UP Lok Sabha Elections 2024: समाजवादी पार्टी के प्रेसिडेंट अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) कन्नौज सीट (Kannauj Lok Sabha Seat) से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। अभी वह करहल (Karhal) सीट से विधायक हैं। 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने इस सीट से जीत हासिल की थी। अखिलेश के इस कदम के बाद अब पूरा यादव परिवार यादव बेल्ट से चुनाव लड़ रहा है। सपा प्रमुख ने कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला क्यों लिया, इसके राज्य और देश की राजनीति के लिए क्या मायने हैं, क्या इससे विपक्षी एकता को मजबूती मिलेगी? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
पूरे यादव बेल्ट से चुनाव लड़ रहा यादव परिवार
अखिलेश जहां कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं वही उनकी पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से चुनाव लड़ रही हैं। सपा के सीनियर नेता राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय कुमार यादव फिरोजाबाद से उम्मीदवार हैं। शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव बदायूं से सपा के टिकट पर खड़े हैं। इस तरह पूरा यादव परिवार यादवों के गढ़ माने जाने वाले इलाके से ताल ठोंक रहा है।
यादव बेल्ट में BJP ने लगाई है बड़ी सेंध
इसे इस इलाके में अपनी खोई ताकत फिर से हासिल करने की यादव परिवार की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। पिछले 10 साल में इस इलाके में BJP सेंध लगाने में कामयाब रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने फिरोजाबाद, बदायूं और कन्नौज सीट जीती थी। अखिलेश के पिता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी की सीट जीती थी। बाद में मैनपुरी सीट पर हुई उपचुनाव में डिंपल यादव विजयी हुई थीं।
2014 में चारों सीटें SP के खाते में गई थीं
2014 के लोकसभा चुनावों में ये चारों सीटें सपा के खाते में गई थीं। वह भी तब देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर थी। ऐसे में 2019 के चुनावों में इन सीटों पर BJP की जीत से सपा को बड़ा झटका लगा था। राजनीतिक के जानकारों का कहना है कि कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ने का अखिलेश का फैसला इस इलाके में यादव परिवार की घटती साख को बचाने की कोशिश है। इसका संकेत इस बात से भी मिलता है कि अखिलेश ने पहले कहा था कि वह यूपी विधानसभा का सदस्य बने रहना चाहते हैं। इससे वह 2027 में यूपी विधासभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमले करते रहेंगे।
अखिलेश यादव को सिर्फ 2 दिन में बदलना पड़ा फैसला
अखिलेश ने पहले अपने रिश्तेदार तेज प्रताप यादव को कन्नौज सीट से सपा का उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया था। दो दिन बाद 24 अप्रैल को उन्होंने अपना फैसला बदल दिया। वह आज यानी 25 अप्रैल को अपना नामांकन करेंगे। यह कन्नौज सीट से पर्चा भरने की आखिरी तारीख है। माना जा रहा है कि कन्नौज से उनके चुनाव लड़ने का यादव बेल्ट की चारों सीटों पर अच्छा असर पड़ेगा।
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अखिलेश के लिए खास है कन्नौज सीट
कन्नौज सीट अखिलेश यादव के लिए खास है। उन्होंने पहली बार 2000 के लोकसभा चुनाव में यहां से लड़ा था और जीत हासिल की थी। फिर, उन्होंने 2004 और 2009 में इस सीट से चुनाव लड़ा था। 2012 के लोकसभा चुनावों में डिंपल यादव ने इस सीट से चुनाव लड़ा था। दोबारा उन्होंने 2014 में यह सीट जीती थी। 2019 के लोकसभा चुनावों में BJP के सुब्रत पाठक ने इस सीट से डिंपल यादव को हराकर चौंकाया था। उन्होंने 12,000 मतों के अंतर से चुनाव जीता था।
अखिलेश का मुकाबला बीजेपी के सुब्रत पाठक से
पाठक इस बार भी कन्नौज से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। उन्होंने अखिलेश को ताकत आजमाने की चुनौती दी है। इस इलाके में यादवों की अच्छी आबादी है। यह इलाका आलू के उत्पादन के लिए जाना जाता है। किसान आलू का काफी ज्यादा उत्पादन करते हैं और उसकी खरीद एक चुनावी मसला है।