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5 कारण, जो अमेरिकी शेयर बाजार में ला सकते हैं गिरावट, भारत पर भी होगा असर?

US Stock Markets: अमेरिकी शेयर बाजार ने 2025 के पहले छह महीनों में भारी उतार-चढ़ाव देखा। S&P 500 इंडेक्स जहां पहले अपने उच्चतम स्तर से 19% तक गिरा, वहीं उसने तेजी से रिकवरी करते हुए नया रिकॉर्ड भी बना लिया। लेकिन अब जब दूसरी छमाही की शुरुआत हो रही है, दुनिया के कुछ बड़े निवेशक बाजार की इस रैली को लेकर सावधान हो गए हैं

Moneycontrol Hindi Newsअपडेटेड Jun 28, 2025 पर 9:24 PM
5 कारण, जो अमेरिकी शेयर बाजार में ला सकते हैं गिरावट, भारत पर भी होगा असर?
US Stock Markets: अमेरिका को 9 जुलाई की डेडलाइन तक अपने व्यापारिक साझेदार देशों से टैरिफ समझौते करने हैं

US Stock Markets: अमेरिकी शेयर बाजार ने 2025 के पहले छह महीनों में भारी उतार-चढ़ाव देखा। S&P 500 इंडेक्स जहां पहले अपने उच्चतम स्तर से 19% तक गिरा, वहीं उसने तेजी से रिकवरी करते हुए नया रिकॉर्ड भी बना लिया। लेकिन अब जब दूसरी छमाही की शुरुआत हो रही है, दुनिया के कुछ बड़े निवेशक बाजार की इस रैली को लेकर सावधान हो गए हैं। हालांकि इजराइल-ईरान संघर्षविराम और अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता के संकेतों ने हाल में थोड़ी राहत दी है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि दूसरी छमाही में 5 बड़े जोखिम शेयर बाजार पर दबाव डाल सकते हैं। आइए जानें वे कौन से 5 कारण हैं जो अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट ला सकते हैं:

1. टैरिफ डेडलाइन का खतरा

अमेरिका को 9 जुलाई की डेडलाइन तक अपने प्रमुख व्यापारिक साझेदार देशों से टैरिफ समझौते करने हैं। अगर समय पर कोई समझौता नहीं हुआ तो जिन देशों के साथ डील नहीं हुई, उनके उत्पादों पर 10% से अधिक टैरिफ लगाया जा सकता है। हालांकि UK ने समझौते पर दस्तखत कर लिए हैं और यूरोपीय यूनियन के साथ भी समझौते जल्द होने के संकेत हैं, लेकिन कनाडा के साथ डील तोड़ने की ट्रंप की धमकी ने निवेशकों को एक बार फिर सतर्क कर दिया है। UBS की रणनीतिकार एंथी त्सोवालि कहती हैं, “जब तक डील फाइनल नहीं होती, बाजारों में अस्थिरता बनी रहेगी।”

2. कमजोर कमाई और मुनाफे का दबाव

हालिया महीनों में कॉरपोरेट मजबूती ने बाजार को सहारा दिया, लेकिन आगामी दूसरी तिमाही के नतीजे असली परीक्षा होंगे। एक हालिया सर्वे के अनुसार, अमेरिका की कंपनियों के CEO hiring और खर्च को लेकर पहले से ज्यादा नकारात्मक हैं। फेडरेटेड हर्मीज की पोर्टफोलियो मैनेजर लुईस डडली के मुताबिक, “जैसे-जैसे कारोबारी माहौल चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है, मुनाफे की उम्मीदें भी घट सकती हैं।” इससे बाजार की दिशा सीधी या स्थिर रह सकती है।

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