Hindenburg Impact : अडानी ग्रुप के लिए ऐसे बिगड़ते गए हालात, जानिए कितने भारी पड़े ये 8 दिन
Adani Board Cancels FPO : अडानी ग्रुप ने एक बयान में कहा कि बाजार अप्रत्याशित रहा है और हमारे शेयर की कीमत में उतार-चढ़ाव आया है। इन असाधारण हालात को देखते हुए कंपनी के बोर्ड को लगा कि इस इश्यू को आगे बढ़ाना नैतिक रूप से सही नहीं होगा। उधर, मार्केट रेगुलेटर सेबी भी अडानी ग्रुप के खिलाफ लगे आरोपों की जांच कर रहा है
Adani FPO calls off : अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में 1 फरवरी को भी गिरावट जारी रही, जिसमें अडानी एंटरप्राइजेज लगभग 28 फीसदी और अडानी पोर्ट्स 19 फीसदी तक गिर गया
Adani Board Cancels FPO : अरबों डॉलर के अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेस (Adani Enterprises) ने पिछले हफ्ते लॉन्च अपना 20 हजार करोड़ रुपये का फॉलोऑन पब्लिक ऑफर (FPO) वापस ले लिया है। कंपनी ने कहा कि वह एफपीओ में निवेश करने वालों को उनका पैसा वापस कर देगी। अडानी ग्रुप को इन दिनों अमेरिका के शॉर्ट सेलर हिंडेनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की तरफ से “स्टॉक मार्केट में हेराफेरी” और “अकाउंटिंग फ्रॉड” के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। जानिए कैसे बदलते गए अडानी एंटरप्राइजेस के एफपीओ के लिए हालात...
24 जनवरी : Hindenburg ने जारी की रिपोर्ट
हिंडेनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की और दावा किया कि लगभग दो साल की रिसर्च के बाद आरोप लगाए गए हैं। अडानी समूह पर स्टॉक्स से जुड़ी हेरफेर और अकाउंटिंग में धोखाधड़ी के आरोप लगाने के अलावा, अमेरिकी कंपनी ने कहा कि ग्रुप की सात लिस्टेड कंपनियों में से पांच ने मौजूदा रेश्योज 1 से कम दर्ज किया है, जो निकट भविष्य की देनदारियों का मानक है। रिपोर्ट में कहा गया कि यह “बेहद ऊंचा शॉर्ट टर्म लिक्विडिटी रिस्क है।”
रिपोर्ट जारी होने के एक दिन बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली। उन्हें कुल 97,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
27 जनवरी: भारी बिकवाली के बीच एफपीओ लॉन्च
अडानी की कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली के बीच एफपीओ लॉन्च हुआ। पहले दिन एफपीओ सिर्फ 0.01 गुना सब्सक्राइब हुआ। दिन के अंत तक ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी को खासा नुकसान हो चुका था।
29 जनवरी: अडानी ग्रुप ने 413 पेज में जारी की सफाई
अडानी ग्रुप ने 413 पेज में हिंडेनबर्ग के आरोपों का खंडन किया। उन्हें झूठा और गुमराह करने वाला करार दिया। साथ ही इसे “भारतीय संस्थानों पर हमला” करार दिया।
30 जनवरी : एफपीओ को मिला बड़ा सपोर्ट
अडानी के एफपीओ तगड़ा बूस्ट मिला और अबूधाबी की इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी (IHC) ने अडानी एंटरप्राइजेस में 40 करोड़ डॉलर का निवेश किया। इस बीच हिंडेनबर्ग ने कहा कि उसकी क्वेरीज पर अडानी ग्रुप ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।
कमजोर शुरुआत के बावजूद, एफपीओ को गैर-संस्थागत निवेशकों (एनआईआईएस) से प्रोत्साहन के साथ अपने तीसरे दिन पूरी तरह से सब्सक्राइब हो गया, जिन्होंने अपने कोटे से 3.26 गुना ऑफर सब्सक्राइब किया।
1 फरवरी : शेयरों में भारी गिरावट
अडानी ग्रुप की कंपनियों में गिरावट जारी रही, जिसमें अडानी एंटरप्राइजेज लगभग 28 फीसदी और अडानी पोर्ट्स 19 फीसदी तक गिर गया। पिछले पांच ट्रेडिंग सेशंस में ग्रुप की कुल मार्केट वैल्यूएशन के 7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कम हो गई है।
इसके बाद आई रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि मार्केट रेगुलेटर सेबी हिंडनबर्ग द्वारा अडानी ग्रुप के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच कर रहा है। देर रात अडानी ने एफपीओ को वापस लेने का ऐलान कर दिया।
अडानी ग्रुप ने एक बयान में कहा, “आज बाजार अप्रत्याशित रहा है और दिन के दौरान हमारे शेयर की कीमत में उतार-चढ़ाव आया है। इन असाधारण हालात को देखते हुए कंपनी के बोर्ड को लगा कि इस इश्यू को आगे बढ़ाना नैतिक रूप से सही नहीं होगा। निवेशकों का हित सर्वोपरि है और इसलिए उन्हें किसी भी संभावित वित्तीय नुकसान से बचाने के लिए, बोर्ड ने एफपीओ पर आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया है।”