई आसानी से जीत सकती है, ऐसा लगता नहीं है। बीजेपी का जनाधार मजबूत बना हुआ है। इसलिए यहां पर लड़ाई बहुत रोचक हो रही है।

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