CLSA on Market : ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने 2025 में निफ्टी से कम रिटर्न मिलने का अनुमान लगाया है। ब्रोकरेज की राय है कि इस साल चुनौतीपूर्ण ग्लोबल मैक्रो इकोनॉमिक स्थितियों,भारत में निकट भविष्य में आर्थिक विकास में मंदी बने रहने की आशंका और तुलनात्मक रूप से महंगे वैल्यूएशन के कारण बहुत ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। ब्रोकरेज ने ट्रम्प प्रशासन के तहत व्यापार नीतियों के बारे में अनिश्चितता को लेकर चिंता जताई है। उसका कहना है अमेरिकी प्रतिबंधों से चीन जैसे निर्यात-आधारित उभरते बाजारों के प्रदर्शन पर असर पड़ने की संभावना है। मध्यम स्तर के प्रतिबंध उभरते बाजारो में निवेश को आकर्षित कर सकते हैं। लेकिन भारत उभरते बाजारों की रैली में अंडरपरफॉर्म कर सकता है। जबकि सख्त नीतियों का ज्यादा गंभीर प्रभाव हो सकता है।
इसके अलावा,अमेरिकी फेडरल रिजर्व की हालिया टिप्पणी 2025 में दरों में बड़ी कटौती की सीमित गुंजाइश का संकेत दे रही। यह स्थिति ट्रम्प की नीतियों के साथ मिलकर अमेरिकी डॉलर को मजबूती दे सकती है। इसके विपरीत, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में एक नया नेतृत्व और महंगाई में संभावित गिरावट दरों में कटौती के लिए माहौल बना रही है। हालांकि 2024 में भारतीय बॉन्ड और रुपये का मजबूत प्रदर्शन बॉन्ड यील्ड में किसी बड़ी गिरावट को सीमित कर सकता है।
एचडीएफसी बैंक को पोर्टफोलियो से हटाया
CLSA को पूंजीगत व्यय में उम्मीदों के मुकाबले कम बढ़त की उम्मीद है लेकिन इसने अफोर्डेबल उपभोग के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनने की संभवना जताई है। इस बात को ध्यान में रखते हुए इसने स्टेपल पर ओवरवेट रुख रहा है और टाटा मोटर्स, एनटीपीसी, नेस्ले और ब्रिटानिया को अपने भारत केंद्रित पोर्टफोलियो में शामिल किया है। जबकि एचडीएफसी बैंक को इस पोर्टफोलियो से हटा दिया है। इसने बैंकों में अपने निवेश को घटाया है।
कमोडिटी और इश्योरेंस पर ओवरवेट नजरिया
ब्रोकरेज ने कमोडिटी और इश्योरेंस पर ओवरवेट नजरिया बनाए रखा है। जबकि आईटी, गैर जरूरी या शौकिया खर्ज,इंडस्ट्रियल और हेल्थ सर्विस सेक्टर अंडरवेट नजरिया कायम रखा है। बाजार में भारी गिरावट के बावजूद, एनएसई 200 में शामिल शेयरों में से आधे से ज्यादा अपने 52-वीक हाई से 20 फीसदी से ज्यादा नीचे कारोबार कर रहे हैं। CLSA ने पॉजिटिव नजरिए के साथ इनमें से लगभग 30 कंपनियों की पहचान की है।
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