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UP Loksabha Election: अलीगढ़ में BJP उम्मीदवार का नाम सुनते ही भड़क जाती है जनता! वोट यात्रा में जानें सतीश गौतम से क्यों नाराज हैं वोटर

UP Loksabha Election 2024: चाभी-तालों का शहर अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कारण इस शहर का दुनिया भर में नाम है। महान समाज-सुधारक सर सैयद अहमद खान की कोशिशों से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का निर्माण हुआ। उन्होंने घर-घर जाकर चंदा मांग कर इतनी बड़ी संस्था खड़ी की, जिसका दुनिया भर में नाम है

अपडेटेड Apr 24, 2024 पर 10:01 PM
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UP Loksabha Election: अलीगढ़ में BJP उम्मीदवार का नाम सुनते ही भड़क जाती है जनता! वोट यात्रा में जानें सतीश गौतम से क्यों नाराज हैं वोटर

UP Loksabha Election 2024: अलीगढ़ (Aligarh) के BJP सांसद सतीश गौतम (Satish Gautam) इस बार कड़े संघर्ष में फंस गए हैं। लोग उनकी कोई बात सुनना ही नहीं चाहते। आरोप लग रहे हैं कि वो जितनी मनमानी कर सकते थे, उन्होंने की, अब उनकी कोई बात नहीं सुनेंगे। जनता उन्हें बयान वीर कहती है, लेकिन सतीश गौतम अभी भी अपने बयानों से चर्चा में बने हुए हैं और जनता की नाराजगी भी झेल रहे हैं।

अलीगढ़ के ही रणवीर सिंह कहते हैं कि आखिर हम BJP को वोट क्यों दें? भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर सतीश गौतम को मैदान में उतार दिया है। पांच साल में सतीश गौतम ने क्या किया, कोई बताए तो मुझे। 5 साल में दिखे तक नहीं। किसी के सुख-दुख में खड़े नहीं हुए। हर मतदाता से टेढ़ी बात की।

BJP सांसद से जबरदस्त नाराज है जनता


वास्तव में अलीगढ़ में BJP प्रत्याशी के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी है। ऐसे बहुत से लोग मिले, जो उनकी चर्चा करते ही नाराज हो जाते हैं। लेकिन मोदी और योगी के नाम पर वोट देने की बात भी करते हैं। लेकिन उन्हीं के बगल में खड़े देवेंद्र शर्मा कहते हैं कि देश में बीजेपी जीत रही है। यह सीट हार भी जायेगी, तो क्या हो जाएगा।

सतीश गौतम को वोट नहीं देंगे। हम सभी चाहते हैं कि योगी और मोदी जीतें, लेकिन सतीश गौतम को नहीं जीताना चाहते। चाहे कुछ भी हो जाए। इन्होंने 5 साल में बहुत रुलाया है। अलीगढ़ का चुनाव इस नाराजगी के चलते ही काफी रोचक हो गया है, लेकिन फिर सवाल वही है कि क्या समाजवादी पार्टी के बृजेंद्र सिंह बीजेपी को टक्कर देंगे या BSP के हितेंद्र उपाध्याय।

अलीगढ़ में ब्राह्मण मतदाताओं में विभाजन

जानकार बताते हैं कि इस सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं में विभाजन दिख रहा है और इसका कारण सतीश गौतम का व्यवहार है। BSP प्रत्याशी जितेंद्र उपाध्याय ब्राह्मणों के वोट पर सेंध लगाना चाहते हैं। अलीगढ़ के ही इकराम कहते हैं की BJP की टक्कर सपा से ही होगी। BSP तो कहीं नहीं है। मुस्लिम वोट सपा को जा रहा है। बसपा पर मुसलमान का भरोसा नहीं है।

हालांकि, बसपा के नेता कहते हैं कि सपा में वो दम नहीं कि वो BJP को हरा सके। BJP को BSP ही हरा सकती है। अगर मुस्लिम मतदाताओं ने सपा की ओर रुख किया, तो BJP का रास्ता साफ हो जाएगा। अगर मुस्लिम हाथी पर वोट दे दे, तो भाजपा आसानी से हार जाएगी। खैर के ताहिर अली कहते हैं कि उनका वोट बसपा को जाएगा। इस बार भाजपा हार जाएगी।

हर पार्टी की बढ़ रही चिंता

चाभी-तालों का शहर अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कारण इस शहर का दुनिया भर में नाम है। महान समाज-सुधारक सर सैयद अहमद खान की कोशिशों से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का निर्माण हुआ। उन्होंने घर-घर जाकर चंदा मांग कर इतनी बड़ी संस्था खड़ी की, जिसका दुनिया भर में नाम है। उ

उनकी चिंता यही थी कि मुसलमान हो या और कोई सभी शिक्षित हों। इस लोकसभा के चुनाव में कुछ ऐसे समीकरण बन रहे हैं, जो हर पार्टी को चिंता में डाले हुए हैं। सतीश गौतम से नाराजगी की एक अलग कहानी है, लेकिन समाजवादी पार्टी ने जाट वोटों के कारण बृजेंद्र सिंह को टिकट दिया है।

जाट वोट भी बंट रहा है

बृजेंद्र सिंह प्रभावी नेता हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग कहानी कह रही है। जाट मतदाता पर जयंत चौधरी का गहरा असर है और जाट वोटों का एक हिस्सा बीजेपी की ओर जा रहा है, लेकिन सतीश गौतम से आम लोगों की नाराजगी यहां भी अपना असर दिखा रही है। इसलिए बृजेंद्र सिंह को जाट वोटों का समर्थन मिल रहा है।

अब सवाल यह है की क्या मुस्लिम जाट वोटों के बल पर बृजेंद्र सिंह चुनाव जीत जाएंगे? अलीगढ़ के रमेश सिंह कहते हैं की बृजेंद्र सिंह को जाट वोट तो मिल रहे हैं और दूसरे वर्गों का समर्थन भी मिल रहा है। अब अगर जाट वोट बृजेंद्र सिंह को मिलते हैं, तो वो कांटे की लड़ाई लड़ेंगे, लेकिन अगर नहीं मिले तो सपा के लिए लड़ाई मुश्किल हो जाएगी। इसके मजबूत कारण है।

विपक्ष के लिए शुभ संकेत

पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी का प्रत्याशी मैदान में था। तब मुसलमान का समर्थन बसपा के साथ था। तब मुस्लिम दलित वोट एकजुट हो कर बसपा के साथ गया था। इसके साथ ही जाट मतदाताओं का समर्थन भी बसपा को मिला था। गैर-जाटव मतदाताओं का समर्थन BJP प्रत्याशी के पक्ष में गया था।

इसके बावजूद BJP के सतीश गौतम लगभग 2 लाख 30000 वोटों से चुनाव जीत गए थे। इस बार सपा और बसपा का गठबंधन नहीं है, दोनों अलग-अलग मैदान में है। फिर ऐसा कौनसा गणित है, जो विपक्ष के लिए शुभ संकेत ला सकता है।

बसपा के एक समर्थक दीनानाथ कहते हैं की इस बार ब्राह्मण वोट भी बसपा प्रत्याशी को मिलेगा इसलिए उम्मीदें ज्यादा हैं। पिछली बार BSP को ब्राह्मण वोट नहीं मिला था, लेकिन ब्राह्मण वोट ऐसा नहीं है कि निर्णायक हो। अन्य पिछड़े वर्ग (OBC) का वोट BJP के खाते में जा रहा है। BSP के दावे पर भी दम नहीं दिखता कि ब्राह्मण वोट उन्हें पूरी तरह समर्थन कर रहा है।

दलित मतदाताओं में भी विभाजन

खैर के एक ब्राह्मण मतदाता नवनीत कहते हैं कि BSP के पक्ष ब्राह्मणों का वोट जाएगा यह सही नहीं हैं। ज्यादा वोट तो भाजपा के पाले में जा रहा है। यह अलग बात है की सतीश गौतम से गहरी नाराजगी है। लोग उनके पक्ष में नहीं है, लेकिन यह चुनाव मोदी और योगी के नाम पर हो रहा है। इसलिए सतीश गौतम जीत जाएंगे, लेकिन नाराज लोग इस बात से इनकार करते हैं कि वो इस बार सतीश गौतम को वोट देंगे।

अलीगढ़ के ही प्रकाश गौतम कहते हैं कि बसपा का भरपूर समर्थन मिल रहा है, लेकिन दलित मतदाताओं में विभाजन है। गैर-जाटव मतदाता बीजेपी के साथ है। जहां तक सपा की सवाल है इस समय मुस्लिम वोट उसके साथ दिख रहा है। उसमें ज्यादा तोड़फोड़ नहीं दिख रही है, लेकिन आगे क्या होगा यह कहना मुश्किल है।

फिलहाल मुस्लिम मतदाता सपा को छोड़ना नहीं चाहता। बृजेंद्र सिंह को उम्मीद है की सरकार के खिलाफ नाराज लोग उन्हें वोट देंगे। फिलहाल यहां लड़ाई है त्रिकोणीय है। और सांसद सतीश गौतम के खिलाफ लोगों की नाराजगी अपना असर दिखा रही है।

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