Lok Sabha Election 2024: देश में 20 मई को लोकसभा चुनाव के 5वें चरण का मतदान हो रहा है। इस दौरान 8 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 695 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद होने वाली है। 5वें चरण में उत्तर प्रदेश के 14 संसदीय क्षेत्रों में वोटिंग हो रही है। 2019 के चुनाव में इन 14 सीटों में से 13 पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था। केवल एक रायबरेली सीट पर हार का सामना किया था। पिछली बार बीजेपी की जीत वाली 13 सीटों में से 5 पर वोटों का अंतर 1 लाख से कम रह गया था। ऐसे में इन सीटों पर विपक्ष ने ताकत झोंककर सियासी मिजाज को टाइट कर दिया है।
5वें चरण में यूपी में रायबरेली, अमेठी, लखनऊ, कैसरगंज, फैजाबाद, मोहनलालगंज, बाराबंकी, गोंडा, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर और कौशांबी सीट पर मतदान हो रहे हैं। वैसे तो 5वें चरण में उत्तर प्रदेश में कई हॉट सीट हैं लेकिन 5 हाई प्रोफाइल सीटों की चर्चा सबसे ज्यादा है। इनमें से एक सीट लखनऊ है, जहां से केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मैदान में हैं। वह यहां से 2014 और 2019 का चुनाव भी जीते थे। 2019 में राजनाथ सिंह ने 3,47,302 वोटों से जीत दर्ज की थी। दूसरी सीट अमेठी है, जहां से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक बार फिर मैदान में हैं। 2019 में उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 55,120 वोटों से हराया था।
तीसरी सीट रायबरेली है, जहां से राहुल गांधी खड़े हैं। 2019 में रायबरेली सीट को कांग्रेस ने 167,178 वोटों से जीता था। चौथी सीट कैसरगंज है, जहां से बीजेपी से बृजभूषण सिंह के बेटे चुनाव लड़ रहे हैं। बृजभूषण सिंह 2014 और 2019 में इस सीट से जीते थे। 2019 में कैसरगंज सीट 2,61,601 वोटों के मार्जिन से बीजेपी की झोली में गई थी। मोहनलालगंज सीट पर 2019 में बीजेपी 90204 वोटों से जीती थी। 2014 और 2019 में इस सीट से कौशल किशोर जीते थे और इस बार भी बीजेपी ने उन्हीं पर दांव लगाया है।
इन सीट्स के अलावा 2019 में फैजाबाद सीट पर बीजेपी ने 65,477 वोटों से जीत दर्ज की थी। बांदा सीट को 58938 वोटों, कौशांबी सीट को 38722 वोटों से जीतकर हासिल किया था। इस बार के चुनाव में विपक्ष खासा जोर लगा रहा है। वहीं बीजेपी इस चरण की सभी सीटों पर क्लीन स्वीप का दावा कर रही है। इसके लिए वह रायबरेली सीट पर भी ताकत झोंके हुए है। मगर इस बार के सियासी समीकरण बदले हुए हैं। बसपा के बजाय सपा 2024 में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जिस तरह से ओबीसी और अति पिछड़े वर्ग पर दांव खेला है, उसके चलते अगर वोटों का उलटफेर हुआ तो सीटों पर सियासी मिजाज बदल सकता है।