Loksabha Elections 2024: 'पश्चिम तय करता है कि पूरब क्या करेगा', जानिए क्यों आज का चुनाव BSP-SP के लिए खास है!

Elections 2024: पश्चिमी यूपी की 8 सीटों पर आज यानि 19 अप्रैल को चुनाव होने वाले हैं। यह इलाका समाजवादी पार्टी और BSP दोनों के लिए क्यों खास है। 2014 के लोकसभा चुनावों में मतदान के पहले चरण की सभी 8 सीटों पर BJP ने जीत हासिल की थी

अपडेटेड Apr 26, 2024 पर 6:50 AM
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Loksabha elections 2024: Loksabha elections 2024: पूर्णिया और किशनगंज में त्रिकोणीय लड़ाई है। पूर्णिया में JDU के संतोष कुशवाहा का मुकाबला RJD की बीमा भारती और निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव से है

Loksabha Elections 2024:  पिछले लोकसभा चुनावों के नतीजे बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में BJP के शानदार प्रदर्शन में पश्चिमी यूपी में उसकी सफलता का बड़ा हाथ था। राजनीति के जानकार मनेज भादरा ने कहा कि पहले चरण के चुनावों में BJP की मजबूत स्थिति का फायदा पार्टी को बाद के चरणों में मिलता रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार भी इस ट्रेंड के जारी रहने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश के एक बड़े अधिकारी ने कहा था, "पश्चिम तय करता है कि पूरब क्या करेगा।" यह बात इस बार लोकसभा चुनावों के मामले में सटीक बैठती है। इस पर उत्तर प्रदेश में किसी राजनीतिक दल का भविष्य तय करने में पश्चिम की बड़ी भूमिका रहेगी।

2014 में सभी 8 सीटों पर BJP की जीत हुई थी

2014 के लोकसभा चुनावों में मतदान के पहले चरण की सभी 8 सीटों पर जीत हासिल की थी। इससे यूपी में बीजेपी की सीटों की संख्या बढ़कर 71 पहुंच गई थी। अपना दल से गठबंधन के बाद यह बढ़कर 73 हो गई थी। 2019 के लोकसभा चुनावों में स्थिति बदल गई। SP-RLD और BSP के महागठबंधन की वजह से बीजेपी को थोड़ा नुकसान हुआ। इन 8 सीटों में से बीजेपी सिर्फ 3 सीटों पर जीत हासिल कर सकी। इसका असर यूपी में बीजेपी की कुल सीटों पर पड़ा। पार्टी राज्य में सिर्फ 62 सीटें जीत सकी।


 RLD इस बार BJP के साथ मिलकर लड़ रहा चुनाव 

इस बार लोकसभा चुनावों के पहले चरण (19 अप्रैल) में यूपी के पश्चिमी इलाकों में मतदान होगा। लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनावों और 2022 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले इस बार स्थिति काफी बदली हुई दिख रही है। इस बार BJP-RLD के गठबंधन को इम्तहान से गुजरना पड़ेगा। राजनीति के मैदान पर जयंत चौधरी की साख दांव पर लगी हुई है। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान की तीसरी बार संभावित जीत पर भी नजरें लगी हुई हैं।

जयंत चौधरी की राजनीतिक साख दांव पर

पश्चिमी हिस्से पर कई दशकों से किसान और जाट नेता अजीत सिंह का असर रहा। 2021 में उनके निधन का इस इलाके के राजनीतिक समीकरण पर असर पड़ा। उनके नेतृत्व के अभाव ने उनके साथ रही पार्टियों के लिए मौके और चुनौतियां दोनों पेश किए हैं। भादरा ने कहा, "चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न प्रदान करने का बीजेपी का फैसला रणनीतिक साबित हुआ है। इसने जयंत को भाजपा के साथ जाने को प्रेरित किया है। लेकिन, जयंत का यह कदम कितना सही था, इसका पता चुनावी नतीजों से मिलेगा।"

पिछले लोकसभा चुनावों में SP, BSP और RLD  एक साथ थे

पिछले लोकसभा चुनावों में SP, BSP और RLD ने मिलकर चुनाव लड़ा था। 2019 के चुनावों के पहले चरण की 8 सीटों में से एसपी ने चार पर चुनाव लड़ा था। बीएसपी ने 3 पर चुनाव लड़ा था। RLD ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था। बीएसपी को इनमें से सभी सीटों पर जीत हुई थी। एसपी दो सीटें जीतने में कामयाब रही थी। आरएलडी को कोई सीट नहीं मिली थी।

 

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