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UP Loksabha Chunav: रामपुर में आजम और उनके समर्थक दोनों हैं नाराज, वोट यात्रा में जानें इस मुश्किल से कैसे पार पाएंगे अखिलेश?

UP Loksabha Chunav: आजम खान (Azam Khan) ने कभी बीच का रास्ता अख्तियार नहीं किया, जिससे मोहब्बत की उसके साथ रहे और जिससे दुश्मनी की उसके खिलाफ कोई और कसर बाकी नहीं रखी। उन्होंने सांसद जया प्रदा को उखाड़ फेंकने की कसम खाई और इसे पूरा करने के लिए उन्हें समाजवादी पार्टी से निकाल भी दिया गया

अपडेटेड Apr 06, 2024 पर 8:59 PM
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UP Loksabha Chunav: रामपुर में आजम और उनके समर्थक दोनों हैं नाराज, वोट यात्रा में जानें इस मुश्किल से कैसे पार पाएंगे अखिलेश?

UP Loksabha Chunav: 'आप आजम खान (Azam Khan) को क्या समझ रहे हैं? उनकी राजनीति को समझना बहुत मुश्किल है। रामपुर के ही आसिफ भाई कहते हैं कि संकट के समय आजम की जो मदद सपा नेतृत्व को करनी चाहिए थी, वो नहीं की गई।' समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान का क्षेत्र रामपुर (Rampur)। जब रामपुर पहुंचता, तो वहां पर लगता ही नहीं की चुनाव चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश की वो मुस्लिम बहुल सीट जिसमें 50 प्रतिशत से भी ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं।

यहां पर यह चर्चाएं गर्म हैं कि आजम के समर्थक आखिर में क्या करेंगे? यह चर्चा इसलिए भी है, आजम का इस सीट पर गहरा असर है। वही रामपुर जहां का चाकू इतना मशहूर है कि फिल्मों में भी रामपुरी चाकू के नाम पर प्रसिद्ध हो गया, लेकिन अकेले चाकू की धार की ही बात क्यों करें। यहां नेताओं की जुबान भी इतनी पैनी है, जो चाकू से गहरा घाव कर दे देती है।

आजम खान खेल रहे हैं खेल?


आजम खान के विषय में यही कहा जाता है कि उनके हर शब्द में व्यंग्य और तंज होता है। वह इस समय सीतापुर जेल में बंद है, लेकिन जेल के अंदर रहकर भी वह समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को राजनीति चक्रव्यूह में घेरा करते हैं। इस बार भी लोकसभा चुनाव में कुछ ऐसा ही खेल हो रहा है।

आम लोग इस खेल को समझ नहीं पा रहे हैं और जो राजनीति के रेशे-रेशे को समझते हैं, वह जानते हैं कि आजम जो राजनीतिक खेल, खेल रहे हैं, वो समाजवादी पार्टी के लिए नुकसान का ही सौदा है।

आजम ने कभी बीच का रास्ता अख्तियार नहीं किया, जिससे मोहब्बत की उसके साथ रहे और जिससे दुश्मनी की उसके खिलाफ कोई और कसर बाकी नहीं रखी। उन्होंने सांसद जया प्रदा को उखाड़ फेंकने की कसम खाई और इसे पूरा करने के लिए उन्हें समाजवादी पार्टी से निकाल भी दिया गया। लोग उनसे सीधे टकराने से बचते रहे, लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी सरकार उनसे ऐसी टकराई कि कई मामलों में वह जेल की सजा पा चुके हैं।

अपनी ही पार्टी से क्यों नाराज हैं आजम खान?

आजम खान अपनी ही पार्टी से इस बात से नाराज हैं कि उनके पक्ष में उनकी ही पार्टी समाजवादी पार्टी उतनी आक्रामकता से बचाव में नहीं खड़ी हुई, जैसा होना चाहिए था। अब वह सपा को ही सबक सिखाना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव को लेकर ऐसी-ऐसी शर्तें लगाई कि अखिलेश को इस चक्रव्यूह से निकालना काफी मुश्किल लग रहा है।

उनकी शर्त के कारण ही रामपुर में प्रत्याशी बदल गया, लेकिन उससे वह संतुष्ट नहीं हुए और अब अखिलेश ने उनकी बात न मानते हुए सपा से जो प्रत्याशी उतारा है, आजम के समर्थक खुलकर उसकी मदद नहीं कर रहे हैं। सब अपने-अपने घरों में बैठे हुए हैं। आजम की एक ही शर्त थी की सिर्फ अखिलेश ही रामपुर से चुनाव लड़ें।

आजम की शर्त से मच गई खलबली

अखिलेश जानते थे यह, भक्ति और निष्ठा उन्हें निपटाने के लिए है। आजम और उनके समर्थक यह जानते थे कि अखिलेश यादव यहां चुनाव नहीं लड़ेंगे। जानबूझकर ये शर्त रखी गई थी, लेकिन उनकी शर्त से समाजवादी खेमे में खलबली मच गई।

जब अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई तेज प्रताप यादव को चुनाव मैदान में उतारने की जानकारी आजम खान को दी, तो उन्होंने साफ कर दिया की कोई दूसरा नाम स्वीकार नहीं है। सिर्फ अखिलेश यादव ही चुनाव लड़ें।

असल में अखिलेश यादव को आजम हम ये संदेश पहुंचाना चाहते थे कि रामपुर में उन्होंने चुनाव लड़ा, तो कितनी परेशानी झेलनी पड़ेगी। आजम की समर्थक पहले से ही बगावती बातें करते रहे हैं। आखिरकार जब आजम नहीं मानें, तो अखिलेश यादव दिल्ली में संसद भवन के पास जामा मस्जिद के इमाम मोहितुल्ला नदवी को अपना प्रत्याशी बना दिया।

घरों में चुपचाप बैठे हैं आजम के समर्थक

अब अखिलेश ने अपनी मर्जी से प्रत्याशी उतार दिया, तो आजम खान के समर्थक घरों में चुपचाप बैठे हुए हैं। ऐसा लगता ही नहीं कि चुनाव का प्रचार चल रहा है और उनकी पार्टी का प्रत्याशी मैदान में भी है। वह प्रत्याशी को सपोर्ट भी नहीं कर रहे हैं।

रामपुर के एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि फिलहाल तो सन्नाटा पसरा हुआ है, लेकिन अगर सही समय में आजम के लोग सपा के प्रत्याशी का प्रचार करेंगे, तो यह अलग बात होगी, लेकिन आजम समर्थकों के तेवरों से लगता है कि मामला इतना आसान नहीं है।

BSP का उम्मीदवार बनेगा वोट कटवा?

बहुजन समाज पार्टी ने यहां पर जीशान खान को टिकट दिया है। बसपा ने यह जानकर जीशान को मैदान में उतारा कि वह मुस्लिम वोट पाएंगे और दलित वोटों का एक हिस्सा भी मिलेगा ही। भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर वर्तमान सांसद घनश्याम लोधी को फिर से टिकट दे दिया है और एक और मुस्लिम बुद्धिजीवी और सुप्रीम कोर्ट के वकील महमूद प्राचा भी चुनाव मैदान में हैं। लेकिन वह कुछ कर पाएंगे, ऐसा लगता नहीं है।

वह यह कहकर रामपुर पहुंचे थे कि सभी दल एकजुट होकर उनके पक्ष में आ जाएं। लेकिन अब तक कोई भी उनके समर्थन में नहीं आया है। अब सवाल यह भी है कि बसपा के जीशान खान कितना अच्छा चुनाव लड़ते हैं। आजम के दो कट्टर समर्थक असीम राजा और जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल सलाम ने भी लोकसभा चुनाव के लिए पर्चा दाखिल किया था, लेकिन दोनों के पर्चे खारिज हो गए है।

अब सपा के नाराज समर्थक किसको चुनाव लड़वाएंगे? रामपुर के ही माजिद अली कहते हैं आखिरकार मुसलमान का वोट समाजवादी पार्टी के साथ ही जाएगा, क्योंकि उसके पास और कोई विकल्प नहीं है। कोई ऐसा मजबूत प्रत्याशी भी नहीं है, जिसको वोट देकर जिता सके।

इसलिए ज्यों-ज्यों चुनाव बढ़ेगा, मुसलमानों का वोट सपा की तरफ आएगा। उनके साथ खड़े मुस्लिम मतदाता कहते हैं कि मुसलमान को आजम के प्रति सहानुभूति है, लेकिन ऐसा भी नहीं है, उनके कहने सपा के खिलाफ वोट दे दें। वैसे यह समाजवादी पार्टी की मजबूत जमीन है, लेकिन पार्टी की आंतरिक कलह ने लड़ाई रोचक बना दिया है।

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