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NSE ने अडानी ग्रुप के इन तीन शेयरों को ASM फ्रेमवर्क में डाला, स्टॉक्स पर बढ़ जाएगी निगरानी

NSE के इस पहल का मतलब यह है कि इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए भी 100% अपफ्रंट मार्जिन की जरूरत होगी और इससे शॉर्ट सेलिंग पर अंकुश लगेगा। इस कदम का मकसद अडानी ग्रुप के शेयरों में उतार-चढ़ाव को कम करना है, इसके साथ ही अब इन शेयरों पर निगरानी भी बढ़ जाएगी।

अपडेटेड Feb 02, 2023 पर 9:54 PM
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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने आज गुरुवार को अडानी ग्रुप की तीन कंपनियों को ASM यानी एडिशनल सर्विलांस मार्जिन फ्रेमवर्क में डालने का ऐलान किया है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने आज गुरुवार को अडानी ग्रुप की तीन कंपनियों को ASM यानी एडिशनल सर्विलांस मेजर्स फ्रेमवर्क में डालने का ऐलान किया है। इन तीन कंपनियों में अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises), अडानी पोर्ट (Adani Port) और अंबुजा सीमेंट (Ambuja Cement) शामिल हैं। इसका मतलब यह है कि इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए भी 100% अपफ्रंट मार्जिन की जरूरत होगी और इससे शॉर्ट सेलिंग पर अंकुश लगेगा। इस कदम का मकसद अडानी ग्रुप के शेयरों में उतार-चढ़ाव को कम करना है, इसके साथ ही अब इन शेयरों पर निगरानी भी बढ़ जाएगी। यह नया नियम शुक्रवार, 3 फरवरी, 2023 से लागू होगा।

बता दें कि हिंडनबर्ग रिसर्च के सामने आने के बाद पिछले कुछ दिनों में अडानी ग्रुप के शेयरों में तेजी से गिरावट देखने को मिली है। जिसके बाद स्टॉक एक्सचेंज ने यह कदम उठाया है। अडानी ग्रुप को अब तक 100 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।

(Source: NSE)


ASM फ्रेमवर्क क्या है

भारतीय शेयर बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव वाले शेयरों को रेगुलेट करने के लिए सेबी और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों ने 2018 में एडिशनल सर्विलांस मेजर्स (ASM) की शुरुआत की थी। ASM लिस्ट सिक्योरिटीज की एक ऐसी लिस्ट है, जिस पर मूल्य में उतार-चढ़ाव, वॉल्यूम वेरिएशन आदि के चलते निगरानी रखी जाती है। यह रिटेल इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा के लिए और उन्हें जोखिम से बचाने के लिए काम करता है। भारी उतार चढ़ाव के चलते इन शेयरों की ट्रेडिंग पर कुछ प्रतिबंध होते हैं। एनएसई ने अपनी वेबसाइट पर ASM फ्रेमवर्क को लेकर कहा, "ऑब्जेक्टिव पैरामीटर्स जैसे प्राइस / वॉल्यूम वेरिएशन, उतार-चढ़ाव आदि के आधार पर निगरानी के लिए सिक्योरिटी पर एडिशनल सर्विलांस मेजर्स (ASM) होंगे।"

इसके अलावा, स्टॉक एक्सचेंज ने यह भी कहा कि ASM के तहत सिक्योरिटीज की शॉर्टलिस्टिंग निगरानी के लिए है, और इसे संबंधित कंपनी/एंटिटी के खिलाफ कार्रवाई के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। ASM लिस्ट में शामिल किए जाने के बावजूद इसका कंपनी के उन एक्शन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, जो निवेशकों के फायदे के लिए होते हैं। डिविडेंड, बोनस और स्टॉक स्प्लिट जैसे कंपनी के एक्शन सामान्य प्रक्रियाओं के तहत पूरे होते हैं।

निवेशकों के लिए क्या हैं इसके मायने

ASM लिस्ट में शामिल कोई भी स्टॉक के लिए नियम अधिक कड़े हो जाते हैं। उन्हें गिरवी नहीं रखा जा सकता है और कवर ऑर्डर और ब्रैकेट ऑर्डर जैसे इंट्राडे लीवरेज पर भी रोक लग जाती है। स्टॉक को लिस्ट में जोड़ने के पांच दिन बाद यह 100% मार्जिन के अधीन होता है। इस प्रतिबंध के चलते प्रभावी रूप से मार्जिन ट्रेडिंग असंभव हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मार्जिन ट्रेडिंग अक्सर ट्रेडर्स को स्टॉक की रियल प्राइस से 35 से 40 प्रतिशत के बीच के डिस्काउंट पर स्टॉक खरीदने या बेचने में सक्षम बनाती है।

Shubham Thakur

Shubham Thakur

First Published: Feb 02, 2023 9:09 PM

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