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UP Loksabha Chunav: लखीमपुर खीरी में अजय मिश्रा टेनी से नाराजगी, लेकिन PM मोदी से बैर नहीं, सपा, बसपा को लेकर वोटर की मन में क्या है?

UP Lok Sabha Election 2024: गोला गोकर्णनाथ के एक पत्रकार काफी ना नूकर के बाद बताते हैं कि टेनी के खिलाफ माहौल है, लेकिन इसके उलट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति लोगों का बहुत ही आकर्षण है। इस बात पर चर्चा हो रही है कि टेनी के प्रति नाराजगी भारी पड़ेगी या प्रधानमंत्री को फिर से सत्ता में बैठाने की चाहत

अपडेटेड May 12, 2024 पर 9:43 PM
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UP Loksabha Chunav: लखीमपुर खीरी में अजय मिश्रा टेनी से नाराजगी, लेकिन PM मोदी से बैर नहीं

देश के गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी। विवादों से उनका पुराना नाता है। बाहुबली नेता हैं। लखीमपुर में गाड़ी से कुचलकर, जो किसान मारे गए थे, उसमें उन्हीं के बेटा पर आरोप लगा था और वो गिरफ्तार भी हुआ था। इस मुद्दे पर पूरे देश में हंगामा हुआ। अब टेनी एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं। क्या होगा चुनाव में? उनके खिलाफ समाजवादी पार्टी के उत्कर्ष वर्मा मधुर चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने अंशय कालरा को टिकट दिया है। लेकिन अंशय कालरा कौन है, राजनीति से इनका क्या संबंध है? इस सवाल का जवाब तलाशा जा रहा है। पता चला कि वो पलिया के ही रहने वाले जरूर हैं, लेकिन रहते नोएडा में हैं। बड़े आदमी हैं। इसलिए चुनाव लड़ने की इच्छा जागृत हुई, तो बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर मैदान में कूद पडे। BSP ने उन्हें पहले गाजियाबाद से टिकट दिया था, लेकिन बाद में उन्हें लखीमपुर खीरी से टिकट दे दिया।

गोला गोकर्णनाथ के एक पत्रकार काफी ना नूकर के बाद बताते हैं कि टेनी के खिलाफ माहौल है, लेकिन इसके उलट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति लोगों का बहुत ही आकर्षण है। इस बात पर चर्चा हो रही है कि टेनी के प्रति नाराजगी भारी पड़ेगी या प्रधानमंत्री को फिर से सत्ता में बैठाने की चाहत। बहुत से लोग ऐसे मिले जो कहते हैं कि टेनी ने कुछ किया नहीं और उनको वोट देने का मन नहीं है, लेकिन वोट मोदी को देंगे। इसलिए टेनी को वोट देना जरूरी है।

उम्मीदवार से नाराज, पर वो भी उसे ही देंगे


बड़ा गजब चुनाव है। प्रत्याशी से नाराजगी और उसकी तमाम बुराइयां बताते लोग, लेकिन फिर भी वोट उसी को। समाजवादी पार्टी को लगता है कि टेनी के प्रति लोगों की नाराजगी असर दिखाएगी और उत्कर्ष वर्मा चुनाव जीत जाएंगे।

लखीमपुर के सुकेश वर्मा कहते हैं कि सपा के पक्ष में माहौल तो ठीक है। लोग टेनी से नाराज हैं और इसीलिए लगता है कि शायद उत्कर्ष वर्मा चुनाव जीत भी जाए। लेकिन समस्या ये है कि लोग नाराजगी भी जताते हैं और मोदी के नाम पर वोट देने की बात भी करते हैं। इसके कारण कुछ संदेह हो रहा है।

देश भर में प्रसिद्ध दुधवा नेशनल पार्क लखीमपुर खीरी में ही है। छोटी काशी के नाम से मशहूर गोलागोकरण नाथ के मंदिर में लाखों श्रद्धालु आते हैं। गन्ने की खेती के लिए मशहूर लखीमपुर में कई चीनी मिले हैं। पंजाब से आए तमाम सिखों ने यहां पर बड़े-बड़े फार्म हाउस बनाए और हजारों एकड़ बंजर जमीन को उपजाऊ बनाया। यहां के मैगलगंज के रसगुल्ले पूरे उत्तर प्रदेश में मशहूर हैं। लेकिन इस समय चुनावी मौसम में राजनीतिक दलों के बीच जो शह और मात की गोटियां चली जा रही हैं, उसकी चर्चा भी गलियों में गूंज रही है।

टेनी से क्यों नाराज है जनता?

वास्तव में अजय मिश्रा टेनी की पटरी कम ही लोगों से बैठती है। यही कारण है कि उनके क्षेत्र के तीन विधायक मौन होकर बैठे हुए हैं। जब गोला गोकर्णनाथ विधानसभा क्षेत्र का उप-चुनाव हुआ था, तो टेनी पर आरोप लगे थे कि उन्होंने अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी को जिताने में मदद नहीं की।

गोला गोकर्णनाथ के ही सरदार गुरमीत सिंह कहते हैं की उनका वोट अजय मिश्रा को नहीं जाएगा, क्योंकि उनका व्यवहार खराब है। वो बताते हैं कि वह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी उत्कर्ष वर्मा का समर्थन करेंगे। लेकिन तमाम विरोध और नाखुशी के बीच अजय मिश्रा का अपना प्रभाव जरूर है।

उनके समर्थकों की भी एक लंबी चौड़ी फौज है और चुनाव में वो दिन रात एक किए हुए हैं। टेनी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वो अपने क्षेत्र के उस गठजोड़ को कैसे तोड़ेंगे, जो उनके खिलाफ बना हुआ है।

क्या कहते हैं जाति समीकरण?

वास्तव में कुर्मी मतदाता टेनी के साथ नहीं हैं और वो उत्कर्ष वर्मा के साथ हैं। यही नहीं उत्कर्ष के साथ मुस्लिम मतदाता भी हैं और यादव भी। सिख मतदाताओं का भी समर्थन उन्हें मिल रहा है, लेकिन जहां तक टेनी के समर्थन की बात है, अति पिछड़ा वोट उन्हें भरपूर संख्या में मिल रहा है।

यही नहीं तमाम नाराजगी के बावजूद सवर्ण मतदाता टेनी के साथ नहीं, लेकिन बीजेपी के साथ हैं। यह समीकरण उनको जीत के पास पहुंचा देता है। गोला गोकर्णनाथ के ही अभय पांडे कहते हैं कि यहां के समीकरण को समझने के लिए यह जानना होगा कि आम मतदाता मोदी को जीताना चाहता है। अब उसकी राह में टेनी से नाराजगी के चलते तमाम किंतु-परंतु हैं, लेकिन वो कहते हैं कि आखिर में मतदाता कमल के फूल पर ही जाएगा।

पिछले चुनाव नतीजों पर भी डालें एक नजर

दूसरी ओर जितेंद्र यादव कहते हैं कि इस बार समीकरण सपा के लिए कुछ ज्यादा अच्छे हैं। कुर्मी यादव और मुस्लिम मतदाता समाजवादी पार्टी के साथ है। सिखों का भी समर्थन मिल रहा है, लेकिन मुस्लिम और कुर्मी मतदाता तो पिछले लोकसभा चुनाव में भी सपा के साथ था और बसपा से गठबंधन के चलते दलितों का बड़ा वर्ग भी समाजवादी पार्टी के पक्ष गया था।

इसके बावजूद समाजवादी पार्टी की डॉ. पूर्वी वर्मा, अजय मिश्रा टेनी से 2 लाख 18 हजार वोटों से चुनाव हार गई थीं। इसलिए यह कह देना कि इस बार समाजवादी पार्टी ज्यादा अच्छा चुनाव लड़ रही है सही नहीं है।

2014 में भी अजय मिश्रा टेनी चुनाव जीते थे और उन्होंने तब अरविंद गिरी को एक लाख दस हजार वोटों से हराया था। अरविंद गिरी का क्षेत्र में भारी जनाधार रहा है और वो विधायक भी थे। पिछले दिनों उनका निधन हो गया था और अब उनकी जगह उनका बेटा अमन गिरी गोला गोकर्णनाथ से विधायक है।

टेनी के खिलाफ किसानों का मुद्दा उठा रही सपा

समाजवादी पार्टी टेनी पर आक्रामक है और किसानों की हत्या का मामला उठा रही है। उधर बहुजन समाज पार्टी के अंशय कालरा चुनाव मैदान में जरूर हैं, लेकिन वो कोई करिश्मा नहीं कर पा रहे हैं। उनको केवल बसपा का कैडर वोट मिल रहा है। इसके अलावा उन्हें बाकी कोई समर्थन नहीं मिल रहा।

मुस्लिम वोटो का समर्थन भी सपा के साथ है। इसलिए उनके सामने खतरा इस बात का है कि कहीं बसपा मुख्य लड़ाई से बाहर न हो जाए। फिलहाल यही कहा जा सकता है कि यहां लड़ाई त्रिकोणीय है। लेकिन BJP और सपा के बीच यह लड़ाई सिमटती दिखाई दे रही है।

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